प्रारंभिक परीक्षा
(प्रारंभिक परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 समसामयिक घटना क्रम एवं पर्यावरण एवं पारिस्थिकी)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध - सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।)
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संदर्भ
हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQAM) द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के राज्यों में पराली जलाने पर लागू की जाने वाली संशोधित पर्यावरण क्षतिपूर्ति दरें जारी की इसके अन्तर्गत किसानों पर लागू जुर्माने को दोगुना कर दिया गया है।
संशोधित नियम
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (पराली जलाने पर पर्यावरणीय मुआवजे का अधिरोपण, संग्रहण और उपयोग) संशोधन नियम, 2024 अधिसूचित किये गये हैं।
- इन नियमों के अनुसार, दो एकड़ से छोटे भूखंड वाले किसानों पर पराली जलाने की के लिए 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
- जिनके पास दो एकड़ से अधिक लेकिन पांच एकड़ से कम जमीन है, उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को प्रति घटना 30,000 रुपये का भुगतान करना होगा।
- नई अधिसूचना के अनुसार पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना लगाने का प्रारूप भी दिया गया है। इसमें राज्य के अधिकारियों को किसान का नाम, घर का नंबर, गली, गांव, तहसील, जिला, संपर्क विवरण, भूमि विवरण (खसरा, खेवट और खतौनी नंबर सहित) और अनुमानित क्षेत्र सहित विवरण को भी अनिवार्य कर दिया गया है ।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- परिचय : वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- उद्देश्य : आयोग का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों(एनसीआर के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान) में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान करना है।
- आयोग के कार्य :
- संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) द्वारा की गई कार्रवाइयों का समन्वय करना।
- क्षेत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए योजना बनाना और उन्हें क्रियान्वित करना।
- वायु प्रदूषकों की पहचान के लिए रूपरेखा प्रदान करना।
- तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास करना।
- वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए विशेष कार्यबल का प्रशिक्षण देना और उनका सृजन करना।
- विभिन्न कार्य योजनाएं तैयार करना जिस वृक्षारोपण बढ़ाना और पराली जलाने की समस्या से निपटना।
- आयोग की शक्तियां: आयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करना
- वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित अनुसंधान की जांच और संचालन करना
- वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कोड और दिशानिर्देश तैयार करना
- ऐसे निर्देश जारी करना जो संबंधित व्यक्ति या प्राधिकरण पर बाध्यकारी होंगे
- आयोग के आदेशों या निर्देशों का पालन न करने या उल्लंघन करने पर पांच साल तक की जेल और/या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- आयोग अधिनियम में परिभाषित मामलों (जैसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन) पर अधिकार क्षेत्र वाला एकमात्र प्राधिकरण होगा।
- किसी भी विवाद की स्थिति में, आयोग के आदेश या निर्देश राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों पर प्रभावी होंगे।
- संरचना: आयोग में निम्नलिखित शामिल होंगे:
- एक अध्यक्ष
- केंद्र सरकार के दो संयुक्त सचिव
- स्वतंत्र तकनीकी सदस्यों के रूप में वायु प्रदूषण से संबंधित ज्ञान और विशेषज्ञता वाले तीन व्यक्ति
- गैर-सरकारी संगठनों के तीन सदस्य।