2 मार्च 2023 को सरोजिनी नायडू की 74वीं पुण्यतिथि है।
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ था।
इनके पिता, अघोरनाथ चट्टोपाध्याय, एक बंगाली ब्राह्मण थे, जो हैदराबाद में निज़ाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे।
सरोजिनी नायडू की जयंती को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस (13 फरवरी) के रूप में भी मनाया जाता है
सरोजिनी नायडू की शिक्षा मद्रास, लंदन और कैम्ब्रिज में हुई।
1905 में, वह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं और महात्मा गांधी और उनके स्वराज के विचार की अनुयायी बन गईं।
1917 में एनी बेसेंट द्वारा स्थापित भारतीय महिला संघ की स्थापना में सरोजिनी नायडू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली वे पहली भारतीय महिला थीं।
1930 में नमक मार्च (दांडी यात्रा) में भाग लेने के लिए उन्हें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मदन मोहन मालवीय सहित अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया।
सरोजिनी नायडू नें 1931 में महात्मा गांधी के साथ दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया।
वे सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल प्रमुख महिलाओं में से एक थीं।
सरोजिनी नायडू को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बार-बार गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा, वह लगभग 21 महीने तक जेल में भी रहीं।
सरोजिनी नायडू 1947 में संयुक्त प्रांत की राज्यपाल बनीं, भारत में राज्यपाल का पद संभालने वाली पहली महिला हैं।
एक कवि के रूप में उनकी कविता के रंग, कल्पना और गीतात्मक गुणवत्ता के कारण महात्मा गांधी द्वारा उन्हें 'द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया', या 'भारत कोकिला' की उपाधि दी गयी।
बहुत कम उम्र में ही उन्होंने 1300 पंक्तियों की एक कविता 'लेडी ऑफ़ द लेक' लिखी।
उन्होंने अपने फ़ारसी-भाषा के नाटक 'माहेर मुनीर' के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की।
1912 में प्रकाशित 'हैदराबाद के बाज़ारों में' उनकी सबसे लोकप्रिय कविताओं में से एक है।
प्रमुख रचनाएँ - द गोल्डन थ्रेसहोल्ड (1905), द बर्ड ऑफ़ टाइम (1912), द सैप्ट्रेड फ्लूट (1928) द फेदर ऑफ़ द डॉन (1961)।
2 मार्च, 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हो गया।