(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
19 अप्रैल 2025 को भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह 'आर्यभट्ट' के प्रक्षेपण के 50 वर्ष पूर्ण हुए।

आर्यभट्ट उपग्रह के बारे में
- उपग्रह का नाम: उपग्रह का नाम प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया।
- उस समय इस सफल प्रक्षेपण के बाद भारत उपग्रह को कक्षा में भेजने वाला विश्व का 11वां देश बन गया था।
- सहयोगी देश : यह प्रक्षेपण भारत और सोवियत संघ के बीच वर्ष 1972 में हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत किया गया था।
- प्रक्षेपण तिथि: 19 अप्रैल 1975
- प्रक्षेपण स्थल: कपुस्टिन यार, सोवियत संघ
- मिशन की अवधि : 5 वर्ष, 11 महीने
- प्रक्षेपण यान: कोसमोस-3एम
- निर्माता: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
- प्रमुख उद्देश्य :
- अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रयोग, विशेष रूप से एक्स-रे खगोलशास्त्र
- सौर न्यूट्रॉन और गामा किरणों का अवलोकन
- ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन
तकनीकी विशेषताएँ
- डिजाइन एवं वजन : आर्यभट्ट को 26 भुजाओं वाले बहुफलक के रूप में डिजाइन किया गया था जिसका व्यास 1.4 मीटर था और आकार अर्ध-गोलाकार था।
- वजन : 360 किलोग्राम
- ऊर्जा स्रोत : सौर पैनल और निकेल-कैडमियम बैटरी
- कक्षा : पृथ्वी की निम्न कक्षा (Low Earth Orbit)