(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान, मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 ; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी - विकास एवं अनुप्रयोग, जैव प्रौद्योगिकी)
संदर्भ
हाल ही में, शोधकर्ताओं ने ल्यूकेमिया (कैंसर) से पीड़ित एक एच.आई.वी. संक्रमित महिला के शरीर में एच.आई.वी. प्रतिरोधी व्यक्ति के स्टेम सेल को ट्रान्सप्लांट करके उपचार करने में सफलता प्राप्त की है। वे एच.आई.वी. से मुक्त होने वाली पहली महिला हैं और यह इस पद्धति की सफलता का ऐसा तीसरा मामला है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- रेट्रोवायरस एवं अन्य अवसरजन्य संक्रमणों (Opportunistic Infections) से प्रभावित महिला के उपचार में गर्भनाल रक्त (Umbilical cord blood) के प्रयोग का यह पहला मामला है। भविष्य में यह उपचार का एक नया माध्यम बन सकता है।
- वस्तुतः एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर, जो अस्थि मज्जा में रक्त बनाने वाली कोशिकाओं में प्रारंभ होता है) के उपचार में गर्भनाल रक्त के प्रयोग से यह महिला बिना किसी एच.आई.वी. उपचार की आवश्यकता के 14 माह से एच.आई.वी. संक्रमण से मुक्त है।
- इसके पूर्व के दो मामले पुरुषों के हैं, जिनके उपचार में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में उपयोग की जाने वाली वयस्क स्टेम सेल का प्रयोग किया गया था।
- यह मामला अमेरिका समर्थित, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, बाल्टीमोर के चिकित्सकों के एक अध्ययन का हिस्सा है। इसका उद्देश्य एच.आई.वी. संक्रमित 25 लोगों का उपचार करना है। इसमें कैंसर और अन्य गंभीर रोगों के उपचार में गर्भनाल के रक्त से प्राप्त स्टेम सेल का प्रत्यारोपण किया जाता है।
- इसमें उपचार के दौरान कैंसर-कारक प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। इसके उपरांत चिकित्सक द्वारा एक विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले व्यक्ति के स्टेम सेल को प्रत्यारोपित किया जाता है। वस्तुतः इन स्टेम सेल में वे ग्राही (Receptor) नहीं होते, जिनका उपयोग वायरस द्वारा कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिये किया जाता है।
- वैज्ञानिकों का मत है कि इस विधि के प्रयोग से रोगी व्यक्ति एच.आई.वी. के लिये प्रतिरोधी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित कर लेते हैं।
- प्रो. लेविन के अनुसार, अधिकांश एच.आई.वी. संक्रमित रोगियों के उपचार हेतु अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण एक व्यवहार्य रणनीति नहीं है। हालाँकि, रिपोर्ट यह पुष्टि करती है कि एच.आई.वी. का उपचार संभव है और इसके उपचार हेतु एक व्यवहार्य रणनीति के रूप में जीन थेरेपी का उपयोग इसे और प्रभावी बनाता है।
- अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि उपरोक्त रोगों के सफलतापूर्वक उपचार में एच.आई.वी. प्रतिरोधी कोशिकाओं के प्रत्यारोपण ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्व में, एक सामान्य स्टेम सेल ट्रान्सप्लांट से ‘ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट रोग’ (graft-versus-host disease) होने का जोखिम था।
ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट रोग में स्टेम सेल के प्रत्यारोपण में दाता (Donor) की प्रतिरक्षा प्रणाली प्राप्तकर्ता (Recipient) की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करती है।
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