(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।) |
संदर्भ
हाल ही में, फ्रांस की राजधानी पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)एक्शन शिखर सम्मेलन, 2025 का आयोजन किया गया।
ए.आई. एक्शन शिखर सम्मेलन 2025 के बारे में
- अध्यक्षता : भारत एवं फ्रांस द्वारा सह-अध्यक्षता
- भागीदारी : सम्मेलन में 90 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया
- विषय: लोगों और ग्रह के लिए समावेशी एवं टिकाऊ कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- यह ए.आई. शिखर सम्मेलनों की शृंखला में तीसरा सम्मेलन है।
- इससे पहले वर्ष 2023 में ब्रिटेन द्वारा और वर्ष 2024 में दक्षिण कोरिया द्वारा ए.आई. सम्मेलनों का आयोजन किया गया था।
- वर्ष 2026 में भारत द्वारा ए.आई. शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
- चर्चा के प्रमुख विषय
- समावेशन सुनिश्चित करने के लिए ए.आई. बुनियादी ढाँचे तक पहुँच
- ए.आई. का जिम्मेदार उपयोग
- सार्वजनिक हित के लिए ए.आई. उपयोग
- ए.आई. को अधिक विविध और टिकाऊ बनाना
- ए.आई. का सुरक्षित और विश्वसनीय शासन सुनिश्चित करना
सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष
- पब्लिक इंटरेस्ट ए.आई. प्लेटफॉर्म और इनक्यूबेटर कीस्थापना : ए.आई. के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने, सार्वजनिक एवं निजी प्रयासों के बीच अंतराल को दूर करने और डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत की गई है।
- इसका उद्देश्य डाटा, मॉडल विकास, पारदर्शिता, ऑडिटिंग, कंप्यूटिंग, प्रतिभा वित्तपोषण और सहयोग जैसे क्षेत्रों में तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण परियोजनाओं का समर्थन करके एक भरोसेमंद ए.आई. पारिस्थितिकी तंत्र का सह-निर्माण करना है।
- पेरिस घोषणा पत्र : सम्मेलन का समापन फ्रांस, चीन, भारत और जर्मनी सहित 60 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक महत्वपूर्ण घोषणा पत्र के साथ हुआ।
- इस घोषणा पत्र पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने ए.आई. के अत्यधिक विनियमन के कारण हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है।
पेरिस घोषणा पत्र के प्रमुख बिंदु
- घोषणापत्र में 6 मुख्य प्राथमिकताएं रेखांकित की गईं:
- डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए ए.आई. सुलभता को बढ़ावा देना।
- ए.आई. को खुला, समावेशी, पारदर्शी, नैतिक, सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद बनाना तथा सभी के लिए अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे को ध्यान में रखना।
- ए.आई. नवाचार के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण और औद्योगिक सुधार एवं विकास को बढ़ावा देना।
- ए.आई. के प्रयोग को प्रोत्साहित करना, जिससे कार्य और श्रम बाजारों के भविष्य को सकारात्मक रूप से आकार मिलेगा।
- लोगों और ग्रह के लिए ए.आई. को टिकाऊ बनाना।
- अंतर्राष्ट्रीय शासन में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना।
भारत का पक्ष
- भारत की ओर से पीएम मोदी ने सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करते हुए 11 फरवरी 2025 को अपना वक्तव्य दिया, जिसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं :
- ग्लोबल साउथ के लिए ए.आई. तक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता
- प्रौद्योगिकी और इसके जन-केंद्रित अनुप्रयोगों का लोकतंत्रीकरण करने का आह्वान
- भारत द्वारा लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) विकसित करने की घोषणा
- ए.आई. विनियमन एवं नैतिक प्रयोग के लिए वैश्विक मानदंडों को निर्धारित करने की आवश्यकता
- साइबर सुरक्षा, दुष्प्रचार और डीपफेक संबंधी चिंताओं को दूर करने का आह्वान
- विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ओपन सोर्स सिस्टम के विकास पर बल
भारत का ए.आई. मिशन
- 7 मार्च, 2024 को केंद्र सरकार द्वारा इंडिया ए.आई.मिशन को मंजूरी दी गई थी।
- कुल व्यय : 10,371 करोड़ रुपये
- इस मिशन को डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) के अंतर्गत 'इंडिया AI' इंडिपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (IBD) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
भविष्य में ए.आई. के प्रभाव
- रोजगार: ए.आई. क्रांति के कारण वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 40% अर्थात 107 करोड़ रोज़गार पर संकट होगा।
- इनकी जगह ऐसे रोज़गार सृजित होंगे, जिनमें ए.आई. लर्निंग और ए.आई. स्किल्स की आवश्यकता होगी।
- अर्थव्यवस्था: अनुमान है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को ए.आई. क्रांति से लगभग 1500 लाख करोड़ रुपये का लाभ होगा।
- दैनिक अनुप्रयोग: ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में 100 करोड़ ए.आई. रोबोट होंगे, जो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाएंगे, अस्पतालों में सर्जरी करेंगे और घरों में सफाई भी करेंगे।
ए.आई. के लिए अत्यधिक ऊर्जा की चुनौती
- ए.आई. एक ऊर्जा-गहन तकनीक है। उदाहरण के लिए, ChatGPT में एकबार कुछ खोज करना लगभग 2.9Whबिजली की मांग करता है, जो किGoogle खोज से लगभग दस गुना अधिक है।
- गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, वर्ष 2030 तक ए.आई. डाटा सेंटर द्वारा बिजली की मांग 160% बढ़ जाएगी।
- डाटा सेंटर की मांगों को पूरा करने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के संदर्भ में सामाजिक लागत $125 बिलियन और $140 बिलियन के बीच होने का अनुमान है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में डाटा केंद्रों ने 1.65 बिलियन गीगा जूल बिजली की खपत की, जो वैश्विक मांग का लगभग 2% है।
- वर्ष 2026 तक, ए.आई. से कुल बिजली की खपत 1,000 टेरावाट-घंटे से अधिक हो सकती है, जो जापान की कुल बिजली खपत के लगभग बराबर है।
- बड़े डाटा केंद्रों की औसत बिजली खपत लगभग 100MW या उससे अधिक है, जो 350,000 से 400,000 इलेक्ट्रिक कारों की वार्षिक बिजली मांग के बराबर है।
यह भी जानें
लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM)
- LLM एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्रोग्राम है, जिसको टेक्स्ट (text) आधारित डाटा पर प्रशिक्षित किया जाता है, इसकी सहायता से प्रत्येक प्रश्न का लिखित रूप में जवाब मिलता है, जैसे- ChatGPT, जैमिनी, डीपसीक इत्यादि।
- पेरिस सम्मेलन में भारत ने भी अपना LLM तैयार करने की घोषणा की है।
- इस डाटा के प्रयोग से ए.आई. को क्षेत्रीय भाषा के लिए प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
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