प्रारम्भिक परीक्षा – सिनेरस गिद्ध मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 |
संदर्भ:
- सिनेरस गिद्ध को 3 दशकों के बाद 9 दिसंबर 2023 को दिल्ली के असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य के पास आसमान में मंडराते हुए देखा गया।
- इस पक्षी को आखिरी बार वर्ष 1969 में वन्यजीव विज्ञानियों द्वारा प्रलेखित किया गया था।
सिनेरियस गिद्ध (Aegypius monachus):-
- यह एक्सीपिट्रिडे(Accipitridae) परिवार का एक बड़ा शिकारी पक्षी है, जो यूरोप और मध्य एशिया में पाया जाता है।
- इसे काला गिद्ध , भिक्षु गिद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
- इसके पंख गहरे भूरे रंग, बड़ी आंखें और चोंच के पास सफेद धब्बे होते हैं।
- इसके शरीर की लंबाई लगभग 1.2 मीटर, पंखों की लंबाई लगभग 3 मीटर और अधिकतम वजन लगभग 6 से 14 किलोग्राम तक होता है।
- यह संकटग्रस्त प्रजाति विश्व के सबसे बड़े और भारी रैप्टर्स में से एक है।
- इस प्रजाति को IUCN की रेड सूची में रखा गया है।
पारिस्थितिक महत्व:-
- यह पक्षी मृत जानवरों के शवों को खाकर स्वच्छ पारिस्थितिक तंत्रों में एक बड़ी भूमिका निभाता है, जिससे पर्यावरण में बीमारियों का प्रसार कम होता है और पर्यावरण स्वच्छ बना रहता है।
विलुप्त होने का कारण :-
- ये पक्षी अपने खाने की आदतों के कारण कई रोगजनक बिमारियों के संपर्क में आ गये थे जिससे इनकी संख्या में कमी आ गई।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- सिनेरस गिद्ध के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह एक्सीपिट्रिडे (Accipitridae) परिवार का एक बड़ा शिकारी पक्षी है, जो यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है।
- इसे काला गिद्ध , भिक्षु गिद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
- यह संकटग्रस्त प्रजाति विश्व के सबसे बड़े और भारी रैप्टर्स में से एक है।
उपर्युक्त में से कितने सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर - (b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- संकटग्रस्त प्रजाति विश्व के सबसे बड़े और भारी रैप्टर्स सिनेरस गिद्ध के पारिस्थिक महत्व की व्याख्या कीजिए।
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