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डिज़िटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से शैक्षिक संसाधनों तक पहुँच

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

डेढ़ वर्ष से अधिक समयांतराल के बाद भारत में शैक्षणिक संस्थान पुनः कक्षा शिक्षण के पारंपरिक तरीकों की ओर लौटने लगे हैं, जिससे शिक्षार्थी कक्षा शिक्षण के साथ-साथ भौतिक रूप से पुस्तकालयों एवं शैक्षणिक संसाधनों तक पहुँच रहे हैं।

शैक्षणिक सामग्री के लिये डिज़िटल प्लेटफॉर्म का उपयोग

  • कोविड-19 के कारण शैक्षिक गतिविधियों में डिज़िटल प्लेटफॉर्म के प्रयोग में अत्यधिक तेज़ी आई। डिजिटल प्लेटफॉर्म ऑनलाइन अधिगम (Learning) की प्रवृत्ति में वृद्धि का प्रमुख कारक रहा है। 
  • यह शैक्षिक प्रकाशकों और सामग्री प्रदाताओं (Content Provider) को एक साथ लाने का कार्य करता है। साथ ही, यह शिक्षार्थियों के मध्य वैचारिक विनिमय की सुविधा भी प्रदान करता है।

खुले शैक्षिक मंच व बंद शैक्षिक मंच

  • खुले शैक्षिक मंच से तात्पर्य उन संस्थानों से है, जिनकी सामग्री (Content) स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होती है। इस मंच पर सामग्री प्रदाता के रूप में प्रकाशक या शोध संस्थान अपनी साख के आधार पर अकादमिक व शैक्षिक उत्पादों को उपलब्ध करा सकते हैं।
  • बंद शैक्षिक मंचों का संचालन व्यावसायिक रूप से किया जाता है एवं सामग्री मुक्त रूप से उपलब्ध नहीं होती है। इस प्लेटफॉर्म का स्वामित्व किसी वाणिज्यिक प्रकाशक या शिक्षा प्रौद्योगिकी फर्म के पास हो सकता है।

खुले व बंद शैक्षिक मंचों के उपयोग में वृद्धि

  • खुले और बंद शैक्षिक मंचों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर सामग्री तक शिक्षार्थियों की पहुँच तथा प्रकाशकों द्वारा सामग्री के नियंत्रण को लेकर है। महामारी के कारण भारत में दोनों मंचों पर शैक्षिक संसाधनों की माँग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। सरकार का राष्ट्रीय मंच ‘स्वयं’ (SWAYAM) इसका एक उदाहरण है। 
  • इसी तरह ‘नेशनल डिज़िटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया’ (NDLI) एक खुला मंच है, जो 55 मिलियन से अधिक शैक्षिक संसाधनों तक मुफ्त पहुँच प्रदान करता है। मार्च 2020 से इसके उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। 
  • इसके अतिरिक्त बंद शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंचों, जैसे- अपग्रेड (upGrad) और बायजु (BYJU) के राजस्व व उपयोगकर्ताओं की संख्या में इस दौरान अत्यधिक वृद्धि हुई हैं।
  • यह स्पष्टत: सब्सक्राइब्ड कंटेंट बाज़ार में लगातार वृद्धि को दर्शाता है। हालाँकि, प्रकाशक के अधिकारों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक संसाधनों के व्यापक उपयोगकर्ता आधार को सुनिश्चित करने के लिये मुक्त तथा प्रतिबंधित सामग्री तक पहुँच के बीच अधिक संतुलन बनाने की आवश्यकता है।

संतुलित मॉडल की ओर भारत

प्रकाशकों के व्यावसायिक हितों के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं के लाभ को ध्यान में रखते हुए ‘संतुलित एक्सेस मॉडल’ को अपनाने के लिये भारत में निम्नलिखित चार दृष्टिकोण परीक्षण के दौर से गुज़र रहे हैं :

  • मुफ्त सामग्री पहल
    • वर्ष 2020 के प्रारंभ से ही भारत सहित अन्य स्थानों पर कई प्रकाशकों ने पहले से सब्सक्राइब सामग्री को भी प्रयोग करने और कोविड अनुसंधान के लिये इनकी उपलब्धता को सुलभ बनाया है।
    • हालाँकि, लंबे समय तक मुफ्त सामग्री प्रदान करना कठिन है अत: धीरे-धीरे इन संसाधनों के मौद्रीकरण (Monetization) की आवश्यकता होगी।
    • एक राष्ट्र, एक सदस्यता
      • भारत सरकार ‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता' योजना पर विचार कर रही है, जो प्रकाशकों और शिक्षार्थियों दोनों को लाभान्वित कर सकती है।
      • इसके लिये सरकार को प्रकाशकों से एकल एकीकृत सदस्यता पर विचार करने और सामग्री खरीदने की आवश्यकता होगी। इसके बाद यह शैक्षिक संसाधन नागरिकों और सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित संस्थानों के लिये उपलब्ध होंगे।
        • राष्ट्रीय लाइसेंसिंग
          • शिक्षा मंत्रालय और एन.डी.एल.ई. द्वारा स्थापित ‘राष्ट्रीय लाइसेंसिंग’ एक रचनात्मक व्यवस्था है, जो कुछ हद तक ‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता' के समान है।
          • इससे प्रकाशकों और डिज़िटल प्लेटफार्मों की सामग्री को एन.डी.एल.आई. प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है। लाइसेंस प्राप्त सामग्री की उपलब्धता शिक्षार्थियों के लिये अत्यधिक फायदेमंद साबित हुई है।
          • गोल्ड और ग्रीन ओपन एक्सेस
            • ‘गोल्ड ओपन एक्सेस’ से तात्पर्य लेखक या उनके लिये संस्थागत फंडर्स बनाने की व्यवस्था से है, जो पत्रिकाओं के लेख प्रसंस्करण शुल्क (APC) का भुगतान कर सके, जिसके बाद उनके लेख ओपन एक्सेस आधार पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
            • यह दृष्टिकोण विकसित देशों में सामान्य है, जबकि भारत में यह कम लोकप्रिय है क्योंकि यहाँ लेख प्रसंस्करण शुल्क प्राय: लेखकों और फंडर्स की पहुँच से बाहर होता है।
            • इसके विपरीत ग्रीन ओपन एक्सेस ए.पी.सी. को शामिल नहीं करता है।

            निष्कर्ष

            • ये प्लेटफ़ॉर्म वर्तमान आवश्यकता के अनुरूप सुलभ शैक्षिक सामग्रियों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) 2020 'सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने’ और डिजिटल प्लेटफॉर्म व आई.सी.टी.-आधारित शैक्षिक पहल को अनुकूलित एवं विस्तारित करने के लिये एक तंत्र की कल्पना करता है।
            • इन प्लेटफार्मों पर शिक्षार्थियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रकाशक अपने कार्यक्रमों का विस्तार करते कर रहे हैं। ऐसे में शिक्षार्थी की जरूरत और प्रकाशकों के हित दोनों को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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