(मुख्य परीक्षा, सामान्य अधययन प्रश्नपत्र– 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)
संदर्भ
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की उपयोगिता अब केवल व्यवसायों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कुछ अर्थव्यवस्थाओं ने भी आर्थिक संवृद्धि के साधन के रूप में ए.आई. क्षमताओं के निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के देशों जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाएँ पहले से ही इस दौड़ में अगली पंक्ति में हैं।
- पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने भी कृत्रिम बुद्धिमता प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं। हालाँकि अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें भारत को ए.आई. प्रौद्योगिकी को अपनाने हेतु अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
ए.आई. आधारित अर्थव्यवस्था का महत्त्व
- डाटा तथा ए.आई. आधारित सेवाएँ भारत की आर्थिक संवृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। नैसकॉम के अनुसार, डाटा और ए.आई. प्रौद्योगिकी से वर्ष 2025 तक भारत की जी.डी.पी. में $ 450 बिलियन से $ 500 बिलियन तक योगदान होने का अनुमान है, जो भारत सरकार के $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य का लगभग 10% है।
- ए.आई. का बढ़ता चलन अर्थव्यवस्था में व्यापक स्तर पर तकनीकी रोज़गार के अवसर पैदा करेगा।
- ए.आई. तकनीक बैंक और अन्य सेवा प्रदाताओं की कुछ साझा समस्याओं के लिये समाधान उपलब्ध करा सकती है। यह तकनीक ऋण आवेदन प्रक्रिया में तेज़ी लाने तथा ग्राहक सेवा में सुधार करने के साथ-साथ बेहतर प्रशासन के लिये भी समाधान उपलब्ध कराने में सक्षम है।
- दूरसंचार विभाग के अनुसार, भारत में लॉकडाउन के बाद से इंटरनेट की खपत में 13% की वृद्धि हुई है। चूँकि इंटरनेट ए.आई. का अभिन्न अंग है अत: उपभोक्ताओं द्वारा इंटरनेट की बढ़ती खपत लोगों में ए.आई. तकनीक के उपयोग की समझ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सरकार के प्रयास
- भारत ने सरकारी प्रयासों तथा निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में ए.आई. क्षमता-निर्माण में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। इसी दिशा में भारत सरकार ने ए.आई. के उपयोग तथा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिये एक वैश्विक सम्मेलन ‘सामाजिक सशक्तिकरण के लिये जवाबदेह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 2020’ का आयोजन किया।
- ‘सभी के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता’, नीति आयोग की राष्ट्रीय स्तर पर प्रौद्योगिकी आधारित समावेशी विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीति है। इसके तहत स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट शहरों तथा बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु ए.आई. आधारित समाधानों की पहचान की जाएगी।
- हाल ही में, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार ने ए.आई. तकनीक को अपनाने के लिये नई नीतियों एवं रणनीतियों की घोषणा की है। प्रौद्योगिकी कम्पनियों ने भी अपने ग्राहकों की समस्याओं के समाधान हेतु वैश्विक स्तर पर ए.आई. उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये हैं।
- वर्तमान में भारत में एक सम्पन्न ए.आई. स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। भारत में कैंसर स्क्रीनिंग तथा स्मार्ट कृषि जैसे क्षेत्रों में ए.आई. तकनीक को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा हैं।
सम्बंधित समस्याएँ तथा सुझाव
- भारत ने कौशल विकास के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कार्यबल में अभूतपूर्व वृद्धि की है लेकिन कार्यबल की बढ़ती मांग की तुलना में इसकी आपूर्ति अत्यधिक कम है।
- इसलिये भारत को ए.आई. तथा मशीन लर्निंग क्षेत्र से सम्बंधित मानव संसाधन की पर्याप्त उपलब्धता के लिये क्षेत्रीय स्तर पर कौशल विकास कार्यक्रमों तथा तकनीकी रूप से सुसज्जित उत्कृष्टता केंद्रों के निर्माण हेतु प्रयास करने चाहिये।
- ए.आई. अर्थव्यवस्था के निर्माण में डाटा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिये गोपनीयता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण के साथ डाटा का उपयोग किया जाना चाहिये। साथ ही डाटा को नियंत्रित करने तथा उसके नैतिक उपयोग के लिये एक सशक्त क़ानूनी ढाँचे की भी आवश्यकता है।
- भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित क्षेत्रों में उपयोग के लिये डाटा के विश्लेष्ण तथा वर्गीकरण के लिये ‘डाटा प्रबंधन केंद्रों’ का अभाव है। अतः सरकार को निजी क्षेत्र की सहायता से डाटा प्रबंधन ढाँचे में निवेश करने की ज़रूरत है, जिससे ए.आई. प्रौद्योगिकी में आवश्यकतानुसार परिणामों के लिये त्रुटिरहित डाटा की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में ए.आई. प्रौद्योगिकी का भविष्य आशाजनक है। इस प्रौद्योगिकी की क्षमताओं को वास्तविक रूप देने के लिये भारत को प्रतिभा विकास, डाटा का नैतिक उपयोग तथा सुशासन के लिये मज़बूत नीतियों एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना के निर्माण की दिशा में कार्य करना चाहिये और इसके लिये दीर्घकालीन निवेश के साथ-साथ दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।