चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्र सरकार ने गिद्धों के संरक्षण हेतु पंचवर्षीय कार्य योजना (2020-2025) की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु
- इस कार्य योजना का उद्देश्य न केवल गिद्धों की संख्या में गिरावट को रोकना है बल्कि इनकी आबादी को सक्रिय रूप से बढ़ाना भी है।
- भारत में गिद्धों की घटती आबादी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस कार्य योजना को शुरू किया है। गिद्ध मृत पशुओं के मांस खाकर पर्यावरण संरक्षण तथा कई बिमारियों के प्रसार को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ध्यातव्य है कि गिद्धों की घटती संख्या का मुख्य कारण उन मृत पशुओं के मांस का सेवन है, जिनमें डाईक्लोफिनेक नामक दर्द निवारक दवा के अंश पाए गए।
- इस कार्य योजना से गिद्धों के भोजन तथा मवेशी पशुओं में ज़हरीले तत्वों को रोकने के लिये पशु चिकित्सा को नियंत्रित तथा विनियमित किया जाएगा।
- इस कार्य योजना हेतु लगभग 207 करोड़ रुपए के प्रावधान के साथ ही महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और त्रिपुरा में गिद्धों के 5 अतिरिक्त प्रजनन केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।
अन्य तथ्य
- केंद्र सरकार द्वारा इजिप्शियन तथा रेड-हेडेड गिद्धों के लिये संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।
- भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियाँ रिकॉर्ड की गई हैं- ओरिएंटल व्हाइट-बेक्ड, लॉन्ग-बिल्ड, स्लेंडर-बिल्ड, हिमालयन, रेड-हेडेड, इजिप्शियन, बियर्डेड, सिनेरियस और यूरेशियन ग्रिफॉन।
- वर्ष 1980 के दशक तक भारत में गिद्धों की आबादी लगभग 40 मिलियन थी। हालाँकि 1990 के दशक के मध्य तक इनकी संख्या में 90% तक गिरावट आ गई।