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आदित्य-एल1 मिशन (2023)[Aditya-L1 Mission (2023)]: अंतरिक्ष में भारत की पहली सौर वेधशाला

  • आदित्य-एल1 (Aditya-L1) भारत का पहला अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला (Solar Observatory) है, जिसे सूर्य का अध्ययन करने के लिए विकसित किया गया है।
  • इसे इसरो (ISRO - Indian Space Research Organisation) द्वारा विकसित किया गया और सितंबर 2023 में प्रक्षेपित (Launched) किया गया।
  • यह मिशन पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित एल1 लैग्रेंज बिंदु (L1 Lagrange Point) के चारों ओर हेलो कक्षा (Halo Orbit) में स्थापित किया गया है।
  • भूमि-आधारित सौर दूरबीनों (Ground-based Solar Telescopes) के विपरीत, आदित्य-एल1 बिना वायुमंडलीय हस्तक्षेप (Atmospheric Interference) या ग्रहण (Eclipses) के, लगातार सूर्य का अवलोकन कर सकता है।

आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्य (Scientific Objectives of Aditya-L1)

  • यह मिशन निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है:
    • सूर्य के ऊपरी वायुमंडल (Upper Atmosphere), यानी कोरोना (Corona) और क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) का अध्ययन करना।
    • सौर विस्फोट (Solar Flares) और सीएमई (CMEs) का निरीक्षण करना, जो अंतरिक्ष मौसम (Space Weather) को प्रभावित करते हैं।
    • सौर वायु कणों (Solar Wind Particles) का विश्लेषण करना, जो अंतरिक्ष के माध्यम से यात्रा करते हैं और पृथ्वी को प्रभावित करते हैं।
    • सौर चुंबकीय क्षेत्र (Sun’s Magnetic Field) को समझना और यह जानना कि यह सौर तूफानों (Solar Storms) को कैसे प्रभावित करता है।

आदित्य-एल1 कैसे काम करता है? (How Does Aditya-L1 Work?)

सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 (Aditya-L1) में 7 उन्नत वैज्ञानिक उपकरण (Advanced Scientific Instruments) लगे हुए हैं:

  • VELC (विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ - Visible Emission Line Coronagraph) – सूर्य के बाहरी वायुमंडल (Corona) का अध्ययन करता है।
  • SUIT (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप - Solar Ultraviolet Imaging Telescope) – सूर्य की पराबैंगनी (Ultraviolet - UV) किरणों की छवियां लेता है।
  • ASPEX (आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट - Aditya Solar Wind Particle Experiment)सौर वायु कणों (Solar Wind Particles) को मापता है।
  • PAPA (प्लाज्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य - Plasma Analyzer Package for Aditya)सौर कणों (Solar Particles) की ऊर्जा का विश्लेषण करता है।
  •  HEL1OS (हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर - High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer) – सूर्य से आने वाली एक्स-रे (X-ray) विकिरणों का निरीक्षण करता है।
  • मैग्नेटोमीटर (Magnetometer) – सूर्य के चुंबकीय क्षेत्रों (Magnetic Fields) को मापता है।

हेलो ऑर्बिट क्या है? (What is a Halo Orbit?)

  • आदित्य-एल1 को एल1 लैग्रेंज बिंदु (L1 Lagrange Point) के चारों ओर हेलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में स्थापित किया गया है।

हेलो ऑर्बिट (Halo Orbit) की विशेषताएँ:

  •  स्थिर 3D कक्षा (Stable 3D Orbit) – यह एक ऐसी कक्षा होती है जो किसी लैग्रेंज बिंदु (Lagrange Point - L1, L2, L3) के चारों ओर स्थिर रहती है।
  • लगातार सूर्य का अवलोकन (Continuous Sun Observation) – इसमें अंतरिक्ष यान बिना पृथ्वी द्वारा बाधित हुए (Without Earth Blocking the View) सूर्य का निरीक्षण कर सकता है।
  •  कम ईंधन की खपत (Low Fuel Requirement) – इस कक्षा में स्थान बनाए रखने के लिए बहुत कम ईंधन की आवश्यकता होती है

लैग्रेंज बिंदु क्या हैं? (What are Lagrange Points?)

  • लैग्रेंज बिंदु (Lagrange Points) अंतरिक्ष में वे विशेष स्थान होते हैं जहां दो बड़े खगोलीय पिंडों (जैसे पृथ्वी और सूर्य - Earth and Sun) के गुरुत्वाकर्षण बल और एक उपग्रह की गति संतुलित हो जाती है।
  • किसी भी दो-पिंडीय प्रणाली (Two-Body System) में 5 लैग्रेंज बिंदु होते हैं (L1 - L5):
    • L1:  सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित सबसे अच्छा स्थान है सौर अवलोकन (Solar Observation) के लिए। मिशन: आदित्य-एल1 (Aditya-L1), SOHO
    •  L2: पृथ्वी की परछाईं के पीछे स्थित होता है, गहरे अंतरिक्ष टेलीस्कोप (Deep Space Telescopes) के लिए उपयुक्त।मिशन: जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb), गैया (Gaia)
    • L3: सूर्य के दूसरी ओर स्थित, बहुत कम उपयोग होता है
    • L4 & L5:ये स्थिर क्षेत्र होते हैं जहां वस्तुएं कम ईंधन की खपत (Low Fuel Consumption) के साथ रह सकती हैं।उदाहरण: ट्रोजन क्षुद्रग्रह (Trojan Asteroids)

अन्य प्रमुख सौर मिशन (Other Major Solar Missions)

मिशन

अंतरिक्ष एजेंसी (Agency)

उद्देश्य (Purpose)

SOHO (1995-वर्तमान)

NASA-ESA

L1 बिंदु से सौर गतिविधि का अध्ययन

पार्कर सोलर प्रोब (2018-वर्तमान)

NASA

पहला अंतरिक्ष यान जो 'सूर्य को छूने' गया

IRIS (2013-वर्तमान)

NASA

सूर्य की ऊर्जा हस्तांतरण और वायुमंडलीय गतिविधियों का अध्ययन

आदित्य-एल1 क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Aditya-L1 Important?)

  • भारत का पहला सौर मिशन जो केवल सूर्य के अध्ययन के लिए समर्पित है।
  • निरंतर सौर अवलोकन (Continuous Solar Observation), जिससे पृथ्वी के टेलीस्कोप की सीमाओं से बचा जा सके
  • सौर तूफानों (Solar Storms) की भविष्यवाणी करने में मदद, जिससे उपग्रहों और विद्युत ग्रिड की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
  • भारत की अंतरिक्ष मौसम अनुसंधान (Space Weather Research) क्षमता को बढ़ाएगा। 
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