New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

हड़प्पा सभ्यता के 100 वर्ष

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू)

संदर्भ 

हाल ही में, हड़प्पा सभ्यता के अन्वेषण की घोषणा के 100 वर्ष पूर्ण हुए।

हड़प्पा सभ्यता की खोज 

  • 100 वर्ष पूर्व 20 सितंबर, 1924 को ‘द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़’ द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालीन महानिदेशक जॉन मार्शल के प्रकाशित एक लेख में ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ के खोज की घोषणा की गई थी। 
  • सिंधु घाटी सभ्यता के तहत पहले खोजे गए स्थल ‘हड़प्पा’ के नाम पर इस कांस्ययुगीन सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है। वर्तमान में हड़प्पा स्थल पाकिस्तान में अवस्थित है।
  • वर्तमान में सिंधु घाटी सभ्यता भारत, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में 1.5 मिलियन वर्ग किमी. में फैली हुई है।
  • इस खोज का श्रेय दो पुरातत्वविदों दयाराम साहनी और रखाल दास बनर्जी को दिया जाता है। 
    • सर्वप्रथम वर्ष 1921-22 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया जिसमें उन्हें मुहरें, चित्रित मृद्भांड एवं मोती प्राप्त हुए थे। 
    • वर्ष 1922 में रखाल दास बनर्जी ने आधुनिक पाकिस्तान में स्थित मोहनजोदड़ो का उत्खनन प्रारंभ किया जहाँ से मुहरें, मृद्भांड एवं तांबे के उत्पाद पाए गए।
  • जून 1924 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालीन महानिदेशक जॉन मार्शल ‘साहनी एवंबनर्जी’ द्वारा खोजे गए स्थलों से पाई गई वस्तुओं में समानता से चकित थे जबकि दोनों स्थल एक-दूसरे से लगभग 640किमी.दूरस्थितथे।
  • इस दौरान ही मार्शल ने समानताओं की व्याख्या करते हुए लंदन के समाचार पत्र में ‘सिंधु घाटी की सभ्यता’ की खोज की घोषणा की।

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ 

विशाल सभ्यता 

  • हड़प्पा सभ्यता को सामान्यतया निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जाता है- 
    • प्रारंभिक चरण (लगभग 3200 ईसा पूर्व से 2600 ईसा पूर्व) : प्रारंभिक बस्तियां एवं सांस्कृतिक विकास
    • परिपक्व चरण (2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व) : अतिशहरीकरण एवं तकनीकी नवाचार
    • परवर्ती चरण (1900 ईसा पूर्व से लगभग 1500 ईसा पूर्व) : क्रमिक गिरावट एवं अंततः पतन
  • इस सभ्यता के पाँच प्रमुख स्थलों में शामिल हैं-
    • मोहनजोदड़ो
    • हड़प्पा
    • गंवरीवाला 
    • राखीगढ़ी 
    • धोलावीरा 
  • गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित उत्तर-पश्चिमी भारत में इस सभ्यता के लगभग 1,500 से 2,000 स्थल हैं। महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के तट पर स्थित दैमाबाद गाँव हड़प्पा सभ्यता का दक्षिणतम स्थल है।
  • यह सभ्यता मुख्यत: सिंधु एवं सरस्वती नदियों के तट पर विकसित हुई थी।

व्यापार एवं वाणिज्य

हड़प्पा सभ्यता भारत का पहला शहरी समाज था जिसने अन्य देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए। इस सभ्यता ने भविष्य की सभ्यताओं के लिए बाहरी दुनिया से जुड़ने और आधुनिक वैश्वीकरण की नींव रखी।

तकनीकी विकास 

अपनी समृद्धि के चरम पर यह सभ्यता एक ‘तकनीकी महाशक्ति’ के रूप में स्थापित थी जो शहरी नियोजन, जल संचयन, जलाशयों, स्टेडियमों, गोदामों, सीवेज प्रणालियों, विशाल किलेबंदी वाली दीवारों, समुद्री नावों के निर्माण, कांस्य एवं तांबे की कलाकृतियों के निर्माण तथा मोती, चित्रित मृद्भांड व टेराकोटा उत्पाद बनाने में उत्कृष्ट थी।

हड़प्पाई लिपि 

  • यहाँ के कारीगरों ने स्टीटाइट की मुहरें निर्मित की और यथार्थवादी मानव एवं पशु रूपांकनों को एक लिपि के साथ उत्कीर्ण किया।
  • हड़प्पा लिपि की खोज सबसे पहले वर्ष 1853 में हुई थी किंतु इसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। 
  • यह मुख्य रूप से 400-500 चिह्नों के साथ चित्रात्मक है और इसे बुस्ट्रोफेडन शैली (दाएं-बाएं एवं बाएं-दाएं पंक्तियों में बारी-बारी से) में लिखा गया है।

समाज

हड़प्पा सभ्यता, विशेष रूप से परिपक्व चरण के दौरान, मध्यम वर्ग की आबादी के साथ बड़े पैमाने पर शहरी थी। अलग-अलग आवासीय संरचनाओं के आधार पर सामाजिक भेदभाव की उपस्थिति का पता चलता है।

राजनीतिक व्यवस्था 

हड़प्पा सभ्यता का राजनीतिक ढाँचा अभी तक स्पष्ट नहीं है। संभवत: यह एक केंद्रीकृत ‘सिंधु साम्राज्य’ या कई स्वतंत्र राज्य में विभाजित था। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंग एवं लोथल जैसे शहर अलग-अलग राजधानियों के रूप में काम करने की संभावना व्यक्त की गई है।

धर्म

कई टेराकोटा महिला मूर्तियाँ मातृदेवी की भक्ति का सुझाव देती हैं। पशुपति की मुहर एक पुरुष देवता की पूजा की ओर संकेत करती है जिसकी पहचान पशुपति महादेव या प्रोटो-शिव के रूप में की गई है।

पूर्ववर्ती सभ्यताओं के समकालीन 

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज ने मिस्र एवं मेसोपोटामिया के अलावा एशिया में एक अन्य प्राचीन सभ्यता को जोड़ने के साथ ही 3000 ईसा पूर्व से पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा सभ्यता के समुद्री संपर्कों को उजागर किया। इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता इरावतम महादेवन ने दावा किया है कि यह सभ्यता आर्य-पूर्व एवं गैर-आर्य दोनों प्रकार की थी।

सभ्यता का पतन 

आकस्मिक पतन का सिद्धांत 

  • विदेशी आक्रमण : गार्डन चाइल्ड, मार्टिमर व्हीलर एवं स्टुअर्ट पिगॉट के अनुसार आर्यों का आक्रमण इस सभ्यता के पतन का मुख्य कारण था। 
  • प्राकृतिक कारण : जेम्स मार्शल के अनुसार प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे- बाढ़, नदी मार्ग में परिवर्तन, विवर्तनिक विक्षोभ, अग्नि का प्रकोप एवं भूमि का शुष्क होना इस सभ्यता के पतन के लिए जिम्मेदार थीं। 
    • वर्तमान में जेम्स मार्शल का सिद्धांत व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

क्रमिक पतन का सिद्धांत 

  • नगर नियोजन का ह्रास
  • शहरी चरण से ग्रामीण संस्कृति में परिवर्तन 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X