प्रारम्भिक परीक्षा – गुजरात के कच्छ में 5,200 साल पुरानी हड़प्पा बस्ती की खोज मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-1 (इतिहास - सिन्धु घटी सभ्यता) |
संदर्भ
हाल ही में केरल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने गुजरात के कच्छ में 5,200 साल पुरानी हड़प्पा बस्ती की खोज की।
प्रमुख बिंदु :-
- यह खोज गुजरात में एक प्रारंभिक हड़प्पा क़ब्रिस्तान जूना खटिया की खोज के दौरान की गई।
- इस खोज में टेराकोटा मिट्टी के बर्तन मिले हैं।
- इस साइट पर पुरातात्विक भंडार लगभग 200mx200m के क्षेत्र में स्थित दो अलग-अलग इलाकों में विभिन्न समूहों में पाए गए हैं।
- इस खोज में एक गोलाकार संरचना के अवशेष और विभिन्न आकार की अन्य आयताकार संरचनाओं के अवशेष मिले हैं
- यह अवशेष स्थानीय रूप से उपलब्ध बलुआ पत्थर और शैलों से बने हैं।
- यहाँ से प्राप्त अवशेष टेराकोटा चीनी मिट्टी के बर्तन, कलाकृतियां और जानवरों की हड्डियाँ हैं
- इन मिट्टी के बर्तनों में बड़े भंडारण जार से लेकर छोटे कटोरे और बर्तन शामिल हैं।
- यह अवशेष प्रारंभिक हड़प्पा काल लगभग 3200 ईसा पूर्व से लेकर उत्तर हड़प्पा काल 1700 ईसा पूर्व तक के हैं।
- यह स्थल पद्टा बेट की पहाड़ की चोटी पर स्थित है।
- पहाड़ी के पास बहने वाली एक छोटी सी जलधारा इस स्थल पर समृद्ध अवधि के दौरान पानी का एक सक्रिय स्रोत थी।
सिन्धु घटी सभ्यता:-
- इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
- इस सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने वर्ष 1921में की।
- इस सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2350 ई० पू० से 1750 ई० तक मानी गयी है।
- इस सभ्यता को आद्यऐतिहासिक (Protohistoric) अथवा कास्य (Bronze) युग में रखा गया है।
- इस सभ्यता का भारत में विस्तार पश्चिमी में सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्व में आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश), उत्तर में माँदा (जिला अखनूर जम्मू-कश्मीर) तथा दक्षिणी में दाइमाबाद (जिला अहमद नगर, महाराष्ट्र) तक था।
- यह एक नगरीय सभ्यता थी।
- इस सभ्यता के 6 को ही बड़े नगर :- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी एवं कालीबंगन हैं।
- हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए।
- सिन्धु घटी सभ्यता के प्रमुख बन्दरगाह लोथल एवं सुतकोतदा थे।
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थल:-
1. हड़प्पा:-
- इस स्थल की खोज वर्ष 1921-23 में दयाराम साहनी ने की थी।
- यह स्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।
- इस स्थल की मुहरों पर एक श्रृंगी पशु का चित्रण मिलता है।
- इस स्थल से स्वास्तिक चिन्ह के साक्ष्य मिले हैं।
- यहाँ से, अन्नागार, बैलगाड़ी, मानव की बलुआ पत्थर की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं।
- इस सभ्यता में शवों को दफनाने की प्रवृत्ति प्रचलित थी।
2. मोहनजोदड़ो:-
- इस स्थल की खोज वर्ष 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी।
- यह स्थल पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित था।
- इस स्थल को मृतकों का टीला कहा जाता है।
- यहाँ से कांस्य की एक नर्तकी की मूर्ति, वृहद स्नानागार, अन्नागार, तीन मुख वाले देवता पशुपतिनाथ की मूर्ति आदि प्राप्त हुई है।
3.रोपड़:-
- इस स्थल की खोज यज्ञदत्त शर्मा द्वारा वर्ष 1953-54 में की गई।
- यह स्थल पंजाब के रोपड़ जिला में सतलज नदी के किनारे स्थित है।
- इस स्थल के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।
- यहाँ से कब्रिस्तान में मनुष्य के साथ पालतू कुत्तों को दफनाए जाने के प्रमाण भी मिले हैं।
4. रंगपुर:-
- इस स्थल की खोज रंगनाथ राव द्वारा वर्ष 1953-54 में की गई।
- यह गुजरात के कठियावाड़ जिला में मादर नदी के किनारे स्थित है।
- यहाँ से भी चावल के दाने मिले हैं।
- इससे यहाँ धान की खेती होने का साक्ष्य मिलता है।
5.कालीबंगा:-
- कालीबंगा का अर्थ है-काली चूड़ियां।
- इस स्थल की खोज बी. बी. लाल एवं बी. के. थापर ने वर्ष 1961 में की थी।
- यह स्थल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के किनारे स्थित है।
- यहाँ से अग्नि कुण्ड, वेदिकाएं, जुते हुए खेत, नक्काशीदार ईंट आदि प्राप्त हुए हैं।
6.लोथल:-
- इस स्थल की खोज रंगनाथ राव द्वारा वर्ष 1954 में की गई।
- यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
- यहाँ से चावल के दाने, मनके बनाने का कारखाने, घोड़े की अस्थि पंजर आदि प्राप्त हुए हैं।
- यह स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह था।
7.चन्हुदड़ो:-
- इस स्थल की खोज वर्ष 1931 में गोपाल मजूमदार ने की थी।
- यह स्थल सिंधु नदी के किनारे स्थित था।
- यहाँ से मनके बनाने का कारखाने प्राप्त हुए हैं
- यह एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां से वक्राकार ईट प्राप्त हुए हैं।
8.सुतकांगडोर :-
- इस स्थल की खोज वर्ष 1927 में ऑरेंज स्टाइल एवं वर्ष 1962 में जॉर्ज डेल्स ने की थी।
- यह स्थल दाश्क नदी के किनारे पाकिस्तान के मकरान तट पर स्थित था।
9.बनवाली:-
- इस स्थल की खोज रविंद्र सिंह बिष्ट ने वर्ष 1973 में की थी।
- यह स्थल हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती नदी के किनारे स्थित था।
- यहाँ से मनके,जौ एवं हड़प्पा पूर्व तथा हड़प्पा संस्कृतियों के साक्ष्य मिले हैं।
10.धोलावीरा:-
- इस स्थल की खोज वर्ष 1967 जे.पी. जोशी द्वारा तथा खुदाई आर.एस. बिष्ट(1985) द्वारा की गई।
- यह गुजरात में कच्छ के रण में स्थित।
- यहाँ से जल निकासी प्रबंधन एवं जल कुंड के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- इस स्थान पर सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा अभिलेख मिला है, जिसमें 9 वर्ण हैं।
प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में केरल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा भारत में किस राज्य में 5,200 साल पुरानी हड़प्पा बस्ती की खोज की गई है?
(a) राजस्थान
(b) हरियाणा
(c) गुजरात
(d) पंजाब
उत्तर (c)
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