जैव विविधता पर अभिसमय के पक्षकारों का 16वां सम्मेलन 21 अक्टूबर से कोलंबिया के कैली में शुरू हुआ
जैविक विविधता पर अभिसमय
यह कानूनी रूप से बाध्यकारी एक बहुपक्षीय संधि है।
इस संधि पर जून 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किये गए थे।
यह संधि दिसंबर 1993 से लागू हुई।
इस अभिसमय के पक्षकारों के सम्मेलन (CoP) का पहला सत्र वर्ष 1994 में नासाओ, बहामास में आयोजित किया गया था।
इस अभिसमय के तीन मुख्य लक्ष्य हैं-
जैव विविधता का संरक्षण,
जैव विविधता के घटकों का सतत् उपयोग तथा
आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण।
जैविक विविधता पर अभिसमय के अंतर्गत दो प्रमुख प्रोटोकॉल हैं -
कार्टाजेना प्रोटोकॉल (Cartagena Protocal)
नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol)
कार्टाजेना प्रोटोकॉल
यह जैव सुरक्षा पर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है
इसका उद्देश्य आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी से उत्पन्न जीवित संशोधित जीवों (Living Modified Organisms के सुरक्षित संचालन, परिवहन और उपयोग को सुनिश्चित करना है।
इसे वर्ष 2000 में अपनाया गया और वर्ष 2003 में लागू किया गया।
नागोया प्रोटोकॉल
इसे आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच और उनके उपयोग से होने वाले लाभों के उचित एवं न्यायसंगत साझाकरण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अपनाया गया था।
इसे वर्ष 2010 में अपनाया गया और वर्ष 2014 में लागू किया गया।
प्रश्न - जैव विविधता पर अभिसमय के पक्षकारों का 16वां सम्मेलन कहाँ आयोजित हो रहा है ?