पश्मीना प्रमाणीकरण और डीएनए अनुक्रमण के लिए उन्नत सुविधा केंद्र
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान में पश्मीना प्रमाणीकरण तथा अगली पीढ़ी के डीएनए अनुक्रमण सुविधा के लिए उन्नत केंद्र का उद्घाटन किया।
अगली पीढ़ी अनुक्रमण सुविधा
अगली पीढ़ी की डीएनए अनुक्रमण सुविधा एक क्रांतिकारी तकनीक है
यह लाखों डीएनए अनुक्रमों का एक साथ विश्लेषण करते हुए संपूर्ण जीनोम के तीव्र और उच्च-थ्रूपुट डिकोडिंग को सक्षम बनाती है।
इससे शोधकर्ताओं को आनुवंशिक विविधता, विकासवादी संबंधों और जनसंख्या स्वास्थ्य के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है।
वन्यजीव संरक्षण में, अगली पीढ़ी अनुक्रमण सुविधा की आनुवंशिक विविधता के संबंध में -
जनसंख्या आनुवंशिक स्वास्थ्य की पहचान करने
आनुवंशिक बाधाओं की जानकारी और आबादी पर उनके प्रभाव
अद्वितीय अनुकूलन एवं विशिष्ट विकासवादी इतिहास वाली प्रजातियों, रोग के प्रकोप को समझने
अवैध वन्यजीव व्यापार का पता लगाने
जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
यह अत्याधुनिक सुविधा भारतीय वन्यजीव संस्थान को वन्यजीव संरक्षण में आणविक व आनुवंशिक अनुसंधान के लिए एक अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करती है
इसमें जैव विविधता जीनोमिक्स, जनसंख्या आनुवंशिकी और रोग निगरानी जैसे क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन संभव हो सकेगा।
इसमे जलवायु परिवर्तन के लिए आनुवंशिक अनुकूलन का अध्ययन, रोगाणु-पोषक अंतःक्रिया और बाघ, हाथी, नदी डॉल्फिन तथा अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों हेतु संरक्षण रणनीतियों का विकास शामिल है।
पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा
पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा ने अपनी स्थापना के बाद से एक वर्ष में 15,000 से अधिक शॉलों को प्रमाणित किया है
इसमें उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित हुई है और उनमें अन्य रेशों की मिलावट नहीं हुई है
जिससे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में असली पश्मीना उत्पादों का निर्बाध व्यापार संभव हो सका है।
पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा में अब एनर्जी डिस्पर्सिव स्पेक्ट्रोस्कोपी के साथ एक विशेष स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप शामिल है, जो ऊन के परीक्षण एवं प्रमाणन की सटीकता व विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
इसमे निम्नलिखित उन्नत सुविधाएं शामिल हैं -
उन्नत फाइबर विश्लेषण - पश्मीना फाइबर की सटीक पहचान और प्रमाणीकरण के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है।
सुव्यवस्थित प्रमाणन - पता लगाने तथा गुणवत्ता आश्वासन के लिए विशिष्ट आईडी टैगिंग और ई-प्रमाणपत्र दिया जाता है।
वैश्विक व्यापार सुविधा - प्रमाणित उत्पादों का परेशानी मुक्त आवागमन, निकास बिंदुओं पर फाइबर जांच के कारण होने वाली देरी और वित्तीय नुकसान को समाप्त करना सुनिश्चित किया है।
पश्मीना शॉल
पश्मीना शब्द फारसी शब्द 'पश्म'से आया है जिसका अर्थ है मुलायम सोना।
यह विशिष्ट डाई अवशोषक गुण के अलावा अपनी गर्मी, हल्के वजन और कोमलता के लिए जाना जाता है।
पश्मीना शॉल को मुगल साम्राज्य के दिनों में रैंक और कुलीनता की वस्तुओं के रूप में प्रसिद्धि मिली।
पश्मीना चांगथांगी बकरी से प्राप्त होता है।
चांगथांगी जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के ऊंचाई में स्वदेशी बकरी की एक विशेष नस्ल है।
इन बकरियों को चांगपा खानाबदोशों द्वारा पाला जाता है।
इन बकरियों को अल्ट्रा-फाइन कश्मीरी ऊन के लिए पाला जाता है, जिसे एक बार बुने के बाद पश्मीना के रूप में जाना जाता है।
चांगथांगी बकरियों में एक मोटा अंडरकोट होता है जो पश्मीना ऊन का स्रोत है
चांगथांगी बकरियां सर्दियों के दौरान अपने शरीर से ऊन की ऊपरी परत खुद त्याग देती हैं, इन्हें अलग से काटना नहीं पड़ता है।
पश्मीना को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया का सबसे महंगा कपड़ा होने की मान्यता दी गई है।
पश्मीना शॉल को भौगोलिक संकेतक भी प्राप्त है
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पश्मीना उत्पादों की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिये भारतीय मानकप्रमाणन भी निर्धारित किये गए हैं।
भारतीय वन्यजीव संस्थान
स्थापना -1982
स्थान - देहरादून
यह संस्थान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, अकादमिक कार्यक्रम के अलावा वन्यजीव अनुसंधान तथा प्रबंधन में सलाहकारिता प्रदान करता है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान का परिसर समस्त भारतवर्ष में जैव विविधता सम्बन्धी मुद्दों पर उच्च स्तर के अनुसंधान के लिजये श्रेष्ठतम् ढाँचागत सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।