चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में स्थित सन्नति बौद्ध स्थल के संरक्षण के लिये कार्य करना शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह कलबुर्गी में कंगनहल्ली (सन्नति स्थल का हिस्सा) के पास भीमा नदी के तट पर अवस्थित प्राचीन बौद्ध स्थल है।
- वर्ष 1994 से 2001 के मध्य ए.एस.आई. द्वारा इस स्थल का उत्खनन किया गया था। उत्खनन के दौरान यहाँ से अशोक का एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ है।
- इस स्तूप का निर्माण स्थानीय रूप से उपलब्ध चूना पत्थर से किया गया था, जिसे शिलालेखों में ‘अधोलोक महाचैत्य’ के रूप में संदर्भित किया गया था।
- इसको तीन निर्माण चरणों मौर्य, प्रारंभिक सातवाहन और उत्तर सातवाहन काल में विकसित किया गया, जिसकी अवधि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक विस्तारित थी।
- यहाँ से प्राप्त सम्राट अशोक का प्रस्तर चित्र उनकी रानियों और महिला परिचारकों से घिरा हुआ है।
- इस प्रस्तर चित्र को मौर्य सम्राट की एकमात्र जीवित छवि माना जाता है, जिस पर ब्राह्मी में 'राय अशोक' उत्कीर्ण है।
- नई संरक्षण परियोजना के तहत खुदाई में प्राप्त महास्तूप के अवशेषों को बिना किसी अलंकरण के उनके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित करने और समान आकार तथा बनावट की नवनिर्मित ईंटों का उपयोग कर आयक (Ayaka) प्लेटफार्मों के पुनर्निर्माण की परिकल्पना की गई है।