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ओडिशा में आठ वर्षों में 698 हाथियों की मौत

प्रारम्भिक परीक्षा – जैव-विविधता
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ

  • पिछले आठ वर्षों में ओडिशा में लगभग 698 हाथियों की मौत हो गई ।

हाथियों के मौत का कारण

  • हाथियों के मौत का कारण  बीमारी, बिजली के झटके, ट्रेन से टकराने, सड़क दुर्घटना, अवैध शिकार और जहर है।
  • इस अवधि के दौरान विभिन्न कारणों से कुल 48 तेंदुओं और सात रॉयल बंगाल बाघों की भी मौत हो गई।

हाथियों तथा अन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे कार्य

  • राज्य सरकार हाथियों, तेंदुओं और रॉयल बंगाल बाघों की मौत को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है, जिसमें उनके आवासों की रक्षा करना, शिकार का आधार बनाना, जंगलों के अंदर जल निकायों का विकास शामिल है। 
  • जंगल की आग से निपटना, अवैध शिकार विरोधी शिविर लगाना, जंगलों में लगातार गश्त के लिए विशेष दस्तों की तैनाती तथा हाथियों एवं शिकारियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना।
  • वन मंत्री के अनुसार, पिछले पांच वर्षों-2018-19 से 2022-23 में हाथियों के हमलों ने 602 लोगों की जान ले ली है।
  • 2017 में हुई आखिरी हाथी जनगणना के अनुसार, ओडिशा में हाथियों की संख्या 1,796 आंकी गई थी।
  • ओडिशा सरकार ने अपने आवासों के भीतर जंबो की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए हाथी गलियारों का नए सिरे से सर्वेक्षण करने का फैसला किया है।
  • उड़ीसा उच्च न्यायालय ने बिजली के झटके से हाथियों की मौत की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की तथा ओडिशा में चार बिजली वितरण कंपनियों को उन मानव बस्तियों का सर्वेक्षण करने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था जहां जंगली जानवरों द्वारा हमले और फसल विनाश हुआ था।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से भारत में हाथियों के मौत के कारणों के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिए :

  1. ट्रेन एवं सड़क दुर्घटना से 
  2. बीमारी एवं बिजली के झटके से 
  3. अवैध शिकार तथा जहर देने से 

उपर्युक्त में से कितने कथन सही है?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (c)

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