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भारत के महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन में अफ्रीका की भूमिका

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

केंद्रीय बजट, 2024-25 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन’ (Critical Mineral Mission : CMM) की घोषणा की है। 

क्या है महत्त्वपूर्ण खनिज 

महत्वपूर्ण खनिज वे खनिज होते हैं जो आर्थिक विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। इन खनिजों की उपलब्धता में कमी होने या सीमित भौगोलिक स्थानों में इनका निष्कर्षण या प्रसंस्करण केंद्रित होने से आपूर्ति श्रृंखला में गिरावट व व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।

महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन के बारे में 

  • देश में तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट एवं दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) सहित महत्वपूर्ण खनिजों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है।
  • इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं : 
    • घरेलू उत्पादन का विस्तार करना
    • महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को प्राथमिकता देना
    • परिसंपत्तियों के विदेशी अधिग्रहण को प्रोत्साहित करना। 

दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Element)

  • दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Element) को प्राय: दुर्लभ पार्थिव धातुएँ (Rare Earth Metals) भी कहा जाता है। इनमें 17 रासायनिक तत्त्वों को शामिल किया जाता है, जिनमें 15 लैंथेनाइड्स (Lanthanides) तथा स्कैंडियम व यट्रियम (Yttrium) शामिल हैं।
  • 15 लैंथेनाइड्स में लैन्थनम (Lanthanum), सीरियम (Cerium), प्रेजोडीमियम (Praseodymium), नियोडाइमियम, प्रोमीथियम, समेरियम (Samarium) और युरोपियम को शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इस सूची में गैडोलिनियम, टर्बियम, डिसप्रोसियम (Dysprosium) के साथ-साथ होल्मियम (Holmium), अर्बियम (Erbium), थुलियम, यट्टर्बियम (Ytterbium) और ल्यूटेटियम (Lutetium) भी शामिल हैं।
  • नाम के बावजूद दुर्लभ पृथ्वी तत्व पृथ्वी की भू-पर्पटी में प्रचुरता से पाई जाती हैं। ये तत्त्व एक स्थान पर नहीं बल्कि बिखरे हुए रुप में तथा कम सांद्रता में पाए जाते हैं जिससे इनका आर्थिक दोहन महँगा होता हैं।
  • स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त प्रौद्योगिकियों में विभिन्न दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों का उपयोग किया जाता है। इनमें विंड टरबाइन मैग्नेट, सौर सेल, स्मार्टफोन के घटक और इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाले सेल शामिल हैं।
  • वर्ष 1948 तक भारत एवं ब्राजील विश्व में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के प्राथमिक उत्पादक थे। वर्तमान में सबसे अधिक दुर्लभ पृथ्वी धातुओं वाले देशों में चीन (विश्व में सबसे बड़ा भंडार), अमेरिका, ब्राजील, भारत, वियतनाम के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, रूस, म्यांमार एवं इंडोनेशिया शामिल हैं।

मिशन की आवश्यकता 

  • इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 
  • महत्वपूर्ण खनिजों के लिए भारत की अन्य देशों पर निर्भरता को कम करने के लिए 
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों के आयात से चालू खाता घाटा में वृद्धि को कम करने के लिए 

महत्त्वपूर्ण खनिज के उपयोग 

  • महत्त्वपूर्ण खनिज लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में आवश्यक घटक हैं। इन महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग पवन टर्बाइन जैसी स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में भी किया जाता है। 
  • लिथियम, तांबा, कोबाल्ट एवं दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे खनिज परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, दूरसंचार एवं उच्च तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • खान एवं खनिज (विकास व विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 में छह खनिजों को परमाणु सूची से हटा दिया गया जिससे निजी क्षेत्र को भारत में इनका अन्वेषण करने की अनुमति मिल गई।

भारत द्वारा महत्त्वपूर्ण खनिज का अन्वेषण 

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2019 में विदेशों में खनिज समृद्ध देशों में अन्वेषण के लिए खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) की स्थापना की गई। 
  • अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में कैम्येन के स्वामित्व वाले पाँच ब्लॉकों में लिथियम अन्वेषण एवं खनन के लिए जनवरी 2024 में काबिल (KABIL) द्वारा एक समझौता हस्ताक्षरित किया गया। 
  • भारत में प्रमुख एवं मध्यम स्तर की खनन कंपनियाँ भी खनिजों के स्थिर फीडस्टॉक को सुनिश्चित करने के अवसरों की तलाश कर रही हैं।
    • हालाँकि, ऐसे खनिजों की खोज एवं प्रसंस्करण के लिए भारत की क्षमता अभी शुरुआती चरण में है। 
    • भारत के पास अंतिम उपयोग घटकों की विनिर्माण क्षमता का अभाव है और इसे अपने श्रम बल को अपस्किल (Upskill) करने की आवश्यकता है।

