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विकिरण- रोधी मिसाइल ‘रुद्रम’ : विकास और महत्त्व

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से तथा नई प्रौद्योगिकी का विकास)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने विकिरण-रोधी मिसाइल ‘रुद्रम’ का सफल परीक्षण किया है।

पृष्ठभूमि

‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली ‘न्यू जनरेशन एंटी रेडिएशन मिसाइल’ (NGARM) का एक और सफल परीक्षण किया है। इस प्रणाली को ‘रुद्रम-1’ भी कहा जाता है। इसका परीक्षण भारत के पूर्वी तट पर स्थित बालासोर के ‘एकीकृत परीक्षण रेंज’ (ITR) से किया गया। भारतीय वायु सेना के लिये विकसित भारत की पहली स्वदेशी ‘एंटी-रेडिएशन मिसाइल : रुद्रम’ का ‘सुखोई- 30 एम.के.आई.’ जेट से सफलता पूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। ‘शौर्य मिसाइल’ या ‘हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल’ (HSTDV) के हालिया परीक्षणों के अतिरिक्त यह स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणालियों का एक अन्य परीक्षण है।

विकिरण-रोधी प्रक्षेपास्त्र (Anti-Radiation Missile)

  • एंटी-रेडिएशन मिसाइलों को विरोधियों या शत्रुओं के रडार, संचार साधनों और अन्य रेडियो आवृत्ति स्रोतों का पता लगाने तथा उनको ट्रैक व प्रभावहीन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि रडार, संचार साधन और रेडियो आवृत्ति स्रोत को सामान्यतया वायु रक्षा प्रणालियों का महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता हैं।
  • इस तरह के मिसाइल नेविगेशन तंत्र में एक ‘जड़त्वीय पथ-प्रदर्शन प्रणाली’ (Inertial Navigation System) शामिल होती है, जो उपग्रह आधारित जी.पी.एस. के साथ युग्मित रहती है। ‘जड़त्वीय पथ-प्रदर्शन प्रणाली’ एक कम्प्यूटरीकृत तंत्र है, जो लक्ष्य या पिंड की स्थिति में परिवर्तन का उपयोग करता है।
  • मार्गदर्शन या पथप्रदर्शन के लिये यह ‘पैसिव होमिंग हेड’ (Passive Homing Head : PHH) प्रणाली से सुसज्जित होती है। यह एक ऐसी प्रणाली है, जो निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आवृत्तियों के एक विस्तृत बैंड पर (इस मामले में रेडियो आवृत्ति स्रोत) लक्ष्यों का पता लगाने, वर्गीकृत और इंगेज करने का कार्य कर सकती है।
  • एक बार लक्ष्य निर्धारित या लॉक हो जाने के बाद विकिरण के स्रोत को बीच में बंद कर देने पर भी ‘रुद्रम मिसाइल’ सटीकता से प्रहार करने में सक्षम है।
  • लड़ाकू जेट से प्रक्षेपण मापदंडों के आधार पर मिसाइल की परिचालन सीमा 100 किमी. से अधिक है।

रुद्रम : विकास-क्रम

  • ‘रुद्रम’ हवा से सतह पर मार करने वाली एक मिसाइल है, जिसका डिजाइन और विकास डी.आर.डी.ओ. (DRDO) द्वारा किया गया है।
  • डी.आर.डी.ओ. ने लगभग आठ वर्ष पूर्व विकिरण रोधी मिसाइलों का विकास आरंभ किया था। लड़ाकू जेट विमानों के साथ इसका एकीकरण वायुसेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की विभिन्न डी.आर.डी.ओ. सुविधाओं व संरचना इकाइयों का एक सहयोगी प्रयास है।
  • अभी इस प्रणाली का परीक्षण सुखोई- 30 एम.के.आई. से किया गया है। बाद में इसे अन्य लड़ाकू जेट विमानों से भी लॉन्च के लिये अनुकूलित किया जा सकता है।
  • चूँकि इन मिसाइलों को अत्यंत जटिल और संवेदनशील लड़ाकू जेट्स से ले जाना और प्रक्षेपित किया जाना है, अत: लड़ाकू जेट के साथ इसके एकीकरण के अलावा ‘विकिरण साधक प्रौद्योगिकियों’ और ‘मार्गदर्शन प्रणालियों’ जैसे विकास काफ़ी चुनौतीपूर्ण थे।
  • ‘एंटी-रेडिएशन मिसाइल’ का संक्षिप्त रूप “ARM” होने के कारण इसका नाम ‘रुद्रम’ रखा गया है। संस्कृत में इस शब्द का अर्थ ‘दुखों का निवारण करने वाला’ है।

