(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 :प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता, पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र)
संदर्भ
कृषि कानूनों पर चल रही चर्चा ने कृषि व संबद्ध क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने और उत्पादन अंतराल को भरने के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया है। इस संदर्भ में पिछले वर्ष सरकार द्वारा की गई ‘पशुपालन अवसंरचना विकास निधि’ (AHIDF) की घोषणा उल्लेखनीय है। कृषिव संबद्ध उद्योग के रूप में पशुपालन और डेयरी उद्योग 100 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं। अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में केंद्रित होने के कारण भारत में इस उद्योग की सामाजिक-आर्थिक प्रासंगिकता अत्यधिक है।
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
- ए.एच.आई.डी.एफ. को ₹15,000 करोड़ के परिव्यय के साथ स्थापित किया गया है। ए.एच.आई.डी.एफ.योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों व संस्थाओं को अनुमानित परियोजना लागत की 90% राशि ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
- साथ ही, पात्र लाभार्थियों या संस्थाओं को 3% का ब्याज अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। आवेदक उद्यमी मित्र पोर्टल के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं।
- यह सरकार द्वारा शुरू किया गया पहला बड़ा फंड है, जिसमें एफ.पी.ओ,निजी डेयरी उद्यमी,व्यक्तिगत उद्यमी और गैर-लाभकारी संगठन जैसे विविध हितधारक शामिल हैं।
डेयरी मूल्य शृंखला की मज़बूती
- डेयरी मूल्य श्रृंखला को मज़बूत करने के प्रयासों में दूध के अपव्यय को रोकने के लिये बड़ी संख्या में मिल्क कूलर स्थापित करके दूध संग्रह केंद्रों पर ‘शीत बुनियादी ढाँचे’ को बढ़ाने की आवश्यकता है।
- वर्तमान में इस क्षेत्र में लगभग 120 से 130 एम.एम.टी. (MMT : Million Metric Tons) का बुनियादी ढाँचा अंतराल है, जो लगभग ₹20,000 करोड़ की निवेश क्षमता को प्रदर्शित करता है।यदि इसमें दूध प्रसंस्करण और वितरण के लिये आवश्यक बुनियादी सुविधाओं को शामिल किया जाए तो डेयरी मूल्य श्रृंखला में समग्र निवेश की संभावना लगभग 7 गुना हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त पशुओं के चारे की गुणवत्ता में सुधार करके मवेशियों की उत्पादकता में वृद्धि की व्यापक संभावना है। इसको ही ध्यान में रखते हुए ए.एच.आई.डी.एफ. को विभिन्न क्षमताओं वाले पशु चारा संयंत्रों को स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- नवीन समाधानों पर जोर देने के लियेहरे चारे की नई किस्मों और संवर्धित पशु आहार के विकास के लिये भी सुझाव माँगे गए हैं।
- किफायती मिश्रित पशु आहार के उत्पादन और आपूर्ति में 10 से 18 एम.एम.टी.का बुनियादी ढाँचा अंतराल है, जो लगभग ₹5,000 करोड़ की निवेश क्षमता को प्रदर्शित करता है।
पोल्ट्री (मुर्गी पालन) उद्योग को बढ़ावा
- पोल्ट्री के उत्पादन,दक्षता और गुणवत्ता को बढ़ाने से न केवल आर्थिक बल्कि पोषण संबंधी लाभ भी होता है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा चिकन माँस उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक है। चिकन माँस प्रति यूनिट प्रोटीन का सबसे सस्ता स्रोत होने के कारण कुपोषण को कम करने में मददगार है।
- कई आंगनवाड़ियों मेंमिड-डे मीलमें अंडे को शामिल किये जाने के साथ-साथ पोल्ट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर के उन्नयन को सामाजिक न्यायके साथ नजदीकी से जोड़ा जा सकता है।
- अंततः जलवायु परिवर्तन और रोजगार से संबंधित व्यापक लाभ भी इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। बुनियादी ढाँचे के विकास से प्रसंस्करण इकाइयाँ अधिक ऊर्जा-कुशल बन सकती हैं, जो उनके कार्बन पदचिह्न को कम करने में सहायक हो सकता है।
- ए.एच.आई.डी.एफ. में 30 लाख से अधिक नौकरियाँ सृजित करने की क्षमता है। साथ ही यह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत के डेयरी और पशुधन उत्पादों को अधिक प्रमुखता देने के लिये घरेलू बुनियादी ढाँचेमें तेज़ी से सुधार कर सकता है।