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प्राचीन पर्यावरणीय डी.एन.ए. की खोज  

संदर्भ

हाल ही में, भू-वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड के पियरी लैंड (Peary Land) में प्राचीन पर्यावरणीय डी.एन.ए. (Environmental DNA : eDNA) की खोज की है जो लगभग दो मिलियन वर्ष पुराना है। 

प्रमुख  बिंदु

  • इस खोज से पृथ्वी के सर्वाधिक प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र का पता चला है। इसने अब तक के खोजे गए सबसे पुराने डी.एन.ए. के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है जो साइबेरियन मैमथ की हड्डी से प्राप्त एक मिलियन वर्ष प्राचीन अनुक्रमित डी.एन.ए. से संबंधित है।    
  • इस डी.एन.ए. की खोज से ग्रीनलैंड में समृद्ध पौधों और जानवरों की उपस्थिति का पता चला है, जो वर्तमान में एक ध्रुवीय शीत मरुस्थल है।

पर्यावरणीय डी.एन.ए.

पर्यावरणीय डी.एन.ए., एक आनुवंशिक सामग्री है जिसे जीव अपने परिवेश में छोड़ते हैं। इन सामग्रियों में बाल, अपशिष्ट, थूक या सड़ने वाले शवों को शामिल किया जाता है। ई.डी.एन.ए. का अध्ययन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि आनुवंशिक सामग्री समय के साथ विखंडित हो जाते हैं, जिससे वैज्ञानिकों के पास केवल छोटे टुकड़े ही रह जाते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र 

  • इस डी.एन.ए. से उच्च-अक्षांश वन पारिस्थितिकी तंत्र के चिनार, बर्च और थूजा सहित वृक्षों की विभिन्न मिश्रित प्रजातियों और आर्कटिक बोरियल झाड़ियों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। 
  • इस खोज में मास्टोडन, बारहसिंगा, कृन्तकों और गीज़ सहित जानवरों के माइटोकॉन्ड्रियल डी.एन.ए. की उपस्थिति की भी पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि मास्टोडन एक विलुप्त स्तनपायी है, जिसकी उत्पत्ति उत्तरी और मध्य अमेरिका में हुई थी। 
  • हॉर्सशू क्रैब और हरित शैवाल सहित समुद्री प्रजातियों की उपस्थिति वर्तमान की तुलना में गर्म जलवायु का समर्थन करती है।
  • इसके अतिरिक्त इस खोज में एकल रीफ-बिल्डिंग कोरल (मेरुलिनिडे) एवं कई आर्थ्रोपोड के डी.एन.ए. की भी पहचान की गई है। 
  • इस प्राचीन ई.डी.एन.ए. में पाए गए पौधों की 102 प्रजातियों में से 39% अब ग्रीनलैंड में नहीं उगते हैं, लेकिन ये प्रजातियाँ वर्तमान में उत्तरी अमेरिका के बोरियल वनों और समुद्री जंगलों में पाए जाते हैं। 

खोज का महत्त्व 

  • हालिया शोधों से पता चला है कि यह क्षेत्र लाखों वर्षों पूर्व तीव्र जलवायु परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था, जिसने तापमान को बढ़ा दिया था।
  • वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग की गति तीव्र होने के कारण जीवों और प्रजातियों के पास अनुकूलन का समय नहीं है, इसलिये जलवायु परिवर्तन जैव विविधता और विश्व के लिये एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
  • जलवायु परिवर्तन में हस्तक्षेप करने के लिये इस प्राचीन डी.एन.ए. का उपयोग कर सकते हैं। यह संभव है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा दो मिलियन वर्ष पहले के पौधों, वृक्षों एवं जीवों की नकल की जा सकती है जो बढ़ते तापमान वाले जलवायु में जीवित रहने में सक्षम होगी।
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