(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित व भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ
अमेरिका सितंबर तक अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की तैयारी कर रहा है। हालाँकि हिंसक परिदृश्य में अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ताएँ निरंतर विफल हो रही हैं। ऐसे में, अफगानिस्तान के भविष्य, उसकी राजनीतिक स्थिति और भारत के हितों की चर्चा करना आवश्यक हो जाता है।
शांति वार्ता की वर्तमान स्थिति
- तालिबान द्वारा लगातार जारी हिंसक गतिविधियों के कारण शांति वार्ताएँ सफल नहीं हो पा रही हैं। फरवरी 2020 में संपन्न हुए ‘अमेरिका-तालिबान शांति समझौते’ में हिंसा में कमी करना भी शामिल था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। ‘ईद-उल-फितर’ के अवसर पर अफगानिस्तान में अस्थायी युद्धविराम लागू हो गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चेतावनी के बावजूद तालिबान हिंसा के सहारे सत्ता हासिल करने पर तुला है। अशरफ गनी सरकार ने स्थायी युद्धविराम का आह्वान किया है और वह सत्ता हस्तांतरण के लिये जल्द चुनाव कराने को तैयार है, लेकिन तालिबान इससे सहमत नहीं है।
शांति स्थापना के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
- अफगानिस्तान में शांति स्थापना के उद्देश्य से मार्च 2021 में मॉस्को में आयोजित हुई वार्ता में अफगानिस्तान व तालिबान के प्रतिनिधियों के अलावा अमेरिका, रूस, चीन और पाकिस्तान ने भी भाग लिया था।
- अप्रैल 2021 में तुर्की एक वार्ता आयोजित होनी थी, लेकिन तालिबान द्वारा इसमें भाग लेने से इनकार करने पर यह रद्द हो गई थी।
भारत का रुख
- भारत अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार का समर्थन करता है। उसने अफगानिस्तान में विकास कार्यों के लिये $3 बिलियन की सहायता देने का वादा किया है।
- भारत ‘अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित’ (Afghan-Led, Afghan-Owned and Afghan-Controlled) शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है। ‘भारत’ अफगानिस्तान में ‘पाकिस्तान समर्थित तालिबान सरकार’ के पक्ष में नहीं है।
भारत की स्थिति
- ‘भारत’ अफगानिस्तान को अपने विस्तारित पड़ोसी नीति के हिस्से और मध्य एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में देखता है। पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (POK) की भौगोलिक सीमा प्रत्यक्षतः अफगानिस्तान के साथ लगती है।
- माना जा रहा है कि विगत वर्षों में तालिबान की रूढ़िवादी विचारधारा में परिवर्तन आया है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है।
- अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का अर्थ होगा– अफगानिस्तान में भारत संबंधी नीति पर पाकिस्तान का नियंत्रण। इससे पाकिस्तान को भारत विरोधी गतिविधियों के संचालन के लिये अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल करने का अवसर मिल सकता है।
अमेरिका की वापसी के निहितार्थ
अमेरिका ने परोक्षतः तालिबान की माँगें स्वीकार ली हैं क्योंकि अब वह अपनी सैन्य-वापसी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2020 का ‘अमेरिका-तालिबान शांति समझौता’ अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार की अनुपस्थिति में संपन्न हुआ था। ऐसे में, अफगानिस्तान भीषण हिंसा की चपेट में आसक्त है तथा वहाँ गृहयुद्ध छिड़ सकता है और यह स्थिति अनिश्चितकालीन तक जारी रह सकती है।