(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)
चर्चा में क्यों
भारत 25 जून से 27 जून, 2024के बीच नई दिल्ली में चीनी क्षेत्र के एक वैश्विक कार्यक्रम ‘अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठनपरिषद की 64वीं बैठक’ की मेजबानी कर रहा है।
चीनी और जैव ईंधन क्षेत्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हो रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (International Sugar Organization:ISO) के बारे में
आई.एस.ओ. एक संयुक्त राष्ट्र संबद्ध निकाय है जिसका मुख्यालय लंदन में है।
आई.एस.ओ. के लगभग 85 देश सदस्य हैं जो दुनिया में चीनी उत्पादन का लगभग 90% कवर करते हैं।
उद्देश्य : चीनी क्षेत्र से संबंधित मुद्दों से निपटने में आपसी समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण लाने के लिए प्रमुख चीनी उत्पादक, उपभोक्ता और व्यापारिक देशों को एक साथ लाना
आई.एस.ओ. जैव ईंधन, विशेष रूप से इथेनॉल पर भी काम कर रहा है, क्योंकि गन्ना दुनिया में इथेनॉल उत्पादन के लिए दूसरा प्रमुख फीडस्टॉक है।
भारत द्वारा मेजबानी एवं कार्यक्रम
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए आई.एस.ओ. परिषद ने भारत को वर्ष 2024 के लिए संगठन का अध्यक्ष नामित किया है।
भारत उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक अनाज आधारित डिस्टिलरी में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के औद्योगिक दौरे के साथ कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर रहा है, ताकि भारत द्वारा जैव ईंधन और अन्य उप-उत्पादों के उत्पादन में नवीनतम तकनीक को अपनाने का प्रदर्शन किया जा सके।
भारत मंडपम में ‘चीनी और जैव ईंधन - उभरते परिदृश्य’ नामक एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, भारतीय चीनी मिलों के शीर्ष प्रबंधन, ISMA और NFCSF जैसे उद्योग संघों के साथ-साथ तकनीकी विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
महत्त्व
इसका उद्देश्य वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन को मजबूत करना है, जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के प्रयास के रूप में दुनिया में टिकाऊ जैव ईंधन के विकास और इसे अपनाने को बढ़ावा देने के लिए देशों को एक साथ लाता है।
आई.एस.ओ. और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के कई सदस्य देश समान हैं और यह गठबंधन का विस्तार करने एवं जैव ईंधन को बढ़ावा देने का एक और मंच हो सकता है।