(प्रारंभिक परीक्षा : रिपोर्ट और सूचकांक) |
संदर्भ
हाल ही में स्कॉलर्स एट रिस्क (SAR) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना द्वारा प्रकाशित "फ्री टू थिंक 2024" वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में भारत की ‘अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक’(Academic Freedom Index : AFI) रैंकिंग में गिरावट आई है।
- SAR विश्व भर के 665 विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क है, जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय, ड्यूक विश्वविद्यालय और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।
सूचकांक के बारे में
- अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक (AFI) 179 देशों में अकादमिक स्वतंत्रता की स्थिति और समय के साथ रुझानों का अवलोकन प्रदान करता है।
- यह फ्रेडरिक-अलेक्जेंडर-यूनिवर्सिटेट एर्लांगेन-नूर्नबर्ग (FAU) और वी-डेम इंस्टीट्यूट का एक संयुक्त प्रयास है।
- प्रमुख संकेतक :अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक पाँच संकेतकों के आधार पर अकादमिक स्वतंत्रता के वास्तविक स्तरों का आकलन करता है:
- शोध एवं शिक्षण की स्वतंत्रता
- अकादमिक आदान-प्रदान और प्रसार की स्वतंत्रता
- संस्थागत स्वायत्तता
- परिसर की अखंडता
- अकादमिक एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में 3.6 बिलियन लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ शैक्षणिक स्वतंत्रता पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
- रिपोर्ट के अनुसार केवल 10 देशों में ही शैक्षणिक स्वतंत्रता में वृद्धि हुई है जबकि 23 देशों में शैक्षणिक स्वतंत्रता में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है।
भारत की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार भारत की अकादमिक स्वतंत्रता वर्ष 2013 से 2023 के बीच 0.6 अंक से गिरकर 0.2 अंक पर आ गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार "भारत में छात्रों और स्कॉलर्स की शैक्षणिक स्वतंत्रता के संदर्भ में निम्नलिखित कारकों की चर्चा की गई।
- विश्वविद्यालयों पर राजनीतिक नियंत्रण
- हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा थोपने का प्रयास
- छात्र विरोध को सीमित करने वाली नीतियाँ
- सूचकांक के अनुसार, भारत अब “पूरी तरह से प्रतिबंधित” (completely restricted) श्रेणी में है।