ईरान ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा दावा किए गए तीन द्वीपों पर ईरान की संप्रभुता से संबंधित चीन-यूएई के बयान के विरोध में चीनी राजदूत से विरोध जताया है।
विवाद से संबंधित बिंदु
- इन तीन द्वीपों के नाम अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब हैं। ईरान इन द्वीपों को अपना बताता है, जबकि यू.ए.ई. भी इन पर अपना दावा करता है।
- चीन ने इसको ईरान व यू.ए.ई. के मध्य हल किए जाने वाला मामला बताया है जिसका ईरान ने विरोध किया है। चीन ने इस मुद्दे के ‘शांतिपूर्ण समाधान’ के लिए यू.ए.ई. के प्रयासों का समर्थन किया है।
अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब से संबंधित विवाद
- 30 नवंबर, 1971 को अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब से ब्रिटिश सेना के वापस जाने के बाद शाही ईरानी नौसेना ने इन द्वीपों पर कब्ज़ा कर लिया।
- ईरान ने इन तीनों द्वीपों पर दावा किया जबकि यू.ए.ई. के प्रांत (अमीरात) ‘रस अल-खैमाह’ एवं ‘शारजाह’ ने क्रमशः टुनब्स व अबू मूसा पर दावा किया।
- यू.ए.ई. में शामिल होने के बाद इन दोनों अमीरात के विवाद को यू.ए.ई. संबोधित करने लगा।
- यू.ए.ई. के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद ईरान ने वर्ष 1971 से इन द्वीपों पर नियंत्रण बनाए रखा है और विवादित मुद्दा है।
अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब के बारे में
- ग्रेटर टुनब, लेसर टुनब एवं अबू मूसा द्वीप पूर्वी फ़ारसी की खाड़ी में होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार के पास स्थित है।
- समुद्र की गहराई के कारण तेल टैंकरों व बड़े जहाजों को अबू मूसा, ग्रेटर टुनब एवं लेसर टुनब के बीच से गुजरना पड़ता है
- ये तीनों द्वीप फ़ारस की खाड़ी में सबसे रणनीतिक बिंदुओं के रूप में जाने जाते है। ईरान इन द्वीपों को होर्मोज़गन प्रांत के हिस्से के रूप में प्रशासित करता है।
फारस की खाड़ी के बारे में
- यह पश्चिमी एशिया में स्थित हिंद महासागर का हिस्सा है जो पूर्व में होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर से जुड़ता है।
- इसे अरब की खाड़ी या ईरान की खाड़ी भी कहा जाता है। इसकी तटरेखा की लंबाई में ईरान की तटरेखा सबसे लंबी है।
- यह अरब प्रायद्वीप और ईरान के बीच क्रमशः दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- यह ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, इराक व कुवैत जैसे देशों से घिरा हैं।