प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा : अल्लूरी सीताराम राजू, रम्पा विद्रोह मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र:1- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन |
चर्चा में क्यों –
- 4 जुलाई 2023 को हैदराबाद में अल्लूरी सीताराम राजू का 125 वां जन्मोत्सव मनाया गया।
मुख्य बिंदु -
- इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू के मूल्यों को आत्मसात करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
- राष्ट्रपति ने कहा, समाज के वंचित वर्गों की भलाई के लिए निःस्वार्थ और निडर होकर काम करना आदिवासी योद्धा के जीवन से लिया जाने वाला संदेश है।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर तेलुगु फिल्म अल्लूरी सीतारम राजू और श्री श्री के गीत "तेलुगु वीरा लेवारा...दीक्षा बूनी सागर (शपथ लें और आगे बढ़ें)" का जिक्र किया।
- राष्ट्रपति ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू का चरित्र जाति और वर्ग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के समाज को एकजुट करने का उदाहरण है।
अल्लूरी सीताराम राजू –
- अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई, 1897 ई. (कुछ स्त्रोतों में 1898) को भीमावरम के निकट मोगल्लू गांव ,वर्तमान आंध्रप्रदेश में, हुआ था।
- पैतृक गांव में ही स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात उच्च शिक्षा के लिए वे विशाखापत्तनम चले गए।
- 18 वर्ष की आयु में उन्होंने सन्यास ले लिया तथा कृष्णदेवीपेट में आश्रम बनाकर ध्यान व साधना आदि में लग गए।
- आदिवासियों ने उन्हें ऐसा संत माना , जो उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों के अपमानजनक अस्तित्व से मुक्ति दिलाएगा ।
राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान –
- असहयोग आंदोलन के दौरान सीताराम राजू ने स्थानीय पंचायतों में आपसी विवादों को सुलझाने और औपनिवेशिक अदालतों का बहिष्कार करने के लिए आदिवासियों को प्रेरित किया।
- कुछ समय पश्चात गांधीवादी आंदोलन से उनका मोहभंग हो गया और अगस्त,1922 में उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध 'रम्पा विद्रोह' आरम्भ किया।
- रम्पा प्रशासनिक क्षेत्र में लगभग 2800 जनजातियाँ रहती थीं , जो खेती में 'पोड़ु' प्रणाली का प्रयोग करती थीं। 'पोड़ु' प्रतिवर्ष जंगलों को काटकर की जाने वाली खेती है।
- 'मद्रास वन अधिनियम, 1882' के तहत 'पोड़ु' खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- इस आदेश के विरुद्ध आदिवासियों ने सशस्त्र विद्रोह प्रारंभ कर दिया , जिसे ' मान्यम ' के नाम से जाना जाता है।
- इन आदिवासियों ने पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों और रेलवे लाईनों के निर्माण में बंधुआ मजदूरों के रूप में काम करने से मना कर दिया।
- सीताराम राजू ने उनके लिए न्याय की मांग की और अंग्रेजों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध का सहारा लिया।
- 22 अगस्त, 1922 को उन्होंने पहला हमला चिंतापल्ली में किया। अपने 300 सैनिकों के साथ शस्त्रों को लूटा। उसके बाद कृष्णदेवीपेट के पुलिस स्टेशन पर हमला कर किया और विरयया डोरा को मुक्त करवाया।
- सीताराम राजू को पकड़वाने के लिए सरकार ने स्कार्ट और आर्थर नाम के दो अधिकारियों को इस काम पर लगा दिया और उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 10,000 रुपये इनाम की घोषणा की।
- आदिवासियों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के कारण सीताराम राजू ने आत्मसमर्पण कर दिया, ये सोचकर कि उनके साथ न्याय होगा।
- 7 मई 1924 को उन्हें धोखे से फंसाया गया और एक पेड़ से बांधकर गोली मार दी गई।
- 8 मई 1924 को उनका अंतिम संस्कार किया गया।
- उनकी वीरता और साहस के लिए उन्हें ' मान्यम विरुहु' ( जंगल का नायक ) उपाधि से सम्मानित किया गया।
- प्रत्येक वर्ष आंध्र प्रदेश सरकार उनकी जन्म तिथि, 4 जुलाई को राज्य उत्सव के रूप में मनाती है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न –
प्रश्न – अल्लूरी सीताराम राजू के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- सन्यास लेने के बाद उन्होंने अपना आश्रम विशाखापत्तनम में बनाया।
- उन्होंने ' तेलुगु वीरा लेवारा .... दीक्षा बूनी सागर' गीत की रचना की थी ।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन का समर्थन किया था ।
- सरकार ने उन्हें पकड़ने के लिए 50,000 रूपये का ईनाम घोषित किया था ।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सत्य है/हैं –
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- सभी चारों
उत्तर : (a)
व्याख्या – केवल कथन 3 सही है , अर्थात् उन्होंने असहयोग आंदोलन का समर्थन किया था।
मेंस परीक्षा के लिए प्रश्न –
प्रश्न – 20 वीं सदी हुए रम्पा विद्रोह के नेतृत्वकर्ता अल्लूरी सीताराम राजू के राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
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