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एनीमियाफोन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय, सामान्य विज्ञान)

संदर्भ 

  • कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने आयरन की कमी का सटीक, शीघ्र एवं लागत प्रभावी आकलन करने के लिए विकसित ‘एनीमियाफोन’ तकनीक को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को हस्तांतरित किया है।
  • इस हस्तांतरण का उद्देश्य देश भर में एनीमिया, महिला स्वास्थ्य तथा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के कार्यक्रमों में एनीमियाफोन को एकीकृत करना है।

एनीमियाफोन (AnemiaPhone) के बारे में 

  • क्या है : एनीमिया का त्वरित आकलन करने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित ब्लड टेस्ट स्ट्रिप
  • विशेषता : एनीमिया के कारण का पता लगाकर उसके निदान, रोकथाम एवं उपचार के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना  
  • प्रौद्योगिकी सक्षम : छोटे, पोर्टेबल वाई-फाई या ब्लूटूथ-सक्षम टेस्ट स्ट्रिप रीडर के साथ संबद्ध करने में सक्षम 
    • प्राप्त जानकारी को मोबाइल फोन, वायरलेस टैबलेट या कंप्यूटर के माध्यम से क्लिनिकल डाटाबेस में अपलोड किया जाता है।  
  • प्रयुक्त तकनीक : कोविड-19 के समान परीक्षण तकनीक का उपयोग 
    • इसमें आनुवांशिक सामग्री का परीक्षण या आणविक परीक्षण शामिल है। 
  • उपयोगिता : एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की जांच एवं निदान में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने में उपयोगी  

एनीमिया (Anaemia) के बारे में 

  • शरीर में रक्त की कमी को एनीमिया (Anaemia) कहते हैं। इस स्थिति में लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है जिससे शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन परिवहन के लिए रक्त की क्षमता में कमी आ जाती है। 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एनीमिया एक गंभीर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जो विशेषकर छोटे बच्चों, किशोरियों एवं महिलाओं तथा गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है। 
    • वैश्विक स्तर पर 6 माह से 5 वर्ष तक की आयु के 40% बच्चे, 37% गर्भवती महिलाएँ और 15-49 वर्ष की आयु की 30% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • कारण : अपर्याप्त आहार या पोषक तत्वों के अपर्याप्त अवशोषण के कारण पोषक तत्वों की कमी, संक्रमण (जैसे- मलेरिया, परजीवी संक्रमण, तपेदिक, एच.आई.वी.), दीर्घकालिक विकार, प्रसूति संबंधी स्थितियां तथा वंशानुगत लाल रक्त कोशिका विकार आदि।
    • पोषण संबंधी सबसे प्रमुख कारण : आयरन की कमी
    • अन्य महत्वपूर्ण कारण : फोलिक एसिड, विटामिन B12 एवं A की कमी 
  • प्रभाव : थकावट, कमज़ोरी, चक्कर आना या सिरदर्द, तंद्रा (Sleepiness) और सांस फूलने जैसी स्थितियाँ 
    • सर्वाधिक प्रभावित वर्ग : छोटे बच्चे एवं गर्भवती महिलाएँ
      • अत: एनीमिया के गंभीर मामलों में माँ एवं बच्चे की मौत का जोखिम अधिक 
    • आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया से बच्चों के संज्ञानात्मक एवं शारीरिक विकास पर भी प्रभाव तथा वयस्कों में उत्पादकता में कमी

एनीमिया नियंत्रण के लिए WHO के दिशानिर्देश  

  • आहार विविधता को बढाकर शिशु आहार प्रथाओं में सुधार करना 
  • लौह, फोलिक एसिड और अन्य विटामिन व खनिज के साथ फोर्टिफिकेशन के माध्यम से सूक्ष्म पोषक तत्वों की जैव उपलब्धता व सेवन में सुधार करना  
  • पोषण संबंधी व्यवहारों में बदलाव के लिए सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीतियों का उपयोग 
  • एनीमिया के अंतर्निहित एवं बुनियादी कारणों को संबोधित करने के लिए रोग नियंत्रण हस्तक्षेप, स्वच्छता और गरीबी व शिक्षा जैसे मुद्दों को संबोधित करना
  • एनीमिया की समस्या को विभिन्न दृष्टिकोणों से सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों तथा निजी क्षेत्र सहित विभिन्न समन्वित प्रयासों के माध्यम से संबोधित करने की आवश्यकता।

