चर्चा में क्यों
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका से तमिलनाडु के दस पुरावशेषों (मूर्तियों) को प्राप्त किया गया है।
प्राप्त की गई कुछ प्रमुख मूर्तियाँ
- वर्ष 2020 में ऑस्ट्रेलिया से द्वारपाल नामक पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई, जो 15वीं-16वीं शताब्दी की विजयनगर काल की मूर्ति है। यह मूर्ति एक हाथ में गदा पकड़े हुए है और एक पैर उसके घुटने के स्तर तक उठा हुआ है। विदित है कि वर्ष 1994 में तिरुनेवेली के मूंदरीश्वरमुदयार मंदिर से इस मूर्ति को चुरा लिया गया था।
- वर्ष 2021 में अमेरिका से नटराज की मूर्ति प्राप्त की गई। इसमें शिव का चित्रण त्रिभंग मुद्रा में है जो कमल के आसन पर खड़े हैं। 11वीं-12वीं शताब्दी की इस मूर्ति को वर्ष 2018 में तंजावुर के पुन्नैनल्लुर अरुलमिगु मरियम्मन मंदिर से चुराया गया था।
- वर्ष 2021 में अमेरिका से प्राप्त कंकलामूर्ति मूर्ति में भगवान शिव और भैरव के भयावह रूप को दर्शाया गया है। यह मूर्ति चार भुजाओं वाली है जिसमें ऊपरी हाथों में डमरू और त्रिशूल है। यह 12वीं-13वीं शताब्दी की मूर्ति है, जो 1985 में नरसिंगनधर स्वामी मंदिर, तिरुनेलवेली से चोरी हो गई थी।
- वर्ष 2021 में अमेरिका से नंदिकेश्वर की एक कांस्य प्रतिमा प्राप्त की गई, जो कि 13वीं शताब्दी की एक मूर्ति है। यह मूर्ति त्रिभंग मुद्रा में है, जो हाथ जोड़कर खड़ी है।
- चार भुजाओं वाले विष्णु की मूर्ति को वर्ष 2021 में अमेरिका से प्राप्त किया गया, जो 11वीं सदी के चोल काल से संबंधित है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु एक पद्मासन पर खड़े हैं जिसमें दो हाथों में शंख और चक्र हैं जबकि निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है।
- स्टैंडिंग चाइल्ड सांबंदर नामक इस मूर्ति को वर्ष 2022 में ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त किया गया। 7वीं शताब्दी के लोकप्रिय बाल संत- सांबंदर दक्षिण भारत के तीन प्रमुख संतों में से एक हैं। यह 11वीं शताब्दी की मूर्ति है। यह मूर्ति संत के बाल-समान गुण को प्रदर्शित करने के साथ ही उसे एक आध्यात्मिक नेता की परिपक्वता के साथ प्रस्तुत करती है। इसे 1965-75 के बीच सयावनेश्वर मंदिर, नागपट्टिनम से चुराया गया था।