(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध) |
संदर्भ
डिजिटल कार्यकर्ताओं एवं अभिभावकों ने स्कूलों द्वारा अनेक राज्यों में अपार आई.डी. (APAAR ID) को अनिवार्य बनाने के लिए तेजी से किए जा रहे प्रयासों को लेकर चिंता व्यक्त की है।
APAAR ID के बारे में
- पूरा नाम : ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (Automated Permanent Academic Account Registry : APAAR)
- क्या है : सरकार द्वारा ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट’ के रूप में वर्णित 12-अंकीय आई.डी. कार्ड
- उद्देश्य : छात्रों की शैक्षणिक जानकारी एवं उपलब्धियों को संचित एवं संग्रहित करना
- प्रस्तुत : राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और राष्ट्रीय क्रेडिट एवं योग्यता फ्रेमवर्क (NCRF) के अनुसार पेश
APAAR ID से संबंधित प्रमुख बिंदु
- यह आई.डी. आधार से जुड़ी होती है और संबंधित डाटा डिजिलॉकर में संग्रहित होता है। यह रजिस्ट्री छात्रों को उनकी मार्कशीट एवं संस्थागत संबद्धता पर मानकीकृत डाटा प्रदान करती है।
- APAAR को यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) पोर्टल के माध्यम से तैयार किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय शैक्षणिक आँकड़े और स्कूलों, शिक्षकों एवं छात्रों से संबंधित डाटा शामिल होता है।
- यह आई.डी. नीति निर्माण एवं विश्लेषण के लिए शैशिक डाटा संग्रह में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अधिदेश का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- APAAR ID के लाभ : दूसरे स्कूल में स्थानांतरण, प्रवेश परीक्षा, नौकरी के लिए आवेदन, कौशल, अपस्किलिंग आदि पर डाटा को स्थायी रूप से रिकॉर्ड रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह प्रणाली विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के लिए किसी भी छात्र के शैक्षणिक ट्रांसक्रिप्ट को तेजी से संसाधित करने और सत्यापित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
APAAR ID: निजता संबंधी मुद्दे
- शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, यह कार्यक्रम अनिवार्य नहीं है। फिर भी मंत्रालय द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से संबद्ध स्कूलों में अपार आई.डी. के लिए 100% छात्र पंजीकरण का दबाव बनाया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त बिना किसी मजबूत सुरक्षा उपायों के मुक्त एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) और डाटा शेयरिंग चैनल होने से बच्चों का डाटा तीसरे पक्ष के पास जा सकता है जिसका प्रयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
- चूंकि इसकी अनिवार्यता संबंधी प्रावधान नहीं होने के बावजूद भी कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी अपने अधीन विद्यालयों से सभी विद्यार्थियों को यह पहचान-पत्र जारी किए जाने दबाव बना रहे हैं।
- अत: विशेषज्ञों का तर्क है कि बिना किसी कानून के नाबालिगों के डाटा का बड़े पैमाने पर संग्रह करना असंवैधानिक है। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 की धारा 9(3) भी विशेष रूप से ‘बच्चों की ट्रैकिंग या व्यवहार संबंधी निगरानी या बच्चों पर लक्षित विज्ञापन’ पर प्रतिबंध लगाती है।