(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 1 : भौतिक परिवर्तन सहित भारत एवं विश्व का भूगोल)
संदर्भ
हाल ही में, वार्षिक आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया। इसके अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में आर्द्रता के साथ-साथ वर्षा की मात्रा में वृद्धि हो रही है। आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष जारी किया जाता है। यह ऐतिहासिक अभिलेखों के सापेक्ष आर्कटिक पर्यावरण प्रणाली के विभिन्न घटकों की वर्तमान स्थिति पर स्पष्ट, विश्वसनीय एवं संक्षिप्त पर्यावरणीय जानकारी का स्रोत है।
आर्कटिक क्षेत्र में आर्द्रता एवं वर्षण
- आर्कटिक क्षेत्र में सभी मौसमों में वर्षण में वृद्धि हो रही है। इसमें अधिकांश हिस्सा वर्षा के रूप में है जो कभी-कभी शीतकाल के दौरान भी देखी जाती है। यह मनुष्यों के साथ-साथ वन्यजीवों एवं वनस्पतियों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है।
- इससे सड़कें अधिकांशत: खतरनाक रूप से बर्फयुक्त हो जाती हैं और समुदायों को नदी बाढ़ के अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- यह आर्द्रता उन जानवरों एवं पौधों के जीवन को बाधित कर सकता है जो शुष्क एवं शीत परिस्थितियों के अनुकूल हैं। साथ ही, यह संभावित रूप से स्थानीय समुदायों के आहारों में बदलाव ला रहा है।
वर्षण में वृद्धि के कारण
- समुद्री बर्फ के तेजी से पिघलने से मुक्त जल (Open Water) में वृद्धि होती है जो वातावरण में आर्द्रता को बढ़ाता है।
- पूरे आर्कटिक क्षेत्र में विगत 44 वर्ष के उपग्रह आँकड़ों की तुलना में गर्मियों में समुद्री बर्फ की मात्रा में 40% तक की कमी देखी गई है।
- आर्कटिक का वातावरण भी दुनिया के शेष हिस्सों की तुलना में दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है और गर्म वायु में आर्द्रता धारण करने की क्षमता अधिक होती है।
- अधिक नमी एवं वर्षा से आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट (वह स्थल जिसका ताप लगातार दो या अधिक वर्षों तक 0°C से कम रहा हो) के पिघलने की दर तीव्र हो रही है। पर्माफ्रॉस्ट पर अधिकांश आर्कटिक समुदायों के आवास एवं बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया गया है।
हिमपात वाले मौसम की अवधि में कमी
- बर्फ, सौर विकिरण को अवशोषित करने के बजाए इसे अंतरिक्ष में वापस परावर्तित करके आर्कटिक को ठंडा रखने में मदद करती है। बर्फ की उपस्थिति झील की बर्फ को लंबे समय तक बनाए रखने तथा गर्मियों में लंबे समय तक भूमि में आर्द्रता बनाए रखने में मदद करती है, जिससे अत्यधिक शुष्क परिस्थितियों को रोका जा सकता है।
- बर्फ पर कई जानवरों का आवास होता है, जो शिकारियों को आजीविका प्रदान करता है। पूरे आर्कटिक में जून माह में हिमावरण का क्षेत्र लगभग 20% प्रति दशक की दर से कम हो रहा है।
- अलास्का में झीलों एवं नदियों की बर्फ में तीव्र गिरावट आ रही है, परिणामस्वरूप तात्कालिक त्रासदी के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन जैसे दीर्घकालीन प्रभाव उत्पन्न हो रहे हैं।
ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने से वैश्विक समस्याएँ
- आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड 2022 में नासा के ओशन्स मेल्टिंग ग्रीनलैंड (OMG) मिशन के निष्कर्ष शामिल हैं जो पुष्टि करते हैं कि समुद्री तापमान में वृद्धि से बर्फ की चादर के किनारों पर बर्फ में क्षति हो रही है।
- आर्कटिक वार्मिंग के प्रभाव आर्कटिक तक ही सीमित नहीं हैं। वर्ष 2022 में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में लगातार 25वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई। यह समुद्री विस्तार के खतरे को बढ़ाता है।
आगे की राह
- आर्कटिक के गर्म होने के संदर्भ में बदलती जलवायु और मानवीय गतिविधियों के बीच परस्पर क्रिया का बेहतर अनुमान लगाने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2009 से उपग्रह आधारित डाटा स्पष्ट करते हैं कि सभी आर्कटिक उच्च समुद्रों एवं राष्ट्रीय विशेष आर्थिक क्षेत्रों में समुद्री पोत परिवहन में वृद्धि हुई है क्योंकि क्षेत्र गर्म हो गया है।
- इन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील जल के लिये आर्कटिक व्यापार मार्गों के भविष्य पर और पारिस्थितिक तंत्र व जलवायु संबंधी मानव-जनित तनावों पर कदम उठाने की आवश्यकता है।
- सहयोग एवं लचीलापन निर्माण कुछ जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन ग्रीनहाउस गैस प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये वैश्विक कार्रवाई पूरे ग्रह के लिये आवश्यक है।
आर्कटिक प्रवर्धन (Arctic Amplification)
- वैश्विक तापन की प्रक्रिया मानवजनित कारणों के कारण तीव्र हुई है और ग्रह के औसत तापमान में 1.1°C की वृद्धि हुई है।
- सतही वायु तापमान तथा शुद्ध विकिरण संतुलन में कोई भी बदलाव उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों पर बड़े परिवर्तन उत्पन्न करता है। इस घटना को ‘ध्रुवीय प्रवर्धन’ (Polar Amplification) कहा जाता है।
- ये परिवर्तन उत्तरी अक्षांशों पर अधिक स्पष्टत देखे जाते हैं, जिसे आर्कटिक प्रवर्धन के रूप में जाने जाते हैं।
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