अफ़्रीकी क्षेत्र की भूमिका 

  • भारत के महत्वपूर्ण खनिज मिशन को सफल बनाने के लिए भारत को अफ्रीका के देशों के साथ अपनी मौजूदा साझेदारी का लाभ उठाने की रणनीति विकसित करनी होगी। 
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें दुनिया के ज्ञात महत्वपूर्ण खनिज भंडारों का 30% हिस्सा मौजूद है।
  • भारत अफ़्रीकी महाद्वीप के साथ गहरे राजनीतिक, आर्थिक एवं ऐतिहासिक संबंध साझा करता है, जिसमें तीन मिलियन प्रवासी भारतीयों द्वारा निर्मित व्यापक वाणिज्यिक नेटवर्क हैं। 
  • भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा ‘भविष्य की भूमि’ के रूप में वर्णित अफ्रीका के महत्व की मान्यता भारत द्वारा अफ्रीका में नए राजनयिक मिशन शुरू करने में परिलक्षित होती है।
  • महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग करने से भारत एवं अफ़्रीकी क्षेत्रों के बीच बहुआयामी ऊर्जा साझेदारी में एक नया आयाम आएगा। 

भारत-अफ्रीका द्विपक्षीय व्यापार 

  • वर्ष 2022-23 में 98 बिलियन डॉलर के कुल द्विपक्षीय व्यापार में से 43 बिलियन डॉलर खनन एवं खनिज क्षेत्रों से हुआ है। 
  • भारत ने अफ्रीका में पहले से ही 75 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा ऊर्जा परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों द्वारा निवेश किया गया है। 
  • भारत अपनी कुल मांग का लगभग 15% (34 मिलियन टन) तेल अफ्रीका से खरीदता है। 
  • साथ ही, प्राकृतिक गैस, खनिज एवं खनिज ईंधन का आयात भी बढ़ रहा है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के हिस्से के रूप में भारत सरकार ने अफ्रीका में सौर परियोजनाओं के लिए $2 बिलियन का बेंचमार्क रखा है।
  •  अफ्रीका के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण ऐसे समय में किया जा रहा है जब अफ्रीकी सरकारें ‘पिट-टू-पोर्ट’ मॉडल से अलग हटकर विविधीकरण करने के लिए कई नीतिगत साधनों का उपयोग कर रही हैं।
    • तंजानिया एक बहु-धातु प्रसंस्करण सुविधा विकसित कर रहा है। 
    • जिम्बाब्वे एवं नामीबिया ने मूल्य संवर्धन सुनिश्चित करने के लिए कच्चे खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
    • घाना ने हरित खनिजों के दोहन एवं प्रबंधन के लिए एक नई नीति को मंजूरी दी है।
    • आगामी अफ्रीकी हरित खनिज रणनीति अफ्रीका के खनिज-आधारित औद्योगीकरण के लिए विचारों को बढ़ावा देती है। 
  • विभिन्न देशों की नीतियाँ भारत के लिए विकासात्मक एजेंडे का समर्थन करने का अवसर प्रस्तुत करती हैं।

चीन संबंधी कारक

  • मूल्य श्रृंखला पर चीन के नियंत्रण की सीमा भारत के लिए आर्थिक एवं सुरक्षा जोखिम उत्पन्न करती है। 
    • परिसंपत्तियों के शुरुआती अधिग्रहण, प्रसंस्करण एवं विनिर्माण क्षमताओं के विकास के साथ इस मूल्य शृंखला पर चीन का अत्यधिक प्रभाव है। 
  • चीनी खनन कंपनियों की कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में कोबाल्ट खनन में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। हाल ही में चीन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के साथ 7 बिलियन डॉलर के ‘बुनियादी ढांचे के लिए खनिज’ सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं।

सहयोग के अवसर 

  • भारतीय निर्माण कंपनियों ने 43 अफ्रीकी देशों में कई परियोजनाएँ पूरी की हैं, जिनमें ट्यूनीशिया में ट्रांसमिशन लाइनें, तंजानिया में अस्पताल और घाना में रेलवे लाइनें शामिल हैं। 
  • अफ्रीकी महत्वपूर्ण खनिज परिदृश्य में मेजबान देशों के साथ रणनीतिक परियोजनाओं की पहचान करना और खनन के आस-पास बुनियादी ढाँचे का निर्माण महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत ने भू-वैज्ञानिक मानचित्रण, खनिज भंडार मॉडलिंग एवं क्षमता निर्माण में सहयोग के लिए जाम्बिया व जिम्बाब्वे के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। 

आगे की राह 

  • महत्वपूर्ण खनिज कार्यबल बनाने में मदद करने के लिए भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (Indian Technical and Economic Cooperation : ITEC) जैसे तंत्रों का उपयोग करना महत्त्वपूर्ण है। 
    • इसने 10 वर्षों में 40,000 अफ्रीकियों को प्रशिक्षित किया है, जो सकारात्मक रूप से ऊर्जा भागीदारी को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
  • खनन मूल्य श्रृंखला में भारतीय प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप की भूमिका निरंतर बढ़ रही है।
    • खनन के विशिष्ट क्षेत्रों में इनकी विशेषज्ञता को अफ्रीकी सरकारें प्राथमिक दे सकती हैं। 
  • भारत के महत्वपूर्ण खनिज मिशन को ऐसे युग में जिम्मेदार प्रथाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए जहाँ हरित ऊर्जा संक्रमण के भू-राजनीति से प्रभावित होने की संभावना है।
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