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पशुपालन बुनियादी ढ़ाँचा विकास निधि: स्थापना व महत्त्व

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पशु पालन सम्बंधी अर्थशास्त्र)

चर्चा में क्यों?

कई क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिये हाल ही में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के अनुसरण में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ₹ 15000 करोड़ मूल्य की पशुपालन बुनियादी ढ़ाँचा विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund- AHIDF) की स्थापना को मंज़ूरी प्रदान कर दी है।

ए.एच.आई.डी.एफ़.

  • यह फंड लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है।
  • ए.एच.आई.डी.एफ. निजी क्षेत्र में डेयरी, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों के अवसंरचनात्मक ढ़ाँचे में आवश्यक निवेश प्रोत्साहन की सुविधा को बढ़ावा देगा।
  • किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), सेक्शन 8 कम्पनियाँ, निजी कम्पनियाँ और व्यक्तिगत उद्यमी फंड से लाभ पाने के लिये पात्र होंगे।
  • यह फंड इन परियोजनाओं के लिये आवश्यक अग्रिम निवेश को पूरा करने हेतु पूँजी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा और निवेशकों के लिये कर्ज़ उतारने / समग्र रिटर्न को बढ़ाने में भी मदद करेगा।
  • उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व, सरकार ने डेयरी उद्योग में बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु सहकारी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये 10,000 करोड़ रुपये के डेयरी अवसंरचना विकास कोष (DIDF) को मंजूरी दी थी।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम का नया वर्गीकरण
उद्यम
निवेश एवं टर्नओवर की सीमा (भारतीय रुपए में) सूक्ष्म लघु मध्यम
निवेश 1 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक नहीं  निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक नहीं निवेश 50 करोड़ और टर्नओवर 250 करोड़ से अधिक नहीं

सेक्शन 8 कम्पनियाँ

I. सभी कम्पनियों का उद्देश्य व्यापार और वाणिज्य को आगे बढ़ाकर मुनाफा कमाने का नहीं होता हैं। कई कम्पनियों के मुख्य रूप से धर्मार्थ और गैर-लाभकारी उद्देश्य होते हैं। ऐसी संस्थाओं को सेक्शन 8 कम्पनी के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि उन्हें कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत मान्यता प्राप्त होती है।

II. कम्पनी अधिनियम, 2013 सेक्शन 8 के अंतर्गत ऐसी कम्पनी को परिभाषित करता है, जिसका उद्देश्य कला, वाणिज्य, विज्ञान, अनुसंधान, शिक्षा, खेल, दान, सामाजिक कल्याण, धर्म, पर्यावरण संरक्षण या इसके समान अन्य उद्देश्यों को बढ़ावा देना है।

III. ये कम्पनियाँ अपनी सभी आय और मुनाफे को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समर्पित करती हैं। ये कम्पनियाँ प्राप्त हुए लाभ का प्रयोग अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में करती हैं तथा अपने सदस्यों को कोई लाभांश वितरित नहीं करती हैं।

IV. सेक्शन 8 कम्पनियों के प्रसिद्ध उदाहरणों में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) शामिल हैं।

आवश्यकता

  • डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये डेयरी सहकारी समितियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार विभिन्न योजनाएँ चलाती रही है। हालाँकि, सरकार यह महसूस करती है कि प्रसंस्करण और बेहतरीन बुनियादी ढाँचे के विकास क्षेत्र में एम.एस.एम.ई. और निजी कम्पनियों को भी बढ़ावा देने और इसमें उनकी सहभागिता को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है।
  • ए.एच.आई.डी.एफ. निजी क्षेत्र में डेयरी एवं मीट प्रसंस्करण के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतरीन बुनियादी ढाँचे के विकास और पशु आहार संयंत्र की स्थापना में निवेश के अति आवश्यक प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिये उचित सुविधा उपलब्ध कराएगा।

ए.एच.आई.डी.एफ. के प्रावधान

  • प्रस्तावित अवसंरचना परियोजना के लाभार्थियों को न्यूनतम 10 % मार्जिन राशि का योगदान करना होगा और शेष 90 प्रतिशत की राशि अनुसूचित बैंक द्वारा कर्ज़ के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
  • सरकार योग्य लाभार्थी को ब्याज पर 3 % की आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी। योग्य लाभार्थियों को मूल ऋण के लिये दो वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ कर्ज़ उपलब्ध कराया जाएगा और ऋण की पुनर्भुगतान अवधि 6 वर्ष होगी।
  • इसके अलावा, भारत सरकार 750 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड भी स्थापित करेगी, जिसका प्रबंधन नाबार्ड द्वारा किया जाएगा। क्रेडिट गारंटी उन स्वीकृत परियोजनाओं को प्रदान की जाएगी जो एम.एस.एम.ई. के तहत परिभाषित होंगी। कर्ज़दार को क्रेडिट सुविधा का 25 % तक गारंटी कवरेज दिया जाएगा।
  • आकांक्षी ज़िले, ऐसे ज़िले हैं जो खराब सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से प्रभावित हैं। देश में लगभग 115 ऐसे ज़िले हैं।

लाभ

  • सरकार ने कहा कि पशुपालन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के ज़रिए निवेश से सम्भावनाओं के कई रास्ते खुलेंगे।
  • योग्य लाभार्थियों द्वारा प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन अवसंरचना में निवेश से इन प्रसंस्कृत और मूल्य वर्धित सामानों का निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
  • चूँकि, भारत में डेयरी उत्पादन के अंतिम मूल्य की लगभग 50 से 60 % राशि किसानों को वापस प्राप्त हो जाती है। इसका मतलब इस क्षेत्र में वृद्धि का किसानों की आय पर अहम और सीधा असर पड़ सकता है ।
  • डेयरी बाज़ार के आकार और दूध की बिक्री से किसानों को होने वाली आय का निजी व सहकारी क्षेत्र के विकास से सीधा और नज़दीकी सम्बंध है।
  • इस प्रकार, ए.एच.आई.डी.एफ. में निवेश प्रोत्साहन से न केवल 7 गुना निजी निवेश का लाभ होगा, बल्कि यह किसानों को भी इसमें निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहित करेगा ताकि उनका उत्पादन बढ़ सके। यह किसानों की आय में वृद्धि को प्रेरित करेगा।
  • ए.एच.आई.डी.एफ. के माध्यम से अनुमोदित उपायों द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका निर्माण में लगभग 35 लाख लोगों को मदद मिलने की आशा है।
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