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अमेरिका द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन छोड़ने के निहितार्थ

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक समूह तथा भारत से सम्बंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार; भारत के हितों पर विकसित व विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

पृष्ठभूमि

जुलाई के प्रथम सप्ताह में अमेरिकी अधिकारियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से सदस्यता वापस लेने के सम्बंध में संयुक्त राष्ट्र को अधिसूचित किया है। यह निर्णय राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा मई के अंत में डब्ल्यू.एच.ओ. के वित्त पोषण को रोकने और इस वैश्विक स्वास्थ्य निकाय से बाहर निकलने की घोषणा के बाद आया है।

ट्रम्प के अनुसार, इस निकाय ने कोविड-19 से सम्बंधित सूचनाएँ देने में देरी के साथ-साथ सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। साथ ही, डब्ल्यू.एच.ओ.का दृष्टिकोण चीन केंद्रित है। इससे पूर्व, मई में ही श्री ट्रम्प ने आधिकारिक तौर पर 30 दिनों के भीतर डब्ल्यू.एच.ओ. में सुधारों की माँग की थी। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि इस महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य निकाय की कई कमियों और कमज़ोरियों को उजागर किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन  (World Health Organization- WHO)

A. ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त’ राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये कार्य करती है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो आमतौर पर सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के साथ मिलकर कार्य करता है।

B. डब्ल्यू.एच.ओ. विश्व भर में स्वास्थ्य सम्बंधी मामलों में नेतृत्व प्रदान करने, स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने व नीतिगत विकल्प पेश करने का कार्य करता है। साथ ही, सदस्य देशों को तकनीकी समर्थन प्रदान करने और स्वास्थ्य सम्बंधी प्रवृत्तियों की निगरानी व आंकलन के लिये भी ज़िम्मेदार है।

C. वर्तमान में डब्ल्यू.एच.ओ. में 194 सदस्य हैं। यू.एन. के सभी सदस्य देश डब्ल्यू.एच.ओ. के संविधान को स्वीकार करके उसके सदस्य बन सकते हैं। इस एजेंसी में अन्य देशों को सदस्यता तभी दी जा सकती है, जब उसके आवेदन को डब्ल्यू.एच.ए. (WHA- World Health Assembly) द्वारा साधारण बहुमत से अनुमोदित किया गया हो।

D. डब्ल्यू.एच.ओ. का मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है और यहीं पर डब्ल्यू.एच.ए. की वार्षिक बैठक का आयोजन किया जाता है। इस संगठन में ज़िनेवा सहित 150 देशों में इसके कार्यालयों तथा छह क्षेत्रीय कार्यालयों में 7,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं।

E. 07 अप्रैल, 1948 को डब्ल्यू.एच.ओ. का संविधान लागू हुआ था अतः प्रत्येक वर्ष 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। डब्ल्यू.एच.ओ. के वर्तमान महानिदेशक इथोपिया के पूर्व स्वास्थ्य और विदेश मंत्री टेड्रोस एडहानॉम (Tedros Adhanom) हैं।

वर्तमान समस्या

  • वर्ष 2005 में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन में संशोधन ने ऐसी सभी घटनाओं के बारे में डब्ल्यू.एच.ओ. को सूचित करना अनिवार्य बना दिया था जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन सकती है।
  • साथ ही, ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी के सत्यापन हेतु किये जाने वाले अनुरोधों का जवाब देना भी आवश्यक बना दिया गया था।
  • हालाँकि, डब्ल्यू.एच.ओ. के पास सदस्य राज्यों द्वारा नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु शक्ति सीमित है, जिसमें सदस्य राज्यों के आधिकारिक विवरणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना भी शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, अमेरिका प्रत्यक्ष तौर पर कोविड-19 के लिये चीन को ज़िम्मेदार ठहराने के लिये प्रयासरत है, जिस कारण से भी डब्ल्यू.एच.ओ. दबाव में है। साथ ही कई अन्य देश कोविड-19 से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हेतु चीन पर अर्थदंड लगाने की माँग कर रहे हैं।

डब्ल्यू.एच.ओ. का वित्तपोषण

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का वित्तपोषण चार प्रकार से होता है:
    • अनुमानित/आकलित योगदान (Assessed Contribution)- संगठन की सदस्यता हेतु सदस्य देश इस राशि का भुगतान करते हैं। इस राशि की गणना देश की जनसंख्या और धन के अनुपात में की जाती है। हाल के वर्षों में, अनुमानित योगदान में गिरावट आई है और अब इसका हिस्सा कुल राशि में एक-चौथाई से भी कम है।
    • निर्दिष्ट स्वैच्छिक योगदान (Specified Voluntary Contributions)– अनुमानित योगदान के अतिरिक्त सदस्य देशों द्वारा दी गई राशि इस योगदान के अंतर्गत आती है। अन्य योगदानों में होने वाली कमी के अधिकांश भाग को स्वैच्छिक योगदान द्वारा ही पूरा किया जाता हैं।
    • कोर स्वैच्छिक योगदान (Core Voluntary Contributions) - ऐसी गतिविधियाँ जिनमें संसाधनों के बेहतर प्रवाह व कार्यान्वयन में अवरोध समाप्त करने के लिये तत्काल वित्तपोषण की आवश्यकता होती है, कोर स्वैच्छिक योगदान द्वारा वित्तपोषित होती हैं।
    • पी.आई.पी. योगदान (Pandemic Influenza Preparedness- PIP Contributions) - वर्ष 2011 में इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस महामारी के साझाकरण को मज़बूत व विकसित करने के साथ इसमें सुधार लाने तथा विकासशील देशों तक टीके व अन्य आपूर्ति में वृद्धि करने हेतु ‘महामारी इन्फ़्लुएन्ज़ा तत्परता’ (पी.आई.पी.) योगदान को शुरू किया गया था।

