New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

ऐकिडो और जुजित्सु मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट केवल शारीरिक शक्ति और लड़ाई की तकनीक से कहीं बढ़कर अनुशासन, सम्मान और किसी क्षेत्र या देश की सांस्कृतिक विरासत का मिश्रण हैं। आत्मरक्षा और प्रदर्शन से परे, ये कलाएँ छात्रों और अभ्यासकर्ताओं में अनुशासन और कठोरता के मूल्यों को स्थापित करती हैं।

जुजित्सु मार्शल आर्ट 

  • जुजित्सु जापानी मार्शल आर्ट की एक रक्षात्मक शैली है, जिसे लोग स्वयं की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस मार्शल आर्ट की शुरुआत 17वीं सदी की शुरुआत में जापान में हुई थी।
  • ऐसा माना जाता है कि समुराई योद्धाओं ने युद्ध के दौरान अपने खो देने की स्थिति में विभिन्न प्रकार की कुश्ती और आत्मरक्षा तकनीकों का विकास किया था।
  • प्रमुख शाखाएं : 
    • जूडो : इसे 19वीं शताब्दी के अंत में जुजुत्सु की कई पारंपरिक शैलियों से विकसित किया गया था। 1964 के यह टोक्यो में आयोजित ओलंपिक खेलों का हिस्सा बन गया। 
    • सैम्बो : यह वर्ष 1920 के दशक में सोवियत सेना द्वारा सैनिकों की हाथ से लड़ाई की क्षमताओं में सुधार करने के लिए विकसित एक युद्ध खेल है। 
    • ब्राजीलियन जिउ-जित्सु : इसका विकास 1920 के दशक में हुआ था और अब यह सबसे लोकप्रिय आत्मरक्षा शैलियों में से एक है।
    • मिश्रित मार्शल आर्ट : यह वर्तमान में सबसे लोकप्रिय युद्ध खेल है, इसने जुजुत्सु और अन्य शैलियों से काफी कुछ ग्रहण किया है जिन पर इसका प्रभाव पड़ा है।

ऐकिडो

  • ऐकिडो जुजित्सु की एक अन्य शाखा है। इसे 20वीं सदी की शुरुआत में मार्शल आर्टिस्ट मोरीही उशीबा ने विकसित किया था। 
    • ऐकिडो का शाब्दिक अर्थ है "ऊर्जा को सामंजस्यपूर्ण बनाने का तरीका"। 
    • यह जापान की कई मार्शल आर्ट में सबसे नई है।
  • ऐकिडो का उद्देश्य संघर्ष को अहिंसक तरीके से समाप्त करना होता है। इसमें प्रतिद्वंद्वी पर हावी होने के बजाय हमलों को रोकना और प्रतिद्वंद्वी की ताकत का मुकाबला करना शामिल है। 
  • एक ऐकिडो अभ्यासकर्ता का प्राथमिक लक्ष्य हिंसा या आक्रामकता विकसित करने के बजाय स्वयं पर विजय प्राप्त करना है।

भारतीय मार्शल आर्ट 

कलारिपयाट्टू 

  • कलारीपयट्टू को अक्सर सभी मार्शल आर्ट की जननी कहा जाता है और इसकी उत्पत्ति तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में केरल में हुई थी। यह भारत की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट में से एक है।
  • यह एक अत्यधिक परिष्कृत और विस्तृत तकनीक है तथा इसमें तलवार, भाले और ढाल जैसे विभिन्न पारंपरिक हथियारों का उपयोग भी शामिल है।

​गतका 

  • यह सिख समुदाय की पारंपरिक मार्शल आर्ट है और इसकी उत्पत्ति पंजाब में हुई है। इसमें कुशल और विशिष्ट फुटवर्क के साथ-साथ तरल और लचीली क्रियाएं भी शामिल हैं। 

  • गतका अभ्यासियों को तेज लाठी के प्रहारों के बारे में सीखना होता है, लेकिन इसका उपयोग केवल आत्मरक्षा के लिए करना होता है।

कुट्टू वरिसाई  

  • इस मार्शल आर्ट की उत्पत्ति तमिलनाडु क्षेत्र में हुई है, इसमें सशस्त्र लड़ाई की तकनीकों को निहत्थे युद्ध के साथ जोड़ा जाता है। 
  • कुट्टू वरिसाई के अभ्यासी अपनी आंतरिक शक्ति को चैनलाइज़ करने और अखाड़े या मैदान में सटीक और शक्तिशाली दांव के रूप में इसे बाहर निकालने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

थांग-टा 

  • यह मणिपुर का एक पारंपरिक मार्शल आर्ट है जिसमें सशस्त्र और निहत्थे दोनों तरह की लड़ाई शामिल है।
  • यह न केवल आत्मरक्षा के साधन के रूप में कार्य करता है, बल्कि मणिपुरी लोगों, विशेष रूप से मैती लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं का भी एक हिस्सा है।

मलखंब 

  • मल्लखंब प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट का एक अनूठा रूप है, इसमें एक ऊर्ध्वाधर लकड़ी के खंभे या रस्सी पर कलाबाजी, योग आसन और कुश्ती की हरकतें करना शामिल है।
  • मूल रूप से योद्धाओं के लिए शारीरिक कंडीशनिंग के रूप में विकसित, मल्लखंब आज एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में विकसित हो गया है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR