प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गिर में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की
प्रमुख बिंदु :-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NWB) की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की।
इस बैठक में वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और टेक्नोलॉजी के उपयोग पर व्यापक चर्चा हुई।
बैठक में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गईं, जिनका उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा, मानव-पशु संघर्ष का समाधान और प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना है।
प्रमुख घोषणाएँ और पहल
नदी डॉल्फिन संरक्षण: पहली बार अनुमान रिपोर्ट जारी
भारत में नदी डॉल्फिन की कुल संख्या 6,327 दर्ज की गई।
सर्वेक्षण 8 राज्यों की 28 नदियों में किया गया।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक डॉल्फिन, उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में पाई गईं।
डॉल्फिन संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों और स्कूली बच्चों की जागरूकता बढ़ाने की योजना।
2025 में शेरों की गणना का 16वां चक्र शुरू होगा।
बर्दा वन्यजीव अभयारण्य(पोरबंदर ) में शेर संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा।
जूनागढ़ में वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय रेफरल सेंटर स्थापित होगा।
यह केंद्र वन्यजीवों के स्वास्थ्य की निगरानी और शोध में मदद करेगा।
कोयंबटूर (SACON) में मानव-वन्यजीव संघर्ष के समाधान हेतु उत्कृष्टता केंद्र स्थापित होगा।
यह केंद्र आधुनिक ट्रैकिंग सिस्टम, पूर्व चेतावनी और निगरानी तकनीकों से लैस होगा।
चीता पुनर्वास: नए क्षेत्रों में विस्तार
मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों में चीते लाए जाएंगे।
घड़ियाल संरक्षण के लिए नई परियोजना
घड़ियालों की घटती संख्या को देखते हुए विशेष संरक्षण योजना शुरू की जाएगी।
राष्ट्रीय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण कार्य योजना
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नई कार्ययोजना लागू की जाएगी।
जंगल की आग और वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन में आधुनिक तकनीक
रिमोट सेंसिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग बढ़ाया जाएगा।
जंगल की आग की पूर्वानुमान, रोकथाम और नियंत्रण के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) और BISAG-N के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
बाघ संरक्षण के लिए नई पहल
बाघ अभयारण्यों के बाहर मानव-बाघ संघर्ष को कम करने के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
भारत के पारंपरिक ज्ञान और पांडुलिपियों का संरक्षण और AI की मदद से दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
गिर शेरों और तेंदुओं की सफलता की कहानी को अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में लागू किया जाएगा।
वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन में औषधीय पौधों की भूमिका को मजबूत किया जाएगा।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife - NBWL)
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) भारत सरकार का एक शीर्ष वैधानिक निकाय है, जो वन्यजीव संरक्षण और संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने में सहायता करता है।
इसका गठन वर्ष 2003 में केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WLPA) की धारा 5-ए के तहत किया गया है।
मुख्य कार्य:-
वन्यजीव संरक्षण नीतियों का निर्माण
राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों की निगरानी
वन्यजीव परियोजनाओं और योजनाओं को मंजूरी देना
मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के उपायों पर सुझाव देना
लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए रणनीतियाँ विकसित करना
संगठन की संरचना:
यह 47 सदस्यीय समिति है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री इसके उपाध्यक्ष हैं ।
वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़े कार्यालयों और संस्थानों के अलावा, एनबीडब्ल्यूएल में सेना प्रमुख, रक्षा सचिव, भारत सरकार के व्यय सचिव भी सदस्य हैं।
इसके अलावा, केंद्र सरकार 10 सदस्यों को नामित करती है जो प्रख्यात संरक्षणवादी, पारिस्थितिकीविद् और पर्यावरणविद् होते हैं
अपर वन महानिदेशक (वन्यजीव संरक्षण) एवं निदेशक, वन्यजीव संरक्षण बोर्ड के सदस्य-सचिव हैं।
प्रश्न - राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) का गठन कब हुआ था ?