अबथसहायेश्वर मंदिर को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को पुरस्कार
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में अबथसहायेश्वर मंदिर को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार के लिए चुना गया
अबथसहायेश्वर मंदिर को यह पुरस्कार मंदिर की विरासत को बरकरार रखते हुए इसे संरक्षित करने के लिए दिया गया है
अबथसहायेश्वर मंदिर
यह तमिलनाडु में स्थित तंजावुर जिले के थुक्काची में स्थित है
यह मंदिर भगवान दक्षिणामूर्ति (भगवान शिव) को समर्पित है
यह लगभग 1,300 साल पुराना है
इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रम चोल और कुलोथुंगा चोल ने करवाया था।
पहले इस मंदिर में पाँच प्रकारम हुआ करते थे।
मंदिर में देवताओं के लिए कई मंदिर हैं, जिनमें सौंदर्यनायकी अंबल, अष्टभुजा दुर्गा परमेश्वरी, आधी सरबेश्वर, पिल्लयार, मुरुगन, चंडिकेश्वर, दो भैरव, दो सूर्य और दो नागर शामिल हैं।
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार की शुरुआत यूनेस्को द्वारा वर्ष 2000 में की गई थी।
यह पुरस्कार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा संरचनाओं और इमारतों को संरक्षित करने और बदलने के प्रयासों को मान्यता देता है।
यूनेस्को
पूरा नाम - United nations educational scientific and cultural organization,( संयुक्त राज्य शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) है।
यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जिसका उद्देश्य शिक्षा, कला, विज्ञान और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी।
मुख्यालय – पेरिस
यह एक विश्वस्तरीय संयुक्त राष्ट्र संघ का शैक्षिक,वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन है।
वर्तमान में इसमें लगभग 195 सदस्य देश एवं 8 सहयोगी सदस्य देश शामिल हैं।
प्रश्न - अबथसहायेश्वर मंदिर किस राज्य में स्थित है ?