प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेन्स, WHO, UNEP, विश्व बैंक, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, SDGs मुख्य परीक्षा-सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
हाल ही में जारी इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स हर साल सीधे तौर पर 12.7 लाख लोगों की जान ले रहा है।
प्रमुख बिंदु-
- एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) प्रतिदिन औसतन 13,562 लोगों की जान ले रही है।
- आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 49.5 लाख लोगों की मौत के लिए कहीं न कहीं रोगाणुरोधी प्रतिरोध जिम्मेदार था।
- संबंधित आंकड़े वार्षिक एड्स और मलेरिया से होने वाली कुल मौतों से भी कहीं ज्यादा है।
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि इसके लिए प्रयास नहीं किए गए तो अगले 27 वर्षों में इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा एक करोड़ पहुँच जाएगा।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसको स्वास्थ्य के दस सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप में चिन्हित किया है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट ‘ब्रेसिंग फॉर सुपरबग’ में स्पष्ट किया कि हर गुजरते दिन के साथ AMR कहीं ज्यादा बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
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रोगाणुरोधी प्रतिरोध या एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेन्स (AMR):
- यह तब विकसित होता है, जब रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव; जैसे- बैक्टीरिया, कवक, वायरस, परजीवी आदि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं।
- रोगजनक अपने शरीर को इन दवाओं के अनुरूप ढाल लेते हैं।
- एंटीबायोटिक दवाएं उन पर बेअसर होने लगती हैं।
- संक्रमित व्यक्ति जल्दी स्वस्थ नहीं हो पाता है।
- AMR विकसित इन रोगाणुओं को ‘सुपरबग्स’ भी कहा जाता है।
भारतीय फार्मास्युटिकल के विश्लेषण में पाया गया है कि, 2020 में बाजार में मौजूद 70.4 प्रतिशत फिक्स्ड-डोज एंटीबायोटिक फॉर्मूलेशन या तो अस्वीकृत थे या प्रतिबंधित थे। इस अध्ययन ने AMR प्रसार की चिंता बढ़ा दी है।
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भारत में AMR का खतरा:
- भारत में भी एंटीबायोटिक दवाओं का दुरूपयोग हो रहा है।
- अनुमान के अनुसार, भविष्य में इससे होने वाली कुल मौतों में से 90 फीसदी एशिया और अफ्रीका में होंगी।
जर्नल द लैंसेट इन्फेक्शस डिजीज में, प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि 2000 से 2010 के बीच एंटीबायोटिक की बढ़ती मांग के 76 फीसदी के लिए ब्रिक्स देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जिम्मेदार थे, जिसमें 23 फीसदी हिस्सेदारी केवल भारत की थी।
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AMR का अर्थव्यवस्था पर असर:
- विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, AMR के इलाज की भागदौड़ में 2030 तक और 2.4 करोड़ लोग गरीबी की चपेट में आ सकते हैं।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था को इससे अगले कुछ वर्षों में हर साल 281.1 लाख करोड़ रूपए (3.4 लाख करोड़ डॉलर) से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इसकी वजह से स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत विकास के लक्ष्यों और अर्थव्यवस्था पर भी खासा असर पड़ने की आशंका है।
AMR विकसित होने के कारण:
- स्वास्थ्य क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग बढ़ रहा है।
- इससे लोगों की जान तो बच रही है, लेकिन इन एंटीबायोटिक दवाओं का उचित और अनुचित दोनों तरह से प्रयोग किया जा रहा है।
AMR के प्रति जागरूकता का अभाव है। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 18 से 24 नवंबर को वैश्विक AMR जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
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जानवरों में भी बढ़ रहा AMR:
- पशुओं से प्राप्त होने वाले प्रोटीन प्राप्त करने के इन पर भी धड़ल्ले से एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है।
- 2000 से लेकर 2018 के बीच मवेशियों में पाए जाने वाले जीवाणु तीन गुणा अधिक एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स हो गए हैं।
- जानवरों को दी जा रही एंटीबायोटिक दवाएं लौटकर इंसानों के शरीर में पहुंच रही हैं।
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार पोल्ट्री इंडस्ट्री में एंटीबायोटिक दवाओं के बड़े पैमाने पर होते अनियमित उपयोग के चलते भारतीयों में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स के मामले बढ़ रहे हैं।
समस्या की गंभीरता: दुनिया भर में बेची जाने वाली लगभग 73 प्रतिशत एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग उन जानवरों में किया जा रहा है, जिन्हे भोजन के लिए पाला जाता है। वहीं बाकी 27 फीसदी एंटीबायोटिक्स को मनुष्यों की दवाओं आदि में।
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इसका समाधान:
- ‘ब्रेसिंग फॉर सुपरबग’ रिपोर्ट के मुताबिक रोगाणुरोधी प्रतिरोध की चुनौती से निपटने के लिए विविध क्षेत्रों में प्रयास की जरूरत होगी।
- इसके लिए डॉक्टर, नीति निर्माता, ड्रग्स निर्माता के साथ आम लोग भी एंटीबायोटिक के दुरूपयोग को रोकने में अपना सहयोग दें।
- आम लोगों के साथ पशुओं, पौधों और पर्यावरण के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखने की जरूरत है क्योंकि सभी का स्वास्थ्य आपस में गहराई से जुड़ा है।
- UNEP, FAO, WHO ने वन हेल्थ फ्रेमवर्क जारी किया है, जिसमें AMR के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें साफ-सफाई की खराब व्यवस्था, सीवर, कचरे से होने वाले प्रदूषण से निपटने और साफ पानी जैसे मुद्दों से कारगर तरीके से निपटने की वकालत की गई है।
प्रश्न:- एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेन्स (AMR) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- इसमें सूक्ष्मजीव के प्रति एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
- हर वर्ष 18 से 24 नवंबर को वैश्विक AMR जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: एंटीबायोटिक्स का अति उपयोग बीमारियों को कम करने की तुलना में बढ़ा रहा है। विश्लेषण कीजिए।
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स्रोत: Down to Earth, UNEP