प्रारंभिक परीक्षा : सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)
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सुगम्य भारत अभियान के बारे में
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- परिचय : 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के दृष्टिकोण पर आधारित दिव्यांगजनों को सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान।
- प्रारम्भ : 3 दिसंबर, 2015
- नोडल मंत्रालय : दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय)
- उद्देश्य : 3 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दिव्यांगजनों के लिए सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना
- निर्मित बुनियादी ढाँचा
- परिवहन प्रणाली
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) पारिस्थितिकी तंत्र
- इस अभियान ने जागरूकता उत्पन्न करने और सुगमता अनुपालन के लिए योग्य मानक निर्धारित करने का भी प्रयास किया है।
- इस अभियान के शुरूआत में इसे मार्च 2024 तक समाप्त करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन वर्तमान में अभियान के उद्देश्यों को ‘दिव्यांगजन के अधिकारों के कार्यान्वयन अधिनियम’ (SIPDA) की व्यापक योजना के अंतर्गत ‘बाधा मुक्त वातावरण योजना’ के निर्माण में समाहित कर लिया गया है।
सुगम्य अभियान की आवश्यकता क्यों
- केंद्र सरकार द्वारा पारित ‘दिव्यांगजनहेतु अधिनियम 1995’ कल्याण-उन्मुख अवश्य था, लेकिन इसके द्वारा सुलभता के मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया।
- वर्ष 2007 में दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCRPD) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत ने दिव्यांगजनों के लिए एक सुलभ वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्धता भी जताई थी।
- हालांकि,वर्ष 2015 से पूर्व के प्रयासों में एक सुसंगत रणनीति या लागू करने योग्य समयसीमा का अभाव था।
- इस अंतर को पहचानते हुए, सुगम्य भारत अभियान को राष्ट्रीय विकास में सुलभता को सबसे आगे लाने के लिए शुरू किया गया।
सुगम्य भारतअभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ
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सुलभ अवसंरचना
- 50 शहरों में 25-50 भवनों की लेखापरीक्षा के लक्ष्य के अंतर्गत 1,671 सरकारी भवनों की सुगम्यता लेखापरीक्षा की गई।
- 1,314 भवनों के नवीनीकरण के लिए 562 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई।
- 1,748 सरकारी भवनों में सुगम्यता सुविधाएँ शामिल की गई हैं।
परिवहन
- भारत में सभी 35 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों और 69 घरेलू हवाई अड्डों में से 55 में अब ब्रेल और श्रवण प्रणाली के साथ रैम्प, सुलभ शौचालय, हेल्पडेस्क और लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है।
- सभी अंतर्राष्ट्रीय/सीमा शुल्क हवाई अड्डों पर एयरोब्रिज उपलब्ध कराए गए हैं।
- 709 रेलवे स्टेशनों को पूर्णतः सुगम्य बनाया गया है, जबकि 4,068 स्टेशनों को आंशिक रूप से सुगम्य बनाया गया है।
- 1,45,747 बसों में से 8,695 (5.96%) पूर्णतः सुलभ हैं, और 42,348 (29.05%) आंशिक रूप से सुलभ हैं।
- 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 3,533 बस स्टेशनों में से 3,120 को सुगम्यता सुविधाओं से सुसज्जित किया जा चुका है।
डिजिटल पहुँच
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा सामग्री प्रबंधन ढाँचे के अंतर्गत केंद्र सरकार की 95 वेबसाइटों को सुलभ बनाया गया है।
- 676 राज्य सरकार की वेबसाइटों को सुलभ बनाया गया है, जिनमें से 476 लाइव हैं।
शिक्षा और भाषा सुलभता
- भारतीय सांकेतिक भाषा के प्रयोग, शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2015 में ‘भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र’ की स्थापना की गई।
- इस केंद्र द्वारा संचालित डिप्लोमा और पाठ्यक्रमों के माध्यम से 1,013 से अधिक व्यक्तियों को भारतीय सांकेतिक भाषा में प्रशिक्षित किया गया है।
- वर्ष 2016-17 और वर्ष 2023 के बीच कुल 183 छात्रों ने भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या पाठ्यक्रम में डिप्लोमा पूरा किया है।
मीडिया अभिगम्यता
