अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री की 46वीं बैठक का आयोजन 20 से 30 मई तक कोच्चि में किया जा रहा है।
इसकी मेजबानी अंटार्कटिक संधि सचिवालय और राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र द्वारा की जा रही है।
अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक के प्रमुख उद्देश्य हैं -
वर्ष 1961 में लागू हुई अंटार्कटिक संधि के सिद्धांतों और उद्देश्यों पर चर्चा करना।
अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
अंटार्कटिक संधि
यह एक बहुपक्षीय समझौता है।
इसका उद्देश्य सभी के हितों में यह सुनिश्चित करना है कि अंटार्कटिका का हमेशा शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु उपयोग किया जाता रहेगा और अंतर्राष्ट्रीय विवाद की वस्तु नहीं बनेगा।
इस संधि द्वारा किसी भी देश द्वारा अंटार्कटिक महाद्वीप पर दावेदारी संबंधी विवाद पर रोक लगा दी गई।
भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि का सदस्य है।
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र
यह एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान है।
इसकी स्थापना 25 मई 1998 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत की गई।
पहले इसे राष्ट्रीय अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र के रूप में जाना जाता था।
यह ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है।