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वन्यजीव संरक्षण में प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण व क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग)

संदर्भ

अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में मिथुन पशु के मालिकों को फ्लोरोसेंट कॉलर प्रदान किए गए हैं ताकि घने कोहरे और कम दृश्यता के दौरान राजमार्गों पर मिथुन पशुओं को अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सके तथा सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके। 

वन्यजीव संरक्षण में प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

  • आवश्यकता : अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची, 2024 के अनुसार वैश्विक स्तर पर 45,000 से अधिक प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं। इनमें 26% स्तनधारी, 41% उभयचर, 12% पक्षी, 37% शार्क, 21% सरीसृप, 34% कोनिफर्स (Conifers), 28% चयनित क्रस्टेशियन एवं 71% साइकैड (Cycads) शामिल हैं।
  • प्रमुख प्रौद्योगिकी : दुनिया भर में उन्नत तकनीक, जैसे- ड्रोन, कैमरा ट्रैप, सैटेलाइट, ध्वनिक निगरानी, ​​रिमोट सेंसिंग विधियाँ वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रयोग होने वाली प्रमुख प्रौद्योगिकियां हैं।
    • वर्चुअल रियलिटी (VR) एवं ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता है।
  • प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग का महत्त्व : वन्यजीव संरक्षण रणनीतियों में प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग न केवल प्रजातियों के प्रत्यक्ष संरक्षण में सहायता करते हैं बल्कि उनकी ज़रूरतों एवं व्यवहारों के बारे में समझ को भी बढ़ावा देते हैं।
    • प्रौद्योगिकी के महत्व का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीव संगठनों के बाजार का आकार वर्ष 2023 में $26.22 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2028 में $36.65 बिलियन हो जाएगा।

वन्यजीव संरक्षण में प्रमुख प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग 

ड्रोन 

  • वन्यजीव निगरानी एवं शिकार रोधी प्रयासों में क्रांतिकारी परिवर्तन
  • घने जंगलों या दूरदराज के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में विशेष लाभ
    • उदाहरण के लिए, अफ्रीकी सवाना में थर्मल इमेजिंग कैमरों से लैस ड्रोन का उपयोग रात्रि में शिकारियों का पता लगाने और कानून प्रवर्तन में वृद्धि करने में सहायक।
  • पशु आबादी के स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए
  • आवास की स्थिति की निगरानी करने में 
  • वनीकरण के प्रयासों, जैसे- वनों की कटाई वाले क्षेत्रों में बीजारोपण के लिए

कैमरा ट्रैप

  • वन्यजीवों, विशेषकर दुर्लभ प्रजातियों के व्यवहार का अध्ययन करना 
    • उदाहरण के लिए, अमेज़न वर्षावन में कैमरा ट्रैप ने जगुआर जैसी प्रजातियों के दुर्लभ फुटेज कैप्चर किए हैं जिससे उनकी संख्या का अनुमान लगाने और उनके व्यवहार पैटर्न को समझने में मदद मिली है।
  • मानवीय हस्तक्षेप के बिना जानवरों के व्यवहार का अध्ययन करने और प्रामाणिक डाटा संग्रहण में महत्वपूर्ण 

जी.पी.एस. ट्रैकिंग

  • महाद्वीपों पर हाथियों एवं पक्षियों जैसी प्रजातियों के प्रवास पैटर्न के मानचित्रण में 
  • महत्वपूर्ण आवास एवं प्रवास गलियारे के बारे में जानकारी में 
    • उदाहरण के लिए, प्रवासी पक्षियों को ट्रैक करने से उन महत्वपूर्ण पड़ाव स्थलों की पहचान करने में मदद मिली है जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। 
  • भालू एवं भेड़ियों जैसे बड़े स्तनधारियों पर जी.पी.एस. कॉलर उनके सीमा क्षेत्र, व्यवहार व मानव पर्यावरण के साथ संबंध के बारे में जानकारी प्राप्त करने में 
    • इससे प्रभावी प्रबंधन नीतियों के मार्गदर्शन में सहायता मिलती है। 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

  • कैमरा ट्रैप इमेज का विश्लेषण करने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग 
    • इससे डाटा संसाधन में लगने वाले समय में कमी आएगी। ग्रेट बैरियर रीफ में ए. आई. तकनीक का उपयोग कोरल रीफ के स्वास्थ्य की पहचान करने और उसे ट्रैक करने के लिए किया जाता है। 
  • पूर्वानुमानात्मक मॉडलिंग द्वारा अवैध शिकार के खतरों या संभावित मानव-वन्यजीव संघर्ष क्षेत्रों का पूर्वानुमान लगाने में 

