चर्चा में क्यों
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने यह स्वीकार किया है कि पकिस्तान ने भारत के साथ 1999 लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन किया है।

क्या है 1999 लाहौर घोषणापत्र
पृष्ठभूमि
- घरेलू दबाव और बदलती भूराजनीति ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद 11 व 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण (ऑपरेशन शक्ति) करने के लिए मजबूर किया था।
- भारत के परीक्षण के जवाब में, 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किए थे, जिसके बाद से भारत एवं पाकिस्तान के मध्य तनाव की स्थिति बन गई थी।
- इस तनाव को दूर करने के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मध्य लाहौर में एक शांति समझौता हुआ था।
- शांति समझौते के अंतर्गत, 21 फरवरी, 1999 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए थे।
- उसी वर्ष दोनों देशों की संसदों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी।
उद्देश्य
- इस समझौते का उद्देश्य “दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता लाना” था।
समझौते की शर्तें
- समझौते की शर्तों के तहत, परमाणु शस्त्रागार के विकास और परमाणु हथियारों के आकस्मिक और अनधिकृत परिचालन उपयोग से बचने की दिशा में एक आपसी सहमती बनी थी।
- लाहौर घोषणा ने दोनों देशों के नेतृत्व को परमाणु दौड़, साथ ही गैर-पारंपरिक और पारंपरिक दोनों संघर्षों से बचने की जिम्मेदारी दी थी।
शर्तों का उल्लंघन
- शांति समझौते के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ की, जिसके कारण कारगिल युद्ध हुआ।
- कारगिल युद्ध, लाहौर घोषणापत्र की शान्ति शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन था।
- वर्तमान में, कारगिल युद्ध के 25 वर्षों बाद पाकिस्तान ने अपनी गलती स्वीकार की है।