ऐसी मिसाइलों का हवाई युद्ध में महत्त्व

  • रुद्रम को भारतीय वायु सेना की ‘शत्रु वायु रक्षा शमन’ (Suppression of Enemy Air Defence : SEAD) क्षमता को बढ़ाने के लिये विकसित किया गया है।
  • एस.ई.ए.डी. में युद्ध-रणनीति के कई पहलू शामिल हैं। हवाई संघर्ष के प्रारंभिक चरण में विकिरण-रोधी मिसाइलों का उपयोग मुख्य रूप से दुश्मन के हवाई रक्षा परिसम्पत्तियों पर हमले के लिये किया जाता है।
  • विरोधियों के प्रारंभिक चेतावनी रडार, कमान (Command) और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी प्रणाली के संचालन को निष्क्रिय करना या बाधित करना बहुत महत्त्वपूर्ण हो सकता है। ये प्रणाली रेडियो आवृत्ति का उपयोग करती हैं और विमान भेदी हथियार के लिये इनपुट प्रदान करती हैं।
  • आधुनिक युद्ध प्रणाली और रणनीति अधिक से अधिक नेटवर्क केंद्रित है, जिसका अर्थ है कि इसमें विस्तृत स्तर पर पहचान, निगरानी व संचार प्रणाली शामिल होती है, जो हथियार प्रणालियों के साथ एकीकृत है।

अगला चरण

  • ‘अत्याधुनिक विकिरण ट्रैकिंग और मार्गदर्शन प्रणाली’ से लैस इस मिसाइल प्रणाली का भारतीय वायु सेना के एक ‘ऑपरेशनल फाइटर स्क्वाड्रन’ की मदद से अतीत में प्रारंभिक परीक्षण किया जा चुका है।
  • डी.आर.डी.ओ. के अनुसार इस परीक्षण में भी रुद्रम ने ‘विकिरण लक्ष्य’ पर पिनपॉइंट सटीकता के साथ प्रहार किया है। यह परीक्षण एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
  • इस मिसाइल को वर्तमान में भारतीय वायु सेना में विभिन्न लड़ाकू विमानों से लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इस प्रणाली को प्रवर्तन हेतु तैयार करने के लिये अभी कुछ अतिरिक्त उड़ान परीक्षणों की आवश्यकता होगी।

प्री फैक्ट :

  • ‘रुद्रम’ स्वदेशी रूप से विकसित ‘विकिरण-रोधी मिसाइल’ हथियार प्रणाली है। डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित इस ‘न्यू जनरेशन एंटी रेडिएशन मिसाइल’ (NGARM) का सफल परीक्षण ‘सुखोई- 30 एम.के.आई.’ जेट द्वारा बालासोर से किया गया।
  • ‘रुद्रम’ हवा से सतह पर मार करने वाली एक मिसाइल है। लड़ाकू जेट से प्रक्षेपण मापदंडों के आधार पर मिसाइल की परिचालन सीमा 100 किमी. से अधिक है।
  • रुद्रम को भारतीय वायु सेना की ‘शत्रु वायु रक्षा शमन’ (Suppression of Enemy Air Defence : SEAD) क्षमता को बढ़ाने के लिये विकसित किया गया है।
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