संरक्षण डाटाबेस 

  • विशाल मात्रा में डाटा एकत्र करने में 
    • इससे जैव विविधता निगरानी एवं प्रजातियों के वितरण मॉडलिंग में योगदान मिलता है।
  • लोगों एवं प्रकृति के बीच संबंधो को बढ़ावा देने और संरक्षण संबंधी जागरूकता एवं कार्रवाई को प्रोत्साहित करने में 
  • उदाहरण के लिए, ईबर्ड एवं आईनेचुरलिस्ट जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से डाटा सुलभता ने संरक्षण प्रयासों में जनता को शामिल किया है। 

आनुवंशिक विश्लेषण

  • आनुवंशिक विविधता की पहचान करने और उसे संरक्षित करने में महत्वपूर्ण
  • आनुवंशिक संकेतकों का उपयोग जनसंख्या संरचनाओं व गतिशीलता को समझने में
  • प्रजातियों के आनुवंशिक स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण 
  • प्रजातियों के वर्गीकरण को हल करने में प्रमुख भूमिका
    • इससे लक्षित संरक्षण रणनीतियों में सहायता मिलती है।

रिमोट सेंसिंग

  • पारिस्थितिकी तंत्र एवं परिदृश्यों का एक व्यापक दृश्य प्रदान करना
  • भूमि आवरण, आवास विखंडन एवं पर्यावरणीय प्रभावों में परिवर्तन को ट्रैक करने में महत्वपूर्ण 
    • उदाहरण के लिए, वन कटाई दर और वन्यजीवों पर इसके प्रभावों की निगरानी में रिमोट सेंसिंग महत्वपूर्ण है।

सेंसर तकनीक पर आधारित उपकरण

  • शिकार रोधी ट्रांसमीटर : ये ऐसे उपकरण हैं जिन्हें शिकारियों से बचाने के लिए किसी जानवर के शरीर पर सीधे या कॉलर से जोड़ा जा सकता है।
    • ये सेंसर का उपयोग करके जानवर की स्थिति को ट्रैक करते हैं और उसकी गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।
    • ये ट्रांसमीटर वास्तविक समय में जानवर के आवास को ट्रैक कर सकते हैं और खतरे की स्थिति में होने का भी पता लगा सकते हैं।
  • स्मार्ट कॉलर : यह जंगली जानवरों के आवास एवं दैनिक गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए जी.पी.एस. व एक्सेलेरोमीटर तकनीक का उपयोग करते हैं।

वन्यजीव संरक्षण में प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग की चुनौतियाँ

  • प्रौद्योगिकी की उच्च रखरखाव लागत
  • उपयोगकर्ताओं के बीच तकनीकी कौशल की कमी 
  • प्रशिक्षण तक सीमित पहुंच 
  • वित्त पोषण के लिए प्रतिस्पर्द्धा
  • तकनीकी समाधानों की मापनीयता एवं स्थिरता
  • कुछ प्रौद्योगिकियों के उपयोग से पशुओं की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
    • भारत में लाए गए चीतों के शरीर पर लंबे समय तक रेडियो कॉलर उपकरणों के उपयोग से त्वचा संक्रमण एवं अन्य बीमारियां होने की आशंका है।

मिथुन पशु के बारे में 

  • परिचय : बोविडे कुल की जुगाली करने वाली एक गोवंशीय प्रजाति 
  • प्रमुख निवास : 300 से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर एवं मिजोरम 
    • यह बांग्लादेश, चीन, म्यांमार एवं भूटान के में भी पाया जाता है। 
  • वैज्ञानिक नाम : बोस फ्रंटलिस
  • संरक्षण स्थिति 
    • IUCN : संवेदनशील श्रेणी (VU)
    • CITES : परिशिष्ट I
  • राज्य पशु : अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैंड द्वारा राज्य पशु के रूप में घोषित 
  • खाद्य पशु का दर्जा : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मिथुन को ‘खाद्य पशु’ के रूप में मान्यता दी है।
    • खाद्य पशु से तात्पर्य ऐसी पशु प्रजाति से है जिसे मानव उपभोग के लिए भोजन के रूप में पाला एवं उपयोग किया जाता है।
    • इस श्रेणी में मवेशी, मुर्गी एवं सूअर जैसे पशुधन शामिल हैं। 
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