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एन.बी.एफ.सी. के लिये 4-स्तरित ढाँचा (4-Layered Framework for NBFC)

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की वित्तीय प्रणाली में किसी भी प्रणालीगत जोखिम की पुनरावृत्ति को रोकने के उद्देश्य से गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) के लिये ‘पैमाना आधारित संशोधित नियामक और पर्यवेक्षी ढाँचे’ पर एक चर्चा पत्र जारी किया है।

मुख्य बिंदु

  • इस फ्रेमवर्क को पिरामिड जैसी संरचना के रूप में परिकल्पित किया गया है, जिसके प्रत्येक स्तर पर
  • विनियमित संस्थाओं को उनकी परिसंपत्ति के आकार, देनदारियों के प्रकार तथा उनके सापेक्ष प्रणालीगत महत्त्व के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। संशोधित नियामक ढाँचा चार-स्तरीय संरचना- आधार स्तर (Base Layer), मध्य स्तर (Middle Layer), ऊपरी स्तर (Upper Layer) और शीर्ष स्तर (Top Layer) पर आधारित होगा।
  • आधार स्तर में न्यूनतम विनियामक हस्तक्षेप वाले प्रणालीगत रूप से गैर-महत्त्वपूर्ण (Non-Systemically Important) गैर-जमा प्राप्तकर्ता एन.बी.एफ.सी.(NBFC-ND-SI), पी.2पी. ऋणदाता प्लेटफार्मों, एन.बी.एफ.सी. अकाउंट एग्रीगेटर (NBFCAA), नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (NOFHC) और टाइप-I के रूप में वर्गीकृत एन.बी.एफ.सी. शामिल होंगी।
  • मध्य स्तर के अंतर्गत वर्तमान में प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण गैर-जमा प्राप्तकर्ता (NBFC-ND-SI), जमा प्राप्तकर्ता (NBFC-D), हाउसिंग फाइनेंस कंपनी, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी तथा कोर इंवेस्टमेंट कंपनियों (CICs) आदि के रूप में वर्गीकृत एन.बी.एफ.सी. को शामिल किये जाने का सुझाव है। इसमें आधार स्तर की अपेक्षाकृत विनियामक हस्तक्षेप अधिक होगा।
  • ऊपरी स्तर के रूप में वर्गीकृत की जाने वाली संस्थाओं की पहचान के लिये पैरामीट्रिक विश्लेषण किया जाएगा। इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक पैरामीटर / पर्यवेक्षी निर्णय शामिल होंगे। मात्रात्मक मापदंडों का भार 70% होगा, जबकि गुणात्मक मापदंडों / पर्यवेक्षी इनपुट का भार 30% होगा। जिसके आधार पर प्रणालीगत जोखिम से उभरने में सक्षम एवं वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करने की क्षमता वाली व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण एन.बी.एफ.सी. को शामिल किया जाएगा। यह विनियमन के लिये एक नया स्तर होगा,  जिनके लिये विनियामक ढाँचा बैंक के समान होगा।
  • पर्यवेक्षी निर्णय व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण कुछ एन.बी.एफ.सी. को उच्च विनियमन या पर्यवेक्षण के लिये ऊपरी स्तर से बाहर कर सकता है। जिन्हें शीर्ष स्तर पर शामिल किया जाएगा। पर्यवेक्षकों द्वारा विशिष्ट एन.बी.एफ.सी. के संबंध में विचार करने तक यह स्तर रिक्त रहेगा।
  • प्रणालीगत महत्त्व के लिये 500 करोड़ की वर्तमान सीमा को संशोधित कर 1,000 करोड़ करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे 180 दिनों का मौजूदा एन.पी.ए. वर्गीकरण मान 90 दिनों तक कम हो जाएगा।
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