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए टीवी देखने हेतु सुगम्यता मानक प्रकाशित किए हैं।
- टीवी सामग्री में सुगम्यता को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसके तहत 19 समाचार चैनल 2,447 सुगम्य समाचार बुलेटिन प्रसारित कर रहे हैं तथा 17 सामान्य मनोरंजन श्रेणी चैनल 3,686 सुगम्य कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं।
सुगम्यता हेतु अन्य प्रमुख पहलें
- क्षेत्र-विशिष्ट सुगम्यता दिशानिर्देश: चार अन्य चिन्हित क्षेत्रों सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पर्यटन, सूचना और प्रसारण तथा वित्तीय सेवाएँ के लिए सुगम्यता मानकों को अंतिम रूप देने के प्रयास जारी हैं।
- वेब सुगम्यता: भारत सरकार की 500 अतिरिक्त वेबसाइटों को सुगम्य बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
- एक्सेस ऑडिटर्स का प्रशिक्षण: सरकार ने काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (COA) के साथ साझेदारी में प्रमाणित एक्सेस ऑडिटर्स के कैडर का विस्तार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं।
- सुगम्य भारत ऐप: यह क्राउडसोर्सिंग प्लेटफ़ॉर्म व्यक्तियों को बुनियादी ढाँचे, परिवहन एवं सूचना प्रणालियों में सुलभता संबंधी मुद्दों की रिपोर्ट करने का अधिकार देता है।
- 23 भाषाओं में उपलब्ध यह ऐप उपयोगकर्ताओं को उन मुद्दों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाकर सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देता है जिन्हें बाद में संबंधित अधिकारियों द्वारा संबोधित किया जाता है।
- पाठ्यक्रम विकास: आईआईटी खड़गपुर के सहयोग से, बी.टेक, बी.प्लान और बी.आर्क कार्यक्रमों में सुगमता पर विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए काम चल रहा है।
- प्रौद्योगिकी एवं नवाचार: एयरलाइन कर्मचारियों और विभिन्न कॉर्पोरेट संस्थाओं के कर्मचारियों को बुनियादी भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language: ISL) का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
- इन प्रयासों का उद्देश्य सेवा उद्योगों में समावेशिता को बढ़ावा देना है।
- सुगम्य तीर्थ स्थल: दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 75 तीर्थ स्थलों को सुगम्य बनाने के लिए एक समर्पित पहल शुरू की गई है।
- वेब एक्सेसिबिलिटी प्रशिक्षण कार्यक्रम: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के साथ साझेदारी में, वेब एक्सेसिबिलिटी पर एक प्रमाणित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है।
- इस पहल का उद्देश्य देश भर में लगभग 10,000 वेब डेवलपर्स को प्रशिक्षित करना और सरकारी विभागों को वेब एक्सेसिबिलिटी दिशा-निर्देशों को अपनाने तथा लागू करने के लिए संवेदनशील बनाना है।
- वर्तमान में यह प्रस्ताव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के पास समीक्षाधीन है।
सशक्तिकरण के प्रति वित्तीय प्रतिबद्धता
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- वर्ष 2013-14 से 2023-24 के मध्य दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के लिए वित्तीय आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो सुगम्य भारत अभियान जैसी पहलों के तहत समावेशिता एवं सुलभता के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- बजट अनुमान वर्ष 2013-14 में ₹560 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में ₹1,225.15 करोड़ हो गया है।
- वर्ष 2023-24 में खर्च किए गए ₹1,143.89 करोड़ एक दशक में सबसे अधिक व्यय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो समर्पित अभियानों एवं योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों की सार्वभौमिक पहुँच और सशक्तीकरण प्राप्त करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
सुगम्य भारत अभियान एक ऐतिहासिक पहल के रूप में उभरा है, जो भारत को वास्तव में समावेशी और सुलभ समाज की ओर ले जाने की दिशा में आगे बढ़ा रहा है। पिछले 9 वर्षों में, इस अभियान ने दिव्यांगजनों के समक्ष आने वाली दीर्घकालिक चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया है, और साथ हीबुनियादी ढाँचे, परिवहन, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और शिक्षा में सार्वभौमिक पहुँच के लिए एक मज़बूत आधार तैयार किया है।