भारत में एनीमिया की स्थिति 

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार भारत में एनीमिया से पीड़ित समूह : 15-49 आयु वर्ग की 57% महिलाएँ और छह महीने से पाँच वर्ष तक के 67% बच्चे 
    • दोनों समूहों में पीड़ितों की संख्या में NFHS-4 की तुलना में वृद्धि हुई है।
  • स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है। ऐसे में राष्ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्वयन सहित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को मजबूत करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार की है। हालाँकि, केंद्र सरकार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सभी पहचाने गए समूहों में एनीमिया की स्थिति में सुधार के लिए अनेक कदम उठा रही है।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान

  • आरंभ : वर्ष 2018 
  • लक्ष्य : महिलाओं, बच्चों एवं किशोरों जैसे कमज़ोर आयु समूहों में एनीमिया की समस्या को कम करना 
  • 6X6X6 रणनीति : छह लक्षित समूहों, छह हस्तक्षेपों और सभी हितधारकों के लिए रणनीति को लागू करने के लिए छह संस्थागत तंत्रों के माध्यम से निवारक एवं उपचारात्मक तंत्र प्रदान करना
    • लक्षित समूह : 6-59 माह के बच्चे, 5-9 वर्ष के बच्चे, 10-19 वर्ष के किशोर, प्रजनन आयु वाली महिलाएँ (15-49 वर्ष), गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएँ
    • प्रमुख हस्तक्षेप : 
      • सभी लक्षित लाभार्थियों के लिए प्रोफाइलैक्टिक आयरन (Prophylactic Iron) फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन 
      • आवधिक कृमिनाशक (डीवर्मिंग)
      • एनीमिया के सभी पहलुओं (पोषण, स्वच्छता, कृमि मुक्ति) को कवर करते हुए सामाजिक व व्यवहारगत परिवर्तन संचार अभियान 
      • डिजिटल इनवेसिव हीमोग्लोबिनोमीटर और देखभाल उपचार का उपयोग करके एनीमिया की जांच
      • सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आयरन फोलिक एसिड फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों का अनिवार्य प्रावधान
      • एनीमिया मुक्त भारत डैशबोर्ड का उपयोग करके निगरानी एवं मूल्यांकन को मजबूत करना
    • प्रमुख संस्थागत तंत्र : 
      • अंतर-मंत्रालयी समन्वय
      • राष्ट्रीय एनीमिया मुक्त भारत इकाई
      • राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र एवं एनीमिया नियंत्रण पर उन्नत अनुसंधान
      • अन्य मंत्रालयों के साथ अभिसरण
      • आपूर्ति श्रृंखला और रसद को मजबूत करना
      • एनीमिया मुक्त भारत डैशबोर्ड और डिजिटल पोर्टल 

अन्य प्रयास 

  • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम-पोषण) योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से किए जाने वाले प्रयास 
  • चावल फोर्टिफिकेशन पहल के तहत आयरन, फोलिक एसिड एवं विटामिन बी12 से समृद्ध चावल की आपूर्ति

इसे भी जानिए!

  • एनीमिया एक्शन एलायंस (Anaemia Action Alliance) का गठन विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं यूनिसेफ द्वारा वर्ष 2021 में किया गया। 
  • उद्देश्य : महिलाओं, किशोरियों एवं बच्चों में एनीमिया में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए बहु-क्षेत्रीय एनीमिया न्यूनीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन में वृद्धि करना, प्रभावी कवरेज प्राप्त करना। 
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