प्रारंभिक परीक्षा:
(भारतीय राजव्यवस्था)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, विभिन्न संवैधानिक पदों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व)
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संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) को दिल्ली सरकार के मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह के बिना दिल्ली नगर निगम (MCD) में 'एल्डरमैन' को नामित करने का अधिकार है।
एल्डरमैन (Aldermen) के बारे में
- एल्डरमैन शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों ‘ओल्ड’ (Old/Ald/Eald) और ‘मैन’ (Man) के संयोजन से हुई है जिसका अर्थ है वृद्ध या अनुभवी व्यक्ति।
- एल्डरमैन शब्द की शुरुआत पुराने अंग्रेजी शब्द एल्डोरमैन (Aldormonn/Ealdormann) से हुई है। पुराने समय में किसी कबीले या जनजाति के बुजुर्गों को इस शब्द से संदर्भित किया जाता था।
एल्डरमैन का मनोनयन
- दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 (DMC अधिनियम) के अनुसार, 25 वर्ष से अधिक आयु के 10 लोगों को LG द्वारा MCD में नामित किया जा सकता है।
- इन लोगों से नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव की अपेक्षा की जाती है।
हालिया विवाद
- जनवरी 2023 में दिल्ली के LG ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा- 3 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 10 एल्डरमैन को मनोनीत किया था।
- इसके विरोध में दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में LG के इस फैसले को अनुच्छेद 239(A)(A) के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी थी।
- अनुच्छेद 239(A)(A) के अनुसार, दिल्ली राज्य में मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री "उन मामलों के संबंध में अपने कार्यों के अभ्यास में LG की सहायता एवं सलाह करेंगे, जिनके संबंध में विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति है, सिवाय इसके कि उन्हें किसी कानून के तहत या अपने विवेक से कार्य करने की आवश्यकता है"।
- विधानसभा के पास राज्य सूची में 'सार्वजनिक व्यवस्था', 'पुलिस' एवं 'भूमि' के अलावा सभी विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।
सर्वोच्च न्यायालय का हालिया निर्णय
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 (DMC अधिनियम) दिल्ली LG को मंत्रिपरिषद से परामर्श किए बिना एल्डरमैन को नामित करने की ‘स्पष्ट’ शक्ति प्रदान करता है और जनवरी 2023 में 10 एल्डरमैन को नामित करना शक्ति का वैध प्रयोग था।
- पीठ के अनुसार, LG को यह शक्ति DMC अधिनियम, 1957 की धारा 3(3)(बी)(1) से प्राप्त है।
- यह अधिनियम, एक संसदीय कानून है, जिसे 1993 में संशोधित कर 10 विशेषज्ञ व्यक्तियों को नामित करने की शक्ति प्रदान की गई।
- न्यायालय के अनुसार, दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्ति संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य एवं समवर्ती सूची के विषयों से निपटने वाले संसदीय कानून के अनुरूप होगी।
- LG को कानून के अनुसार काम करना है, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह से निर्देशित होना है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस फैसले के लिए दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ (2023) में पांच जजों की पीठ के फैसले का हवाला दिया।
- वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि संसद के पास राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार होगा, यदि मामला दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) का हो।
- इस मामले में 'स्थानीय सरकार' पर कानून पारित करने का अधिकार भी शामिल होगा, जो राज्य सूची के अंतर्गत आता है और यह DMC अधिनियम भी इस अधिकार के दायरे में आएगा।
एल्डरमैन के अधिकार एवं उत्तरदायित्व
- DMC अधिनियम के तहत दिल्ली को 12 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- यह अधिनियम प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक 'वार्ड समिति' भी गठित करता है जिसमें उस क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं एल्डरमैन शामिल होते हैं।
- हालाँकि, एल्डरमैन को MCD की बैठकों में वोट देने का अधिकार नहीं है किंतु वे वार्ड समिति के माध्यम से सदन के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- 12 वार्ड समितियों में से प्रत्येक को अपनी पहली बैठक में MCD स्थायी समिति का हिस्सा बनने के लिए एक सदस्य का चुनाव करना होता है।
- एल्डरमैन इन चुनावों में मतदान कर सकते हैं और स्थायी समिति के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए उम्मीदवार भी हो सकते हैं।
- हालांकि, मेयर MCD का प्रमुख होता है, लेकिन स्थायी समिति निगम के कार्यों का प्रभावी प्रबंधन करती है, और मतदान प्रक्रिया में एल्डरमैन की भागीदारी के बिना इसका गठन नहीं किया जा सकता।
- इस समिति के बिना MCD निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकती है :
- 5 करोड़ रुपए से अधिक व्यय वाले अनुबंध करना
- MCD अधिकारियों को प्रमुख पदों पर नियुक्त करना
- बजट संशोधन की सिफारिश करना
- चालू वर्ष से परे व्यय से संबंधित किसी भी शक्ति के प्रयोग को मंजूरी देना