चर्चा में क्यों?
हाल ही में, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने यमुनानगर ज़िले के आदिबद्री नामक स्थान पर बाँध के निर्माण हेतु एक समझौता किया है। विदित है कि आदिबद्री को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
आदिबद्री बाँध : उद्देश्य व लाभ
- आदिबद्री बाँध के निर्माण से सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार से धार्मिक मान्यताएँ भी पुनर्जीवित होंगी।
- इसके साथ ही यह क्षेत्र तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित होगा तथा इस परियोजना के माध्यम से भू-जल स्तर में वृद्धि होगी।
- इस बाँध से सरस्वती नदी में जल का निरंतर प्रवाह बना रहेगा।
- इस बाँध के निर्माण से अत्यधिक वर्षा से उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा।
- इस बाँध के निर्माण में हिमाचल प्रदेश की लगभग 32 हेक्टेयर भूमि का उपयोग होगा।
- यह बाँध प्रत्येक वर्ष लगभग 225 हेक्टेयर-मीटर जल का भंडारण करेगा,जिसमें से हिमाचल प्रदेश को लगभग 62 हेक्टेयर-मीटर जल मिलेगा और सरस्वती नदी में प्रवाहित शेष जल का प्रयोग हरियाणा द्वारा किया जाएगा।
- इस बाँध को सोम नदी (यमुना की सहायक नदी) से भी जल मिलेगा।
- यह बाँध दोनों राज्यों के लिये सिंचाई और पीने योग्य जल की आपूर्ति भी करेगा।
- इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपाल मोचन, माता मंत्र देवी समेत कई धार्मिक और पर्यटन स्थल आते हैं। हिमाचल प्रदेश के सहयोग से कई परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, जिसमें हथिनीकुंड बैराज पर एक बाँध का निर्माण भी शामिल है।
- इस बाँध में पहाड़ों से हथिनीकुंड बैराज में बहने वाले जल को संगृहीत किया जाएगा, ताकि फसलों को बाढ़ जैसी स्थितियों से बचाया जा सके।
- विदित है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड पौराणिक सरस्वती नदी पर शोध कर रहे हैं।