हाल ही में, ऐतिहासिक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन के बेलगाम (बेलगावी) 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं।
बेलगाम अधिवेशन के बारे में
- सत्र : यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 39वां अधिवेशन (सत्र) था।
- अध्यक्षता : यह कांग्रेस का एक मात्र ऐसा अधिवेशन था, जिसकी अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी। गांधी जी दिसंबर 1924 से अप्रैल 1925 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
- शामिल सदस्य : इस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजिनी नायडू और खिलाफत आंदोलन के नेता मुहम्मद अली जौहर व शौकत अली सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भाग लिया। इसके अलावा पूरे देश 30,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- महत्व : इसी अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव के साथ-साथ ‘स्वराज’ के विचार रखे थे।
- इसके अलावा सत्र के दौरान महात्मा गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ आवश्यक औजारों के रूप में असहयोग एवं सविनय अवज्ञा की रणनीतियों पर जोर दिया।
- सत्र में पहली बार ‘वंदे मातरम’ का सार्वजनिक गायन किया गया, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व बढ़ जाता है।
स्वतंत्रता आंदोलन पर इसका प्रभाव
- इतिहासकारों के अनुसार यह अधिवेशन किसान चेतना को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- इसके परिणामस्वरूप कर्नाटक और देश के अन्य भागों में खादी का प्रसार हुआ, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा मिला तथा कांग्रेस के नेतृत्व वाली पहलों में किसानों की भागीदारी को भी बढ़ावा मिला।