प्रारंभिक परीक्षा –भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सीईपीए मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध |
चर्चा में क्यों?
- भारत और यूएई ने वर्ष 2030 तक गैर-पेट्रोलियम उत्पादों में द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
- हाल ही में भारत और यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते-सीईपीए की संयुक्त परिषद की पहली बैठक का आयोजन किया गया।
- इस बैठक में सीईपीए समझौते में हुई प्रगति की समीक्षा की गई। इस समझौते के तहत दोनों देश कई उत्पादों पर व्यापार शुल्क में रियायत देने पर सहमत हुए हैं।
- इस बैठक में किये गए समझौते के अनुसार वर्तमान में भारत और यूएई के बीच गैर-पेट्रोलियम उत्पादों का द्विपक्षीय व्यापार 48 अरब डॉलर का है, जिसे दोनों देश सौ अरब डॉलर तक ले जाने के इच्छुक हैं।
- सीईपीए की नवगठित संयुक्त परिषद् मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, महिला उद्यमियों और स्टार्ट-अप क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगी।
भारत और यूएई के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए)
- मार्च 2022 को भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) हुआ था।
भारत- यूएई सीईपीए की मुख्य विशेषताएं :
- भारत- यूएई सीईपीए पिछले एक दशक में किसी भी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला गहरा एवं पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता है।
- यह एक व्यापक समझौता है जिसमें वस्तुओं का व्यापार, मूल स्थान के नियम, सेवाओं का व्यापार, व्यापार की तकनीकी बाधाएं (टीबीटी), स्वच्छता एवं साइटोसैनिटरी (एसपीएस) उपाय, विवाद निपटान, नैचुलर पर्सन की आवाजाही, दूरसंचार, सीमा शुल्क संबंधी प्रक्रिया, फार्मास्युटिकल उत्पाद, सरकारी खरीद, आईपीआर, निवेश, डिजिटल व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल होंगी।
सीईपीए के प्रभाव अथवा लाभ:
- सीईपीए दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और उसे सुधारने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सीईपीए में भारत (11,908 टैरिफ लाइन) और संयुक्त अरब अमीरात (7,581 टैरिफ लाइन) लगभग सभी मौजूदा टैरिफ लाइनों को शामिल किया गया है।
- भारत को अपनी 97 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान की जाने वाली तरजीही बाजार पहुंच का लाभ मिलेगा जो मूल्य के संदर्भ में यूएई को भारतीय निर्यात का 99 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त है।
- इसमें विशेष तौर पर व्यापक श्रम वाले लगभग सभी क्षेत्र शामिल हैं, जैसे रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि एवं लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल।
- भारत भी अपनी 90 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर यूएई को तरजीही पहुंच प्रदान करेगा जिसमें यूएई के लिए निर्यात लाइनें भी शामिल हैं।
पृष्ठभूमि:
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध, जिनकी जड़ें काफी गहरी, ऐतिहासिक और घनिष्ठ सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत समानताएं, लगातार उच्च स्तरीय राजनीतिक बातचीत एवं लोगों से लोगों के बीच जीवंत संबंधों द्वारा पोषित हैं।
- इन्हीं संबंधों की आधुनिक शुरुआत भारत- यूएई व्यापक रणनीतिक भागीदारी 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान हुई थी।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक-दूसरे के प्रमुख व्यापारिक भागीदार रहे हैं।
- दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध समय के साथ लगातार बढ़ते और गहरे होते रहे हैं।
- भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1970 के दशक में 18 करोड़ डॉलर था।
- द्विपक्षीय व्यापार 72.9 अरब अमेरिकी डॉलर (अप्रैल 21-मार्च 2022) से बढ़कर 84.5 अरब अमेरिकी डॉलर (अप्रैल 22-मार्च 2023) हो गया है, जो कि सालाना आधार पर 16% की दमदार वृद्धि दर्शाता है।
- ‘सीईपीए’ के कार्यान्वयन की अवधि (मई 22 से मार्च 23 तक) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब अमेरिकी डॉलर (मई 21-मार्च 2022) से बढ़कर 76.9 अरब अमेरिकी डॉलर (मई 22-मार्च 2023) हो गया जो कि सालाना आधार पर 14% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।
- यूएई भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और वह सामरिक पेट्रोलियम भंडार, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम पेट्रोलियम क्षेत्रों के विकास में भारत का एक प्रमुख भागीदार है।
- इसके अलावा, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने हाल में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) में किया है जिसके तहत यूएई ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 75 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है।
- अक्टूबर 2021 में दुबई सरकार ने रियल एस्टेट, औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देश्यीय टावर, लॉजिस्टिक, मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल आदि के विकास के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
स्रोत: the hindu & pib