New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

अरब सागर में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी

  • हाल ही में अमेरिका ने अरब सागर में गुजरात और पाकिस्तान की जलीय सीमा के पास अपनी परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया है।
  • सामान्य रूप से अमेरिका गश्त के दौरान अपनी परमाणु पनडुब्बी के स्थान की जानकारी को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराता है।
  • इसीलिए अमेरिका द्वारा परमाणु बमों से लैस मिसाइलों को ले जाने में सक्षम पनडुब्बी यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया के तैनाती के स्थान का सार्वजनिक रूप से ऐलान करने को एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है।

यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया परमाणु पनडुब्बी

  • अमेरिका के सेंट्रल कमांड के अनुसार यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया ओहियो क्लास की पनडुब्बी है।
  • यह पनडुब्बी अमेरिका के न्यूक्लियर ट्रायड का एक महत्वपूर्ण अंग है
  • यह हमले से बचने की ताकत, तैयारी और समुद्र में अमेरिकी सेना की क्षमता को दर्शाती है।
  • अमेरिकी नौसेना के पास 14 ओहियो क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन है, जिन्हे एसएसबीएन कहा जाता है।
  • यह ड्रोन सिस्टम, पानी के अंदर जासूसी और कमांड पोस्ट की भूमिका निभा सकती है।
  • परमाणु ऊर्जा से चलने वाली इस पनडुब्बी को मूल रूप से परमाणु बमों से लैस ट्राइडेन्ट मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया था।
  • एक ट्राइडेन्ट मिसाइल एक बार में 14 परमाणु बमों को एक साथ ले जा सकती है।

अरब सागर में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी के निहितार्थ

  • अमेरिका ने यह पनडुब्बी एक ऐसे समय पर अरब सागर में तैनात की है, जब इस क्षेत्र में अमेरिका के सबसे विश्वस्त सहयोगी सऊदी अरब से साथ उसके संबंध तनाव की चरम अवस्था में है।
  • अमेरिका-चीन संबंधों में भी ताइवान को लेकर अविश्वास बढ़ रहा है।
  • अमेरिका ने ताइवान पर चीन द्वारा हमले की आशंका जाहिर की है।
  • ऐसी परिस्थितियों में अरब सागर में परमाणु पनडुब्बी की तैनाती कर के अमेरिका ने चीन को भी कड़ा संदेश दिया है।
  • चीन गोबी पठार में मिसाइल साइलो का निर्माण कर रहा है, जिनमे वह अपनी परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों को छुपा सकता है।
  • अरब सागर से चीन के साइलो स्थल की दूरी मात्र 3282 किलोमीटर है, जो अमेरिकी पनडुब्बी यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया पर तैनात मिसाइलों की रेंज में है।
  • अमेरिका द्वारा अरब सागर में परमाणु पनडुब्बी भेजकर ना केवल अपने विरोधियों ( चीन, ईरान, रूस ) बल्कि अपने सहयोगियों को भी संदेश दिया जा रहा है, कि आवश्यकता पड़ने पर वह परमाणु क्षमता का प्रयोग भी कर सकता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR