(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 : महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं तथा वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन व इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव) |
संदर्भ
हालिया शोध में अरल सागर में पानी के समाप्त हो जाने के बाद से सतह के ऊपर उठने जैसे भूगर्भीय परिवर्तन के संकेत प्राप्त हुए हैं।
अरल सागर के बारे में
- परिचय : यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी झील थी जो अब सूखकर अरलकुम रेगिस्तान बन चुका है।
- अवस्थिति : कजाकिस्तान (उत्तर) और उज्बेकिस्तान (दक्षिण) के बीच की सीमा पर
- सूखने का कारण
- इस झील को आमू दरिया एवं सीर (स्यर) दरिया नदियों से जल प्राप्त होता था।
- 1960 के दशक में सोवियत संघ ने कृषि कार्यों के लिए इन नदियों के पानी को मोड़ दिया, जिससे झील का जलस्तर कम होता चला गया।
- विगत 80 वर्षों में अरल सागर का 1.1 अरब टन पानी समाप्त हो गया।

क्या है अरल सागर त्रासदी
- अरल सागर के सूखने से बना अरलकुम रेगिस्तान वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े धूल के स्रोतों में से एक है।
- इस रेगिस्तान से जहरीली धूल उठती है जिसमें कीटनाशक एवं उर्वरकों के अवशेष मिले हुए हैं।
- जर्मनी की लाइबनिट्स इंस्टीट्यूट और फ्रेई यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक, वर्ष 1985 से 2015 के बीच इस क्षेत्र से निकलने वाली धूल 14 मिलियन टन से बढ़कर 27 मिलियन टन हो गई।
- ये धूल ताजिकिस्तान एवं तुर्कमेनिस्तान की राजधानियों तक पहुँच रही है जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।
- विगत 30 वर्षों में धूल भरी आंधियों की घटनाएँ 7% बढ़ गई हैं।

मौसम पर प्रभाव
- अरलकुम रेगिस्तान से केवल धूल का ही प्रसार नहीं हो रहा है बल्कि यह मौसम को भी बदल रहा है।
- इस धूल की वजह से रात में जमीन ठंडी रहती है लेकिन दिन में गर्मी बरकरार रहती है।
- वर्षभर में हल्की ठंडक का प्रभाव दिखता है किंतु ये छोटा-सा बदलाव मौसम के बड़े पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।
- धूल की वजह से वायु दाब बढ़ रहा है जिससे शीतकाल में मौसम परिवर्तित हो रहा है और ग्रीष्मकाल में गर्मी का प्रभाव कम हो रहा है।
शांत चेर्नोबिल
- वैज्ञानिक अरल सागर की इस त्रासदी को ‘शांत चेर्नोबिल’ कहते हैं। यह चेतावनी है कि इंसानी गलतियाँ प्रकृति को कितना नुकसान पहुँचा सकती हैं।
- अरल सागर के अलावा ईरान की उर्मिया झील और पश्चिम एवं मध्य एशिया की अन्य झीलें भी सूख रही हैं जिससे धूल व मौसम की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बदलावों को समझने एवं भविष्यवाणी करने के लिए और शोध जरूरी है।
इसे भी जानिए!
चेर्नोबिल घटना 26 अप्रैल 1986 को यूक्रेन (तत्कालीन सोवियत संघ) के चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में घटित एक भयावह परमाणु दुर्घटना थी। यह घटना प्राकृतिक आपदा और मानव त्रुटि का एक गंभीर मिश्रण थी, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। यह अब तक की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है।
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