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रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance)  

प्रारंभिक परीक्षा: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance)
मुख्य परीक्षा: पेपर-3,  विज्ञान और प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों-

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) की चुनौती पर एक विशेषज्ञों की टीम विचार कर रही है कि इसका प्रभावी ढंग से सामना कैसे किया जाए। एएमआर को आज वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक खतरों में से एक माना जाता है।  

परिचय- 

एएमआर: निश्चित दवा के प्रति संवेदनशील रोगज़नक़ (सूक्ष्मजीव) संबंधित दवा पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देतें हैं। दूसरे शब्दों में रोगजनक पर एंटीमाइक्रोबियल दवा का असर कम/समाप्त हो जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • सूक्ष्मजीव, जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि हो सकते हैं और एंटीमाइक्रोबियल दवाएं, जैसे- एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल, एंटीहेलमिंटिक्स आदि होती हैं जिनके खिलाफ ये सूक्ष्मजीव प्रतिरोध हासिल कर लेते हैं। 
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीव "सुपरबग्स" कहलाते हैं।
  • यह गंभीर समस्या है, जो राजनीतिक सीमाओं तक सीमित नहीं है यह पूरी मानवता के लिए खतरा है।
  • एएमआर के प्रति जानवर और पौधे भी संवेदनशील होते हैं। चूँकि ये भी सूक्ष्मजीव से होने वाली बीमारियों से पीड़ित होते हैं।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार के कारण-

  • दवाओं के अति/अनुचित उपयोग के कारण मनुष्य एएमआर का शिकार हो जाते हैं। 
  • एएमआर मनुष्यों में उनके भोजन, पानी और उनके पर्यावरण से भी फैलता है।
  • कृषि में रसायनों का आतार्किक उपयोग।
  • इलाज के बाद शेष एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का नदी, नालों आदि के माध्यमों से कृषि भूमि में शामिल हो जाना। 
  • डॉक्टरी नुस्खे के बिना एंटीबायोटिक दवाओं की खरीद-बिक्री
  • अनुपचारित मेडिकल अपशिष्ट।

समाधान की आवश्यकता -

  • एएमआर की स्थिति में रोगी को  पॉवर बढ़ाकर दवाएं दी जाती है, जिसकी अपनी सीमा है 
  • गैर-प्रतिक्रियाशील दवाओं के कारण लंबे समय तक रुग्णता
  • इसके कारण मृत्यु दर में वृद्धि
  • परिवार और समग्र रूप से समाज दोनों पर भारी आर्थिक बोझ का बढ़ना

समाधान के लिये किये जा रहे प्रयास-

वैश्विक प्रयास - 

  • अधिकांश राष्ट्रीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे डब्ल्यूएचओ, एफएओ, ओआईई), स्वास्थ्य देखभाल समुदायों और नागरिक समाज आदि के लिए एएमआर उच्च प्राथमिकता  का मुद्दा रहा है।
  • डब्ल्यूएचओ ने एएमआर  को वैश्विक स्वास्थ्य के लिये शीर्ष दस खतरों में से एक माना है।
  • एएमआर की   प्रतिक्रिया में  डब्ल्यूएचओ की वैश्विक कार्य योजना (जीएपी) को सदस्य देशों द्वारा 2015 में अपनाया गया था। कई देशों द्वारा राष्ट्रीय कार्य योजनाएँ तैयार की गई हैं।

भारतीय प्रयास -

  • 2017 में एएमआर के विरुद्ध भारत में राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) को मंजूरी दी। इसमें शामिल क्षेत्र- स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी आदि हैं
  • एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम- अस्पताल के वार्डों और आईसीयू में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण  
  • ICMR ने नॉर्वे की रिसर्च काउंसिल (RCN) के साथ मिलकर वर्ष 2017 में रोगाणुरोधी प्रतिरोध में अनुसंधान हेतु एक संयुक्त आह्वान शुरू किया।
  • अब एनएपी 2.0 की परिकल्पना की गई है।
  • भारत की अध्यक्षता में जी20 स्वास्थ्य एजेंडे में एएमआर एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता में है।

सावधानियां -

  • एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के अति सेवन से बचना चाहिए। 
  • हमेशा दवाएं डाक्टर की सलाह से ही ले। 
  • उपचारोपरांत दवाओं को उचित स्थान पर फेंकना। 

कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र की प्राथमिकताओं को पलट दिया था। पूरा ध्यान कोविड के रोकथाम पर केंद्रित हो गया था। परिणामस्वरूप, एएमआर प्रयासों सहित अधिकांश सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नुकसान हुआ।  अब पुनः पटरी पर लौटने के लिए समेकित वैश्विक प्रयास की जरूरत है। 

प्रश्न:- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- 

कथन-1: एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के अतार्किक और अनुचित सेवन से सूक्ष्मजीव संबंधित दवा पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देतें हैं।

कथन-2: ये सूक्ष्मजीव इन दवाओं के प्रति रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं।

(a) कथन-1 और कथन-2 दोनों सही हैं तथा कथन-2, कथन-1 की सही व्याख्या है 

(b) कथन-1 और कथन-2 दोनों सही हैं तथा कथन-2, कथन-1 की सही व्याख्या नहीं है 

(c) कथन-1 सही है किन्तु कथन-2 गलत है

(d) कथन-1 गलत है किन्तु कथन-2 सही है

उत्तर:- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न : Antimicrobial Resistance (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) कैसे मानव जीवन में जोखिम बढ़ा रहा है? इस चुनौती से कैसे निपटा जा सकता है? तथा इसके विरुद्ध किये जा रहे प्रयासों की भी चर्चा करें। 

स्रोत:Indian Express

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