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कल्याणकारी योजनाओं में चुनौती बनता आधार

 (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2; विषय-शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष)

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायलय ने आधार कार्ड से लिंक न होने के कारण 3 करोड़ राशनकार्ड रद्द किये जाने संबंधी मुद्दे को ‘अत्याधिक गंभीर’ बताया है। साथ ही,  न्यायलय ने इस मामले में केंद्र व राज्य सरकारों से जवाब भी माँगा है।

क्या है मुद्दा?

  • झारखंड की कोइली देवी ने सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर यह आरोप लगाया कि आधार डाटाबेस से लिंक न होने के कारण आदिवासियों एवं गरीबों के लगभग 3 करोड़ राशन कार्ड बिना किसी पूर्व-सूचना के रद्द कर दिये गए।
  • इस कारण कुछ राज्यों में लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्राप्त होने वाले खाद्यान्न कोटे से वंचित हो गए और उन्हें भुखमरी का सामना करना पड़ा। विदित है कि याचिकाकर्ता ने अपनी 11 वर्षीय बेटी की वर्ष 2018 में हुई मृत्यु का कारण भुखमरी को बताया था, जिस पर सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा था।

आधार डाटाबेस लिंक में विफलता संबंधी मुद्दे

  • भारतीय विशिष्ट पहचान योजना अर्थात् आधार योजना वर्ष 2009 में शुरू की गई थी। नवीनतम आँकड़ों से यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत की लगभग 90% आबादी को आधार संख्या प्रदान की गई है।
  • वर्तमान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा, एल.पी.जी. सब्सिडी तथा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार संख्या को बैंक खातों तथा अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों से लिंक करना अनिवार्य है।
  • ऐसे में, अनेक बार आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) तथा आधार लिंक्ड बैंक खातों के बायोमेट्रिक सत्यापन एवं अपडेट होने में विफलता के कारण गरीब वर्ग विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के वैध पात्र होने के बावजूद उनका लाभ नहीं उठा पाते।
  • बायोमेट्रिक सत्यापन में विफलता के कारण पात्र व्यक्तियों को या तो योजनाओं का लाभ प्राप्त ही नहीं होता अथवा देर से प्राप्त होता है। कई बार तो सत्यापन में विफलता के कारण लाभार्थी का नाम ही रद्द कर दिया जाता है।

आधार सत्यापन की विफलता के कारण

  • ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सुविधाओं के पर्याप्त विकास न होने के कारण प्रायः आधार को ग़ैर-अधिकृत घोषित कर दिया जाता है।
  • उन्नत तकनीक के अभाव में कई बार उपयोगकर्ताओं के अँगूठे के निशान व आईरिस पैटर्न आधार प्रणाली में संकलित होने के बावजूद बायोमेट्रिक सत्यापन विफल हो जाता है अथवा गलत परिणाम प्रदर्शित करता है।
  • वस्तुतः मज़दूर एवं आदिवासी वर्ग अधिकांशतः शारीरिक श्रम आधारित कार्यों में संलग्न रहते हैं, जिस कारण उनके अँगूठे या उंगुलियों के निशान प्रायः मिट जाते हैं, परिणामस्वरूप उनका बायोमेट्रिक सत्यापन विफल हो जाता है।
  • हालाँकि, पहचान-पत्र के रूप में आधार कार्ड के उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है, किंतु निम्न वर्गों में अभी भी व्यापक स्तर पर इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
  • अनेक बार तो आधार कार्ड या आधार संख्या के खो जाने के कारण भी राशन कार्ड रद्द होने या लाभ से वंचित होने के उदाहरण देखने को मिलते हैं।

सर्वोच्च न्यायलय का पक्ष

  • वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायलय ने आधार प्रणाली को मान्यता प्रदान करते हुए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार नामांकन को अनिवार्य बना दिया था।
  • हालाँकि, आधार द्वारा नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन करने संबंधी मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायलय ने अपने निर्णय में पर्याप्त डाटा सुरक्षा उपायों का हवाला देते हुए कहा था कि आधार कार्यक्रम व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन नही करता है।
  • इसके अतिरिक्त, जनवरी 2021 में सार्वजनिक उद्देश्यों के लिये आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता से संबंधित पुनर्विचार याचिका को न्यायलय की एक खंडपीठ ने 4-1 के बहुमत से खारिज करते हुए आधार की वैधता को बरकरार रखा।
  • यद्यपि, न्यायलय ने आधार प्रणाली के सत्यापन संबंधी चिंताओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया, किंतु इस संदर्भ में केंद्र एवं राज्य सरकारों से जवाब आवश्य माँगा था

सरकार का पक्ष 

  • केंद्र एवं राज्य सरकारों ने आधार प्रणाली के आभाव में लाभार्थी की पहचान के लिये वैकल्पिक दस्तावेज़ों के प्रयोग की अनुमति दी थी और यह आश्वासन दिया था कि आधार सत्यापन के विफल होने पर वास्तविक लाभार्थियों को लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • रद्द हुए राशन कार्ड के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए सरकार ने इन्हें फ़र्जी कार्ड बताया है।
  • सरकार ने झारखंड या अन्य राज्यों की उस रिपोर्ट को ख़ारिज भी कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि योजनाओं का लाभ न मिलने के कारण भुखमरी से अनेक मौतें हुईं।

निष्कर्ष

  • वर्तमान में भारत की 14% आबादी अल्पपोषित है। ‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक’ में भारत को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में, आधार लिंक्ड या सत्यापन की विफलता के कारण गरीबों का खाद्यान्न प्राप्ति से वंचित रह जाना एक गंभीर समस्या है।
  • इस संदर्भ में सरकारों द्वारा पहचान के लिये वैकल्पिक दस्तावेज़ों की अनुमति देना एक सराहनीय कदम है।
  • साथ ही, राशन कार्ड के फर्जी या सत्यापन की विफलता संबंधी मुद्दे को हल करने के लिये अन्य सत्यापित दस्तावेज़ों तथा उन्नत तकनीकों को अपनाया जाना चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त, पंचायत स्तर पर सेवाओं का विकेंद्रीकरण भी इस मुद्दे को हल करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। 
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