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CURRENT AFFAIRS

सशक्त एम.एस.एम.ई. (MSME) भविष्य की संवृद्धि के वाहक 

24-Dec-2020

कोविड-19 महामारी के कारण सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग (MSMEs) बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प रहीं, जिससे अनेक लघु उद्योग गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं

कीटों की दुनिया : पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्व 

24-Dec-2020

कीट सभी स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिये जैविक नींव के रूप में कार्य करते हैं। इन्हें सिर्फ हानिकारक समझना पारिस्थितिकी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिये भी लाभदायक नहीं है।

कॉप-15 के पाँच वर्ष

23-Dec-2020

हाल ही में, पेरिस समझौते (2015) को पाँच वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर भारत और यूरोपीय संघ सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ‘जलवायु परिवर्तन तथा इसके दुष्प्रभावों से निपटने की दिशा में किये गए प्रयासों और आगे की रणनीति’ पर विचार-विमर्श के लिये ‘जलवायु महत्त्वाकांक्षी शिखर सम्मेलन-2020’ में एकत्रित हुए। 

वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान, 2019

23-Dec-2020

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान (Global Health Estimates), 2019 जारी कियेहैं। इस अनुमान में वर्ष 2000 से 2019 तक की अवधि के स्वास्थ्य संबंधी आँकड़ो को शामिल किया गया है।

लीजन ऑफ़ मेरिट

23-Dec-2020

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘लीजन ऑफ़ मेरिट’ से सम्मानित किया है।

शुष्क इलाकों में जलभृत मानचित्रण

23-Dec-2020

हाल ही में, उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क इलाकों में हाई-रिज़ॉल्यूशन मानचित्रण और प्रबंधन के लिये केंद्रीय भूजल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय और एन.जी.आर.आई. (NGRI), हैदराबाद के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं।

रो-रो तथा नौकायन के लिये नए मार्गों की पहचान

23-Dec-2020

हाल ही में, बंदरगाह, जहाज़रानी एवं जलमार्ग मंत्रालय नेरो-रो (RO-RO) तथा नौकायन सेवाओं के लिये नए मार्गों की पहचान की है।

तेंदुओं की स्थिति पर रिपोर्ट

23-Dec-2020

हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ‘भारत में तेंदुओं की स्थिति पर रिपोर्ट’ जारी की।

उष्णकटिबंधीय मोंटेन घास के मैदान (Tropical Montne Grasslands)

23-Dec-2020

पश्चिमी घाट के शोला स्काई द्वीप में उष्णकटिबंधीय मोंटेन घास के मैदानों (टी.एम.जी.) में कई प्रकार के स्थानिक पौधों, पक्षियों, उभयचरों और स्तनधारियों की संख्या में विदेशज प्रजाति के वृक्षों जैसे बबूल, चीड़ और यूकेलिप्टस के आक्रमण के कारण बड़ी मात्रा में गिरावट दर्ज़ की गई है।

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