वर्तमान में डब्ल्यू.एच.ओ. का फंडिंग पैटर्न

  • वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के अनुसार, डब्ल्यू.एच.ओ. को प्राप्त कुल योगदान लगभग $ 5.62 बिलियन था, जिसमें निर्दिष्ट स्वैच्छिक योगदान का हिस्सा सर्वाधिक था। इसके बाद क्रमशः अनुमानित योगदान, पी.आई.पी. योगदान और कोर स्वैच्छिक योगदान की हिस्सेदारी है, अर्थात- निर्दिष्ट स्वैच्छिक योगदान > अनुमानित योगदान > पी.आई.पी. योगदान > कोर स्वैच्छिक योगदान।
  • अमेरिका वर्तमान में डब्ल्यू.एच.ओ. का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसकी हिस्सेदारी कुल धन का लगभग 14.67 % है।
  • लगभग 9.76 % हिस्सेदारी के साथ ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
  • तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता गावी वैक्सीन अलायंस (GAVI) है, जबकि चौथे व पाँचवे स्थान पर क्रमशः यू.के. व जर्मनी हैं।
  • अगले चार सबसे बड़े दानदाता अंतर्राष्ट्रीय निकाय इस प्रकार हैं:
    • मानवीय मामलों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय > विश्व बैंक > रोटरी इंटरनेशनल > यूरोपीय आयोग
  • धन आवंटन में सर्वाधिक हिस्सेदारी रखने वाले कार्यक्रम क्रमशः इस प्रकार हैं -
    • पोलियो उन्मूलन (26.51 %)
    • आवश्यक स्वास्थ्य और पोषण सेवाएँ (12.04 %)
    • रोगों के टीके (8.89 %)

निहितार्थ

  • चूँकि डब्ल्यू.एच.ओ. से हटने का निर्णय श्री ट्रम्प द्वारा स्पष्ट रूप से अमेरिकी कांग्रेस की मंज़ूरी के बिना लिया गया है और साथ ही यह निर्णय अगले वर्ष 6 जुलाई से ही प्रभावी हो सकेगा। ऐसी स्थिति में यह सम्भावना है कि कांग्रेस या न्यायालय इस निर्णय को पलट दे।
  • इसके अलावा, कांग्रेस पहले से ही शिक्षाविदों और चिकित्सा संघों से इस निर्णय को खारिज करने के लिये दबाव का सामना कर रही है।
  • अमेरिका द्वारा डब्ल्यू.एच.ओ. से हटने के फैसले से वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गम्भीर परिणाम होगा। इस निर्णय से डब्ल्यू.एच.ओ. को तकनीकी विशेषज्ञता के नुकसान के साथ-साथ वित्त पोषण के मामले में भी एक बड़ा झटका लगेगा। डब्ल्यू.एच.ओ. को अब अपने संविधान के अनुच्छेद 7 के अनुसार, देश के मतदान के अधिकार को निलम्बित करना होगा और अपनी सेवाओं तक पहुँच से रोकना होगा।
  • साथ ही, कोरोना वायरस के अतिरिक्त अन्य इन्फ़्लुएन्ज़ा की वैक्सीन विकसित करने हेतु प्रयोग किये जाने वाले वायरस के स्ट्रेन का निर्धारण अधिकार खोने के साथ-साथ अमेरिका की अनुसंधान के लिये नए इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस के नमूनों तक कोई पहुँच नहीं होगी।
  • अमेरिका वैश्विक स्वास्थ्य में डब्ल्यू.एच.ओ. के साथ मिलकर स्वास्थ्य सुरक्षा, पोलियो, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और मातृ शिशु स्वास्थ्य को मज़बूत करने में भी शामिल है। अमेरिका के इस निर्णय से वैश्विक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • ऐसा अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर पोलियो कार्यक्रम हेतु आवंटित राशि अमेरिका द्वारा दिये जाने वाले योगदान द्वारा वित्तपोषित होती है। अमेरिका द्वारा फंडिंग रोकने से ऐसे कार्यक्रमों में रुकावट आ सकती है जिससे डब्ल्यू.एच.ओ. पर दवाब बढ़ने की उम्मीद है।
  • इसके अतिरिक्त, अमेरिका की स्वास्थ्य आसूचना (Intelligence) तक पहुँच भी कमज़ोर हो जाएगी।

निष्कर्ष

अंततः यह कहा जा सकता है कि इस निर्णय से केवल डब्ल्यू.एच.ओ. को कमज़ोर करने के अतिरिक्त अमेरिका को कोई अन्य लाभ नहीं होगा। डब्ल्यू.एच.ओ. के कमज़ोर होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सदस्य देशों के मध्य समन्वय, बीमारियों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने और सलाह जारी करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा प्रत्यक्ष कार्रवाई की आवश्यकता को पूरा करने हेतु और उचित निर्णय पर पहुँचने के लिये निर्वाचित देशों के स्थाई प्रतिनिधियों के द्वारा एक निकाय का निर्माण किया जाना चाहिये।

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