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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में संशोधन

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र –2; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

हाल ही में, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा उपभोक्ता आयोगों के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित किया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय, राज्य व ज़िला स्तर पर उपभोक्ता निवारण तंत्र के गठन का प्रावधान करता है।
  • यह अधिनियम उपभोक्ता आयोग के प्रत्येक स्तर को आर्थिक क्षेत्राधिकार भी प्रदान करता है।
  • मौजूदा प्रावधानों के अनुसार उपभोक्ता आयोगों के मौद्रिक क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं:
    • ज़िला आयोगों के पास उन शिकायतों पर विचार करने का अधिकार है जहाँ प्रतिफल के रूप में भुगतान की गई वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य 1 करोड़ रुपए तक है।
    • राज्य आयोगों का मौद्रिक क्षेत्राधिकार 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक है।
    • राष्ट्रीय आयोगों का मौद्रिक क्षेत्राधिकार 10 करोड़ से अधिक के मामलों में विस्तारित है।
  • उपरोक्त उपभोक्ता संरक्षण आयोगों को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जाँच करने तथा अभियोजन करने का भी अधिकार है।
  • साथ ही, इन आयोगों के पास असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं तथा भ्रामक विज्ञापनों को वापस लेने का आदेश देने तक का अधिकार है।
  • इस अधिनियम के तहत शिकायत तंत्र को सरल बनाने हेतु शिकायतों की ई-फाइलिंग हेतु ‘दाखिल पोर्टल’ बनाया गया है। साथ ही, वीडियो- कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विवादों के निपटान का प्रावधान भी किया गया है।
  • इस अधिनियम में मध्यस्थता तंत्र के माध्यम से विवादों के समाधान का भी प्रावधान है। मध्यस्थता के माध्यम से निपटाए गए विवादों के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती है।
  • इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि दोषपूर्ण उत्पाद या सेवाओं में कमी के कारण हुई क्षति की भरपाई करने की ज़िम्मेदारी निर्माता, सेवा प्रदाता या उत्पाद विक्रेता की होगी।
  • इस अधिनियम के तहत यदि 21 दिनों की निर्दिष्ट अवधि के भीतर स्वीकार्यता का सवाल तय नहीं हो पाता तो शिकायतों की स्वीकार्यता को मान लिया जाएगा।
  • इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि विपक्षी पार्टी को नोटिस प्राप्त होने के पश्चात् 3 माह के भीतर शिकायतों का निस्तारण करना होगा।

          नवीनतम संशोधन

          • नए संशोधनों के अनुसार, ज़िला आयोग के पास उन शिकायतों पर विचार करने का क्षेत्राधिकार होगा जहाँ भुगतान की गई वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य 50 लाख रुपए से अधिक नहीं है।
          • राज्य आयोगों का मौद्रिक क्षेत्राधिकार 50 लाख से 2 करोड़ रुपए तक निर्धारित किया गया है।
          • 2 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की शिकायतों पर राष्ट्रीय आयोग द्वारा विचार किया जाएगा।

          लाभ 

          • उपभोक्ता आयोगों के आर्थिक क्षेत्राधिकार से संबंधित पुराने प्रावधानों के कारण ऐसे मामले सामने आ रहे थे, जो राष्ट्रीय आयोग से पहले राज्य आयोग और राज्य आयोग से पहले ज़िला आयोग में दायर किये गए थे। इसके चलते ज़िला आयोगों के पास लंबित मामलों की संख्या बढ़ने से निस्तारण में देरी हो रही थी।
          • नवीनतम मौद्रिक क्षेत्राधिकार में परिवर्तन से उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित निवारण किया जा सकेगा।
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